Monday, December 23, 2024

ईद पर दिल्ली विश्वविद्यालय में वर्किंग डे, ईद मनाने वाले ले सकते हैं छुट्टी

नई दिल्ली। ईद-उल-जुहा का पर्व 29 जून को मनाया जा रहा है, लेकिन दिल्ली विश्वविद्यालय ने एक अधिसूचना जारी कर 29 जून को कार्य दिवस घोषित किया है। विश्वविद्यालय द्वारा जारी किए गए नोटिफिकेशन में बताया गया है कि 29 जून को विश्व विद्यालय में अवकाश नहीं रहेगा। शिक्षकों के एक वर्ग ने इसकी निंदा की है और इसे सांप्रदायिक मानसिकता, संवेदनशीलता की कमी और एक समुदाय को अलग-थलग करने का जानबूझकर कर किया गया प्रयास बताया।

हालांकि यूनिवर्सिटी ने साफ किया है कि जो कर्मचारी 29 जून को त्योहार मनाना चाहते हैं, उनकी छुट्टी रहेगी और उन्हें ऑफिस आने की आवश्यकता नहीं है। दरअसल 30 जून को दिल्ली विश्वविद्यालय का शताब्दी समापन समारोह है। इस समारोह के मुख्य अतिथि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय समापन समारोह की सभी व्यवस्थाएं समय पर पूरी करने लेना चाहता है। इसी को देखते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय ने अपने नोटिफिकेशन में बताया है कि विश्वविद्यालय में गुरुवार, 29 जून कार्य दिवस रहेगा। इसके साथ ही अपने नोटिफिकेशन में विश्वविद्यालय ने कहा कि जो कर्मचारी 29 जून को त्योहार मनाना चाहते हैं, उन्हें कार्यालय में उपस्थित होने से छूट दी गई है।

दिल्ली विश्वविद्यालय के डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट की सचिव प्रोफेसर आभा देव हबीब ने कहा, फिर भी, यह एक ऐसा कदम है जो सांप्रदायिक मानसिकता, संवेदनशीलता की कमी और एक समुदाय को अलग-थलग करने के जानबूझकर किए गए प्रयास हैं जिसकी निंदा करते हैं। 29 जून 2023 को ईद-उल-जुहा मनाने के लिए एक अनिवार्य अवकाश है और इसे भारत के राजपत्र में अधिसूचित किया गया है।

मुस्लिम समुदाय के लोग ईद-उल-जुहा मनाते हैं। अन्य समुदायों के सदस्य इन समारोहों में शामिल होते हैं। राजपत्रित छुट्टियों की सूची विश्वविद्यालय को वर्ष 2023 से बहुत पहले ही ज्ञात हो चुकी है। कोई आकस्मिक स्थिति या आपदा नहीं आई है। समापन समारोह के अधूरे कार्यों के लिए विश्वविद्यालय अपने स्वयंसेवकों की पहचान कर सकता था।

डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट की अध्यक्ष नंदिता नारायण ने कहा कि यदि संबंधित दिन होली या दिवाली होती और विश्वविद्यालय प्रशासन ने ऐसा ही कोई कदम उठाया होता। कोई भी शेड्यूल बनाते समय उसके दिमाग में यही बात आती होगी। दिल्ली विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह ने पहले ही विश्वविद्यालय के चरित्र और छवि को कमजोर कर दिया है। प्रतिष्ठित शिक्षाविदों से जुड़े व्याख्यान और समारोह अस्तित्वहीन थे और पिछले वर्ष के दौरान सांप्रदायिक गैर-शैक्षणिक व्यक्तित्वों को वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया है। इसलिए यह चौंकाने वाली बात नहीं है कि ईद-उल-जुहा की अनिवार्य छुट्टी रद्द की जा सकती है। हालांकि, यह दिल्ली विश्वविद्यालय और भारत की समावेशी धर्मनिरपेक्ष संस्कृति की आत्मा को मारता है। हमारी मांग है कि विश्वविद्यालय प्रशासन इस अवांछनीय अधिसूचना को वापस ले।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,303FansLike
5,477FollowersFollow
135,704SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय