त्रिशूर। प्रसिद्ध वनस्पतिशास्त्री और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित डॉ. के.एस. मणिलाल (86) का बुधवार को केरल के त्रिशूर के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार थे। के.एस. मणिलाल के निधन पर पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “पद्म पुरस्कार विजेता और प्रख्यात वनस्पतिशास्त्री डॉ. के.एस. मणिलाल जी के निधन से दुख हुआ। वनस्पति विज्ञान में उनका समृद्ध कार्य आने वाली पीढ़ियों के वनस्पतिशास्त्रियों और शोधकर्ताओं के लिए मार्गदर्शक बना रहेगा। वह केरल के इतिहास और संस्कृति के प्रति समान रूप से भावुक थे।
दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और दोस्तों के साथ हैं।” डॉ. मणिलाल को कट्टुंगल सुब्रह्मण्यम मणिलाल के नाम से भी जाना जाता है। वह कालीकट विश्वविद्यालय में वनस्पति विज्ञान विभाग के पूर्व प्रमुख थे। वह शोधकर्ता भी थे, जिन्होंने अपने काम के माध्यम से पहली बार प्राचीन लैटिन ग्रंथ ‘हॉर्टस मालाबारिकस’ को अंग्रेजी और मलयालम दोनों में लाया, जिसमें केरल की वनस्पति संपदा का विवरण है। कोझिकोड और साइलेंट वैली की वनस्पति जैव विविधता पर उनके व्यापक अध्ययन भी प्रसिद्ध हैं। केरल के एर्नाकुलम जिले के परवूर में 17 सितंबर 1938 को ए. सुब्रह्मण्यम और के.के. देवकी के घर जन्मे मणिलाल ने 1964 में सागर विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश से वनस्पति विज्ञान में पीएचडी करने से पहले एर्नाकुलम महाराजा कॉलेज में स्नातक की पढ़ाई पूरी की।
वे उसी वर्ष केरल विश्वविद्यालय के कालीकट केंद्र में व्याख्याता के रूप में शामिल हुए और बाद में कालीकट विश्वविद्यालय की स्थापना के समय वे इसका हिस्सा बन गए। साल 1976 में उन्हें प्रोफेसर के पद पर पदोन्नत किया गया और 1986 में वह वरिष्ठ प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष बन गए। मणिलाल ने एक दर्जन से ज्यादा किताबें लिखी। उन्होंने 200 से ज्यादा शोध पत्र भी प्रकाशित किए और वैज्ञानिक समुदाय के सामने 19 नई पौधों की प्रजातियां पेश की, जिनमें से चार का नाम उनके नाम पर रखा गया। विज्ञान में उनके योगदान के सम्मान में, उन्हें 2020 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया।