नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘पीएम विश्वकर्मा’ योजना की शुरुआत की और इस बात पर जोर दिया कि भविष्य में प्रौद्योगिकी, उपकरण और प्रशिक्षण आवश्यक होंगे।
पीएम विश्वकर्मा योजना की लॉन्चिंग के मौके पर मोदी ने कहा, “निकट भविष्य में, प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी और उपकरण बहुत आवश्यक होंगे। ‘पीएम विश्वकर्मा’ योजना के तहत, सरकार ने विश्वकर्मा भागीदारों को विशेष प्रशिक्षण प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया है। प्रशिक्षण के दौरान आपको 500 रुपये प्रदान किए जाएंगे। 1,500 रुपये का टूलकिट वाउचर दिया जायेगा। सरकार आपके द्वारा बनाए गए उत्पादों की ब्रांडिंग, पैकेजिंग और मार्केटिंग में भी मदद करेगी। बदले में, सरकार चाहती है कि आप उन दुकानों से टूलकिट खरीदें जो केवल जीएसटी पंजीकृत हैं।”
“आज देश को अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी केंद्र यशोभूमि मिला है। यहां जिस तरह का काम किया गया है, वह मेरे विश्वकर्मा भाइयों की तपस्या को प्रदर्शित करता है। मैं देश के प्रत्येक विश्वकर्मा के लिए इस केंद्र की घोषणा करता हूं। यह सभी विश्वकर्मा के लिए मददगार साबित होने वाला है। भारतीय कला और हस्तशिल्प को वैश्विक स्तर तक पहुंचाने के लिए यह एक जीवंत केंद्र होगा। स्थानीय उत्पादों को वैश्विक बनाने में यह बहुत बड़ी भूमिका निभाएगा। …जिस प्रकार हमारे शरीर में रीढ़ की हड्डी आवश्यक है, उसी प्रकार हमारे समाज के लिए विश्वकर्मा आवश्यक हैं। उनके बिना रोजमर्रा की जिंदगी अकल्पनीय है।”
उन्होंने आगे कहा कि आज समय की मांग है कि हम अपने विश्वकर्मा साझेदारों को पहचानें और उन्हें हर संभव तरीके से समर्थन दें। उन्होंने कहा, ”हमारी सरकार हमारे विश्वकर्मा साझेदारों के विकास के लिए काम कर रही है। इस योजना के तहत, 18 विभिन्न क्षेत्रों के तहत काम करने वाले विश्वकर्मा साझेदारों पर फोकस किया जायेगा। सरकार पीएम ‘विश्वकर्मा’ योजना पर 13 हजार करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है।”
विश्वकर्मा योजना पर उन्होंने कहा, “आज विश्वकर्मा जयंती है। यह दिन देश के कारीगरों और शिल्पकारों को समर्पित है। मैं विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर देश के लोगों को शुभकामनाएं देना चाहता हूं। मैं खुश हूं कि आज मुझे हमारे विश्वकर्मा सदस्यों से जुड़ने का अवसर मिला। ‘पीएम विश्वकर्मा’ योजना आज शुरू की गई है जो कलाकारों और शिल्पकारों के लिए आशा की किरण बनकर उभरेगी।”
उन्होनें बताया कि योजना के तहत, सरकार बिना किसी (बैंक) गारंटी के तीन लाख रुपये तक का ऋण प्रदान करेंगे। यह भी सुनिश्चित किया गया है कि ब्याज दर भी बहुत कम हो। सरकार ने फैसला किया है कि शुरुआत में एक लाख रुपये का ऋण दिया जाएगा, और इसे चुकाने के बाद सरकार विश्वकर्मा भागीदारों को अतिरिक्त दो लाख रुपये का ऋण प्रदान करेगी।
एक अन्य कार्यक्रम में राष्ट्रीय राजधानी के द्वारका में अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी केंद्र ‘यशोभूमि’ का उद्घाटन करते हुये पीएम ने कहा, “दुनिया में कॉन्फ्रेंस टूरिज्म बढ़ रहा है, जिसमें भारत के लिए असीमित संभावनाएं हैं। कॉन्फ्रेंस टूरिज्म इंडस्ट्री दुनिया में 25 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की है। हर साल दुनिया में 32 हजार से ज्यादा बड़ी प्रदर्शनियां और एक्सपो होते हैं। दो से पांच करोड़ की आबादी वाले देशों में भी यह सुविधा होती है। हमारी आबादी 140 करोड़ है। कॉन्फ्रेंस टूरिज्म के लिए आने वाले लोग आम पर्यटकों से ज्यादा पैसे खर्च करते हैं… इस इंडस्ट्री में भारत की भागीदारी सिर्फ एक फीसदी है। आज का नया भारत कॉन्फ्रेंस टूरिज्म के लिए खुद को तैयार कर रहा है। एडवेंचर, मेडिकल, आध्यात्मिक और हेरिटेज टूरिज्म वहीं होता है, जहां जरूरी माहौल होता है। इसी तरह कॉन्फ्रेंस टूरिज्म भी वहीं होगा, जहां इवेंट और मीटिंग की सुविधाएं होंगी। भारत मंडपम और यशोभूमि दिल्ली को कॉन्फ्रेंस टूरिज्म का सबसे बड़ा केंद्र बनाएंगे।” इस मौके पर वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी मौजूद रहीं।