नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर के नौकरशाहों से कहा कि वे आगामी निर्वाचित सरकार को कमजोर करने के किसी भी दबाव का विरोध करें।
उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि, विधानसभा चुनाव में हार की आशंका के चलते उसने मुख्य सचिव को सरकार के कामकाज के नियमों में संशोधन करने का निर्देश दिया है, ताकि प्रमुख जिम्मेदारियां उपराज्यपाल (एलजी) को सौंपी जा सकें।
उमर अब्दुल्ला के आरोपों को खारिज करते हुए गृहमंत्री कार्यालय ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, “उमर अब्दुल्ला का ट्वीट भ्रामक और अटकलबाजी प्रकृति का है। इसमें रत्ती भर भी सच्चाई नहीं है, क्योंकि ऐसा कोई प्रस्ताव ही नहीं है। भारत की संसद द्वारा पारित जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 व्यापार नियमों के लेनदेन को अधिसूचित करने का प्रावधान करता है और इसे वर्ष 2020 में अधिसूचित किया गया था। जम्मू-कश्मीर के लोगों ने ऐतिहासिक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया के माध्यम से लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार लाने के भारत सरकार के प्रयासों का पूरे दिल से समर्थन किया है, जिसमें नागरिकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।”
दरअसल उमर अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि, “भाजपा ने जम्मू-कश्मीर में स्पष्ट रूप से हार स्वीकार कर ली है। अन्यथा मुख्य सचिव को मुख्यमंत्री और निर्वाचित सरकार की शक्तियों को सीमित करने और उन्हें एलजी को सौंपने के लिए कार्य संचालन नियमों में बदलाव करने की जिम्मेदारी क्यों सौंपी गई।” पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा किया कि यह जानकारी सचिवालय के सूत्रों से मिली है। उन्होंने अधिकारियों से अपील किया कि,आगामी ‘निर्वाचित’ सरकार के अधिकार को कमजोर करने के किसी भी दबाव का विरोध करें।