Friday, May 10, 2024

जी20 में बोले मोदी- बंधकों पर इजरायल-हमास सहमति का स्वागत ,आतंकवाद का किया विरोध

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नयी दिल्ली- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इजरायल और हमास के बीच बंधकों की रिहायी के लिये समझौते का स्वागत करते हुये बुधवार को विश्व समुदाय से यह सुनिश्चित करने पर बल दिया कि इन दोनों पक्षों के बीच पश्चिम एशिया के एक सीमित इलाके में चल रही यह लड़ाई किसी तरह का क्षेत्रीय रूप धारण न कर ले।

श्री मोदी भारत की जी20 की अध्यक्षता में दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के इस मंच की वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित शिखर बैठक को संबोधित कर रहे थे।

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उन्होंने इस संबोधन में आतंकवाद और निर्दोष नागरिकों की हत्या पर भारत के कड़े रुख को पुन: व्यक्त किया और कहा, “ हम मानते हैं कि आतंकवाद हम सभी को अस्वीकार्य

है। नागरिकों की मौत, कहीं भी हो, निंदनीय है। ”

गौरतलब है कि इजरायल में फिलिस्तीनी बहुल स्वायत्त गाजा पट्टी क्षेत्र में ताकत रखने वाले हमास आतंकवादियों ने गत सात अक्टूबर को दक्षिणी इजरायल पर हथियारों के साथ धावा बोल दिया था। उनके इस अप्रत्याशित हमले में एक हजार से अधिक लोग मारे गये थे और हमलावर ने महिलाओं तथा बच्चों समेत बहुत से लोगों को बंधक बना कर उठा ले गये थे। इमें कुछ विदेशी नागरिक भी बताये जाते हैं।

श्री मोदी ने वैश्विक नेताओं को संबोधित करते हुये कहा कि विश्व एक परिवार है, इस भावना में बड़ी ताकत है जिससे हम शांति कायम कर सकते हैं और आतंक और हिंसा के खिलाफ मजबूती से आवाज उठा सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, “ आज हुये समझौते के तहत बंधकों के छोड़े जाने के समाचार का हम स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि सभी बंधक जल्दी रिहा हो जायेंगे । मानवीय सहायता का समय से और निरंतर पहुंचाना आवश्यक है। यह सुनिश्चित करना भी जरूरी

है कि इजरायल और हमास की लड़ाई किसी तरह का क्षेत्रीय रूप धारण न कर ले। आज संकटों के जो बादल हम देख रहे हैं, “ ( दुनिया) एक परिवार (के भाव ) में वह ताकत है कि हम शांति के लिए काम कर सकते हैं। मानवीय कल्याण के दृष्टिकोण से, हम आतंक और हिंसा के विरुद्ध, और मानवता के प्रति अपनी आवाज बुलंद कर सकते हैं।आज विश्व की, मानवता की इस अपेक्षा की पूर्ति के लिये भारत कदम से कदम मिलाकर चलने के लिये तत्पर है।”

श्री मोदी ने कहा, “ जब मैंने इस वर्चुअल समिट (ऑनलाइन शिखर बैठक) का प्रस्ताव रखा था, तो कोई पूर्वानुमान नहीं था कि आज की वैश्विक स्थिति कैसी होगी। पिछले महीनों में नयी चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं। पश्चिम एशिया क्षेत्र में असुरक्षा और अस्थिरता की स्थिति हम सबके लिये चिंता का विषय है।”

प्रधानमंत्री ने कहा, “ आज हमारा एक साथ आना, इस बात का प्रतीक है कि हम सभी मुद्दों के प्रति संवेदनशील हैं और इनके समाधान के लिये एक साथ खड़े हैं। हम मानते हैं कि आतंकवाद हम सभी को अस्वीकार्य है। नागरिकों की मौत, कहीं भी हो, निंदनीय है। ”

उन्होंने आज की शिखर बैठक में जुड़ने के लिये नेताओं का आभार व्यक्त किया और देश की 140 करोड़ जनता की ओर से उनका स्वागत किया।

