मुंबई। महाराष्ट्र सरकार के ‘लव जिहाद’ कानून का मसौदा तैयार करने के लिए समिति बनाए जाने पर विपक्ष हमलावर है। विपक्षी दलों के नेताओं ने सरकार पर लोगों का ध्यान मुख्य समस्याओं से भटकाने के लिए ऐसा कानून लाने का आरोप लगाया। ‘ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन’ (एआईएमआईएम) के नेता वारिस पठान ने कहा, ” ‘लव जिहाद’ जैसा कुछ भी नहीं है। कितने लोगों ने इंटर कास्ट मैरिज की है। वहीं, कई मुस्लिम लोगों ने गैर-मुस्लिमों के साथ शादी भी की है। यह सब कोई ‘लव जिहाद’ नहीं है।
लोढ़ा जी लव जिहाद पर जो बोल रहे हैं, इससे पहले भी उन्होंने दावा किया था कि लव जिहाद के लाखों केस हैं। इसकी जांच हुई तो कुछ नहीं निकला। उनके ही मंत्री किशन रेड्डी ने लोकसभा में कहा है कि केंद्रीय जांच में लव जिहाद का कोई केस नहीं आया।” उन्होंने कहा, “हर इंसान को अपने-अपने तरीके से धर्म की प्रैक्टिस करने की इजाजत है। किसी के साथ जबरदस्ती नहीं की जा सकती। अब क्या हमें किसी के साथ प्यार या शादी करनी है तो उसके लिए भाजपा से पूछना पड़ेगा? लोगों के मुख्य मुद्दे बेरोजगारी, महंगाई आदि से ध्यान भटकाने के लिए ऐसी चीजें लाई जाती हैं। एक रिसर्च से खुलासा हुआ है कि सबसे ज्यादा हेट स्पीच देने में भाजपा नंबर 1 पर है।
“समाजवादी पार्टी विधायक रईस शेख ने कहा, “मैं पहले यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि जबरन धर्मांतरण और मर्जी के बगैर शादी को लेकर मेरा खुद विरोध रहा है। जब आप कोई कानून बनाने जा रहे हैं तो वह सभी धर्म के लिए होना चाहिए, न कि किसी एक विशेष धर्म के लिए। आपके पास स्ट्रेटजी होनी चाहिए। इसे लव जिहाद जैसा नाम नहीं दिया जाना चाहिए। इसे आप फोर्सफुल कन्वर्जन लॉ कह सकते हैं। किसी भी धर्म को गलत तरीके से नहीं पेश करना चाहिए।” कांग्रेस नेता चरण सिंह सापरा ने कहा, “महायुति की सरकार को जनता ने एकतरफा बहुमत दिया। जनता चाहती है कि सरकार अपने वादों पर काम शुरू करे। लेकिन सरकार 21वीं सदी में भी लव जिहाद जैसी बात करके महाराष्ट्र में ध्रुवीकरण करना चाहती है। सरकार को अपने घोषणा पत्रों के वादों को पूरा करने के लिए काम करना चाहिए, न कि ध्रुवीकरण का काम करना चाहिए।”