मुंबई। नियामक उल्लंघनों के आरोपों को सुलझाने के लिए कंपनी द्वारा 45.5 लाख रुपये का भुगतान करने के बाद भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने गुरुवार को पेटीएम मनी के साथ सेटलमेंट आदेश पारित किया। इस सेटलमेंट के साथ वित्तीय फर्म पर अब आगे की कार्रवाई नहीं होगी। यह मामला पेटीएम मनी द्वारा नियामक के टेक्निकल ग्लिच फ्रेमवर्क का पालन न करने को लेकर था। यह केस जुलाई 2024 में सेबी द्वारा पेटीएम मनी को कारण-बताओ नोटिस के बाद शुरू हुआ था।
नियामक ने कंपनी पर सुचारू और सुरक्षित व्यापार संचालन सुनिश्चित करने के लिए डिजाइन किए गए प्रमुख परिचालन और नियामक दिशानिर्देशों का पालन करने में विफल रहने का आरोप लगाया था। सेबी द्वारा उठाई गई मुख्य चिंताओं में से एक महत्वपूर्ण परिसंपत्तियों के लिए समय पर अलर्ट जनरेट करने के लिए आवश्यक 70 प्रतिशत सीमा को बनाए रखने में पेटीएम मनी असमर्थ थी। यह अलर्ट बाजार में उतार-चढ़ाव के समय में निवेशकों के हितों की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसे में कंपनी की रिस्क मैनेजमेंट प्रैक्टिस पर संदेह पैदा हो गया था।
इसके अलावा बाजार नियामक ने पाया कि पेटीएम मनी ने निरीक्षण के दौरान सिस्टम पर पीक लोड से जुड़े जरूरी दस्तावेज भी उपलब्ध नहीं कराए हैं। इससे मार्केट के बढ़ने और तकनीकी खराबी के समय उच्च ट्रेडिंग वॉल्यूम को संभालने के लिए कंपनी के इन्फ्रास्ट्रक्चर और उसकी क्षमता को लेकर चिंताएं पैदा हो गई थी। इसके अतिरिक्त सेबी ने पाया कि कंपनी ने अप्रैल और सितंबर 2023 के बीच जरूरी डिजास्टर रिकवरी (डीआर) ड्रिल को छोड़ दिया है। किसी कंपनी की तकनीकी खराबी या सिस्टम विफलताओं से शीघ्रता से उबरने की क्षमता सुनिश्चित करने के लिए ये ड्रिल महत्वपूर्ण हैं। सेबी ने बताया कि पेटीएम मनी की विस्तारित अवधि के लिए लाइव ड्रिल आयोजित करने में विफलता आपात स्थिति के लिए इसकी तैयारियों में खामियों को दिखाती है।