श्री मोदी ने जी20 फोरम के नेताओं को संबोधित करते हुये दुनिया के देशों के बीच परस्पर मजबूत विश्वास की जरूरत पर बल दिया । उन्होंने कहा, “ अविश्वास और चुनौतियों से भरी आज की दुनिया में, ये आपसी विश्वास ही है जो हमें बांधता है, एक दूसरे से जोड़ता है।” उन्होंने इस सदी के वैश्विक एजेंडा में विकासशील और अल्पविकसित देशों की चिंताओं को केंद्र में रखे जाने और वैश्विक संगठनों की संचालन व्यवस्था में सुधार की आवश्कता को रखांकित किया।

उन्होंने कहा, “ 21वीं सदी के विश्व को आगे बढ़ते हुये ग्लोबल साउथ (दक्षिणी गोलार्ध के अल्पविकसित और विकासशील देशों) की चिंताओं को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी।ग्लोबल साउथ के देश ऐसी अनेक कठिनाइयों से गुज़र रहे हैं जिनके लिये वे ज़िम्मेदार नहीं है। इस संदर्भ में, समय की मांग है कि हम विकास एजेंडा को अपना पूर्ण समर्थन दें।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “ये जरूरी है कि ग्लोबल इकॉनॉमिक और वैश्विक संगठनों के संचालन के ढांचे को बड़ा, बढ़िया, प्रभावरी , प्रतिनिधित्वकारी और भविष्य के लिये तैयार बनाने के लिए उनमें सुधार लाये जायें। जरूरतमंद देशों को समय से और आसान दरों पर सहायता सुनिश्चित करें। 2030 सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (स्वस्थ विकास के लक्ष्यों )में तेजी लाने के लिये अपनाये गये कार्ययोजना को लागू करें।”
श्री मोदी ने हमने मिलकर बहुपक्षीय विकास बैंकों और वैश्विक संगठनों के संचालन में सुधार को दिशा दी है और इनके साथ ही, भारत की अध्यक्षता में जी-20 को लोक-20 की पहचान मिली है। भारत के करोड़ों सामान्य नागरिक जी-20 से जुड़े, हमने इसे एक पर्व की तरह मनाया।
उन्होंने “ वन एर्थ, वन फेमिली, वन फ्यूचर’ ( एक धरा, एक परिवार, एक भविष्य ) के
भारत के नारे का जिक्र करते हुये कहा कि इस एक साल में हमने “ वन एर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर’ में विश्वास जताया है। और विवादों से हटकर एकता और सहयोग का परिचय दिया है। उन्होंने कहा, “वह पल मैं कभी नहीं भूल सकता जब दिल्ली में हम सभी ने सर्वसम्मति से जी-20 में अफ्रीकी यूनियन का स्वागत किया।जी-20 ने पूरे विश्व को साथ चलने का जो ये संदेश दिया है, वो अभूतपूर्व है।”
उन्होंने जी20 की भारत की अध्यक्षता में इस मंच द्वारा तय किये गये अभूतपूर्व आयामों का जिक्र किया और कहा, “मुझे याद है, जब पिछले साल 16 नवंबर को मेरे दोस्त और इंडोनेशिया के प्रेसिडेंट जोको विडोडो ने मुझे सेरीमोनियल गेवल सौंपी थी, तो मैंने कहा था कि हम मिलकर जी-20 को सबको साथ रखने वाला और निर्णायक बनायेंगे।एक साल में हम सब ने मिलकर यह करके दिखाया है। हम सब ने मिलकर जी-20 को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत के लिये गर्व की बात है कि उसकी प्रेसीडेंसी में अफ्रीका को आवाज मिली है। इस एक साल में पूरी दुनिया ने जी-20 में ग्लोबल साउथ की गूंज भी सुनी
है।”
