मेरठ। मेरठ विकास प्राधिकरण (मेडा) में भ्रष्टाचार पर नकेल को लेकर शुरू कसरत में बाबुओं की कारगुजारियां उजागर हो रही हैं। डिफेंस एन्क्लेव में मेजर को आवंटित प्लाॅट को दूसरे व्यक्ति को बेच दिया गया। मामले में शिकायत के बाद कमेटी ने रिपोर्ट दे दी है। उपाध्यक्ष ने दोषियों के खिलाफ शासन को भी पत्र लिखा है।
डिफेंस एन्क्लेव में बी-286 व बी-287 प्लॉट हैं। डिफेंस रेजिडेंशियल सोसायटी की ओर से ये प्लॉट मेजर ज्ञानेश कुमार को सब एरिया के द्वारा वर्ष 2004-05 में अलॉट किए गए। मेडा की ओर आवंटन पत्र देकर कब्जा देना व रजिस्ट्री कराना होता है। मेजर ज्ञानेश को पहले एक प्लॉट आवंटित हुआ, बाद में उनके आवेदन पर डीआरएस ने उन्हें बराबर का भी प्लॉट दे दिया। प्लॉट दो होने पर भी डीआरएस की ओर से रजिस्ट्रेशन नंबर एक ही होता है। बाद में लिपिक पुण्य प्रताप सिंह ने ए-321 भूखंड को नीलामी में लगा दिया।
आरोपति है कि साज करके मोहित कुमार की ओर से इसे ले लिया गया, लेकिन मौके पर प्लॉट नहीं मिला। इसके बाद समायोजन का प्रस्ताव बनाकर मोहित को बी-287 प्लॉट दे दिया गया। शिकायत पर तत्कालीन उपाध्यक्ष राजेश पांडेय ने तीन अफसरों की जांच कमेटी बना दी। सचिव चंद्रपाल तिवारी, प्रभारी मुख्य अभियंता व अधीक्षण अभियंता वीके सोनकर, वित्त नियंत्रक रमेश चंद्र की ओर से भेजी रिपोर्ट में सेवानिवृत्त हो चुके लाल बहादुर दुबे से 5 लाख 89 हजार 330 रुपए वसूली का पत्र जारी किया गया। रिपोर्ट में लिपिक पुण्य प्रताप सिंह को