हरिद्वार। रामनवमी के पावन अवसर पर दिव्य योग मंदिर (ट्रस्ट), कृपालु बाग आश्रम और दिव्य योग मंदिर राममुलख दरबार एकाकार हो गए। दिव्य योग मंदिर राममुलख दरबार ने पतंजलि योगपीठ में आधिकारिक रूप से विलय कर लिया है। यह जानकारी पतंजलि योगपीठ के संस्थापक अध्यक्ष स्वामी रामदेव ने पत्रकार वार्ता में दी। इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण एवं योगाचार्य स्वामी लाल महाराज भी मौजूद रहे।
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इस अवसर पर स्वामी रामदेव ने कहा कि तीस वर्ष पूर्व हमने संन्यास ग्रहण कर अपने संस्थान का नाम दिव्य योग मंदिर (ट्रस्ट) रखा था। बाद में हमें पता चला कि योगेश्वर स्वामी राम लाल जी का संस्थान दिव्य योग मंदिर राममुलख दरबार पहले से ही है। यह अद्भुत संयोग ही है कि दोनों संस्थान आज एकाकार हो गए। योग की परम्परा को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए योगाचार्य स्वामी लाल महाराज जी ने यह आहुति रामनवमी के पावन अवसर पर पतंजलि योगपीठ को अर्पित की है।
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इस दौरान बातचीत में वक्फ बिल पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा कि भारत में एक संविधान है। अगर वक्फ बोर्ड में संशोधन नहीं होता तो हिंदू, सिख और जैन बोर्ड बनाने की भी लोग मांग करने लगते। कहा कि सरकार ने बिल्कुल सही संशोधन किया। उन्होंने कहा कि जो इस बिल के खिलाफत में है, वो अपने वोट बैंक को बटोरने और समेटने की कसरत कर रहे हैं, उनकी बयानबाजी से कुछ नहीं होने वाला है।
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बाबा रामदेव कनखल संन्यास मार्ग स्थित श्री राममुलख दरबार में आयोजित योगीराज रामलाल प्रभु की जयंती पर बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करने आए थे। इस दौरान आचार्य बालकृष्ण भी मौजूद रहे।
बाबा रामदेव ने कहा कि हिंदुस्तान में हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध सबके लिए समान रूप से एक संविधान और एक कानून है। यदि वक्फ बोर्ड में संशोधन न करते तो कुछ दिनों में कहा जाता कि हिंदू बोर्ड, सिख बोर्ड और जैन बोर्ड भी बनना चाहिए। फिर तो हम भी कहते कि यहां तो साधु का भी बोर्ड बनना चाहिए, ये कोई बात हुई? पूरे देश का एक विधान, एक झंडा, एक कानून और एक ईश्वर के उपासक है।
हाल में ही धामी सरकार ने उत्तराखंड के कुछ जगहों के नाम बदले थेजिसको लेकर विरोध के स्वर भी उठ रहे हैं। साथ ही सियासत भी हो रही है। इस पर बाबा रामदेव ने कहा कि हमारा नाम, हमारा धाम और हमारा काम सभी सनातन के अनुरूप होना चाहिए।
रामनवमी पर सियासत को लेकर भी बाबा रामदेव ने कहा कि राजनीति से प्रेरित होकर वोट बैंक और ध्रुवीकरण के लिए जो किया जा रहा है, ये सब बंद होना चाहिए। कहाकि आज से 30 वर्ष पहले उन्होंने इसी हरिद्वार में मां गंगा में डुबकी लगाकर संन्यास लिया था। इस अवसर पर राम मुखल दरबार आश्रम के परमाध्यक्ष योग गुरु लालजी महाराज के साथ उन्होंने अनुबंध किया। इस दौरान जादूगर शंकर से भी बाबा रामदेव ने मुलाकात की।
इसके पश्चात श्रीराम मुलख दरबार से योगराज श्रीमुलखराज महाराज की शोभायात्रा निकाली गई, जो आश्रम से आरम्भ होकर हरकी पैड़ी पहुंचकर वापस आश्रम पहुंचने पर सम्पन्न हुई। शोभायात्रा का जगह-जगह स्वागत किया गया।