Friday, May 10, 2024

मारीशस के डोडो पक्षी की भांति कहीं किताबों में ही न रह जाए हमारा राष्ट्रीय पक्षी!

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भारतीय समाज और संस्कृति में मोर या मयूर एक अलग ही स्थान रखने वाला पक्षी है। 26 जनवरी सन 1963 को मोर को भारत के राष्ट्रीय पक्षी का दर्जा दिया गया था। यह बहुत ही चिंताजनक है कि आज इस राष्ट्रीय पक्षी के अस्तित्व पर लगातार खतरा मंडरा रहा है। कभी इस पक्षी का शिकार करने,कभी अधिक सर्दी व प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियों के कारण, कभी जहरीले दाने डालने के कारण, कभी बिजली के तारों से चिपकने से, तो कभी कुत्तों द्वारा मोर का शिकार होने के कारण यह राष्ट्रीय पक्षी दिन-ब-दिन खतरे में है।

 

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पंख और मांस के लिए अवैध शिकार, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों की खपत के कारण मृत्यु, किसानों द्वारा फसलों को नुकसान को रोकने के लिए जहर और पारंपरिक दवाओं के लिए विभिन्न भागों का प्रयोग भारतीय मोर के लिए बड़े खतरे साबित हो रहे हैं। यहां तक कि मोर का मांस परोसने का चलन बढ़ रहा है, क्यों कि इसके मांस को स्वादिष्ट माना जाता है और बेंगलुरु, तमिलनाडु, तेलंगाना और मध्य प्रदेश से भी मामले सामने आए हैं।

 

 

जानकारी देना चाहूंगा कि मोर विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों से भी जुड़ा है । विभिन्न धर्मों, लोक कथाओं और पौराणिक कथाओं में मोर की इस भूमिका ने जहां एक ओर पारंपरिक रूप से मोर को सुरक्षा प्रदान की और संरक्षित किया, वहीं दूसरी ओर दूसरा पहलू उनकी हत्या का कारण बन गया। जानकारी देना चाहूंगा कि हाल ही में मध्य प्रदेश के जिले के कोलारस वन परिक्षेत्र के संगेस्वर गांव में एक ग्रामीण शिकारी ने नॉन वेज खाने के लिए राष्ट्रीय पक्षी मोर का ही शिकार कर लिया। नवंबर 2023 में अलीगढ़ में राष्ट्रीय पक्षी मोर की बिजली के तारों से चिपक कर मौत हो गई थी।

 

जून 2023 में मीडिया के हवाले से खबर आई थी कि राजस्थान के डीडवाना जिले में गच्छीपुरा थाना इलाके में 12 मोर मृत मिले थे। इसके बाद वहां चार मोर मृत पाए गए।उल्लेखनीय है कि मोरों को जहरीला दाना खिलाकर घुमंतू जाति के लोग शिकार कर रहे हैं। वातावरण में लगातार बदलाव और जंगलों के कटाव, बढ़ती आबादी (जनसंख्या), औधोगिकीकरण, शहरीकरण के कारण मोरों की संख्या अब धीरे-धीरे घटने लगी है।

 

भारत के अलावा मोर किसी और देश का राष्ट्रीय पक्षी नहीं है। इस वर्ष जनवरी में ही नन्दौली के मजरा जमोरिया में संदिग्ध परिस्थितियों में राष्ट्रीय पक्षी मोर का शव मिला था। फऱवरी 2024 यानी कि इसी महीने में एक प्रतिष्ठित हिंदी दैनिक के हवाले से यह खबर आई थी कि सर्दी के कारण निमोनिया संक्रमण से तालछापर अभयारण्य से सटे गांव रामपुर की रोही में पिछले दो दिन में 28 मोर की मौत हो गई। इतना ही नहीं, कुछ समय पहले रामपुरा तहसील मुख्यालय के अंतर्गत आने वाले समीपस्थ ग्राम जन्नोद में राष्ट्रीय पक्षी मोर का शिकार कर उन्हें पकाने की तैयारी में कर रहे तीन शिकारियों को ग्रामीणों ने धर दबोचा था ।
-सुनील कुमार महला

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