उन्होंने पिछले हफ्ते भारत के तत्वावधान में आयोजित दूसरे वायस ऑफ ग्लोबल साउथ सम्मेलन का जिक्र करते हुये कहा कि इसमें, करीब-करीब 130 देशों ने, नयी दिल्ली जी-20 समिट में लिए गये फैसलों की मन से सराहना की है। जी-20 ने इनोवेशन और डिजिटल टेक्नोलॉजी का समर्थन करते हुए मानव केद्रित दृष्टिकोण अप्रोच को अपनाने पर बल दिया है।जी-20 ने बहुपक्षवाद में फिर से विश्वास बढ़ाया है।
श्री मोदी ने इस अवसर पर विश्व के देशों को भारत में स्थानीय स्तर पर स्वस्थ विकास के एक उत्तम उदाहरण के रूप में पिछड़े जिलों के विकास की योजना का अध्ययन करने के लिये भी आमंत्रित किया उन्होंने कहा, ‘आप देखिएगा कि कैसे इस एक अभियान ने भारत के 25 करोड़ लोगों का जीवन बदल दिया है।’
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर यह भी बताया कि नयी दिल्ली में सितंबर में आयोजित जी20 शिखर बैठक में डिजिटल सेवाओं के लिये सावर्जनिक अवसंरचना सुविधा (डीपीआई) की रिपॉजिटरी (कोष)बनाने के निर्णय के अनुसार यह रिपाजिटरी तैयार हो गयी है और इसमें 16 देशों के 50 से भी ज्यादा डीपीआई जुड़ गये हैं।
श्री मोदी ने दक्षिणी गोलार्ध के देशों मे डीपीआई लागू करने करने के लिये, सामाजिक प्रभाव कोष स्थापित करने का प्रस्ताव भी रखा और भारत की ओर से इसमें 2.5 करोड़ डॉलर की प्रारंभिक राशि दिये जाने की घोषणा की।
प्रधानमंत्री ने आज आर्टिफिसियल इंटेलीजेंस (एआई) के युग में, टेक्नॉलॉजी के उत्तरदायित्वपूर्ण उपयोग पर बल बल देते हुये कहा कि एआई के नाकारत्मक इस्तेमाल को लेकर चिंता बढ़ रही है। टेक्नोलॉजी के जरिये बारीक धोखा, समाज और व्यक्ति के लिये, कितना खतरनाक है, इसकी गंभीरता को समझते हुये हमें आगे बढ़ना होगा।
उन्होंने कहा, “ भारत की स्पष्ट सोच है कि एआई के वैश्विक विनियमन को लेकर हमें मिलकर काम करना चाहिये। हम चाहते हैं कि उन्होंने कहा कि एआई व्यक्ति और समाज के लिए होना चाहिये औरी सोच के साथ भारत में अगले महीने ग्लोबल एआई पार्टनरशिप समिट आयोजित की जा रही है। उन्होंने इस आयोजन में जी20 के सहयोग की अपील की।
श्री मोदी ने नयी दिल्ली शिखर सम्मेलन में पर्यावरण संरक्षण के संबंध में ग्रीन क्रेडिट के भारत के प्रस्ताव का जिक्र किया और कहा कि भारत में इसकी शुरुआत की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि नयी दिल्ली घोषित किये गये वैश्विक बायो ईंधन गठबंधन के जरिये, हम कार्बन को कम करने के साथ-साथ, वैकल्पिक ईंधन के विकास को भी बढ़ावा दे रहे हैं।
उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिये मिशन लाइफ पर बल दिया और 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा उत्पान क्षमता को तीन गुना तक ले जाने का आह्वान किया ।
श्री मोदी ने जलवायु परिवर्तन की समस्य से निपटने के लिये विकसित देशों मिलने वाली वित्तीय सहायता को सौ अरब डालर से बढ़ाकर हजार अरब डालर किये जाने की जरूरत पर बल दिया और कहा कि इस माह के अंत में दुबई में शुरू हो रहे संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन में हमें उपरोक्त इन सभी पहलों पर पर ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
उन्होंने नेताओं को भारत में नये संसद भवन में आयोजित पहले सत्र में पारित महिला आरक्षण विधेयक की भी जानकारी दी।

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