कानपुर। कानपुर देहात में भी देवरिया जैसी घटना सामने आई है। जहा दो सगे भाइयों की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। परिवार के अन्य चार सदस्यों को भी बेरहमी से पीटा गया। सभी घायलों का इलाज कानपुर के हैलट अस्पताल में भर्ती कराया गया। पूरे मामले में पुलिस और प्रशासन की लापरवाही निकलकर सामने आ रही है। पुलिस, प्रशासन और सीएम विंडो तक शिकायत हुई मगर कोई एक्शन नहीं हुआ। शनिवार को इस मामले में गजनेर थाने के प्रभारी निरीक्षक समेत 8 पुलिस कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया गया। इसके साथ ही सभी के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए हैं।
आपको बता दें कि मामला जिले की गजनेर थाना क्षेत्र के निनाया गांव का है। दो लोगों की हत्या के बाद गांव में पुलिस फोर्स तैनात की गई है। वहीं, ग्रामीणों ने दबी जुबान जो कुछ बताया, उससे यह तो तय है कि गांव में इस क्राइम सीन की कहानी पहले ही लिखी जा चुकी थी। नानिया गांव में सत्य नारायण विश्वकर्मा और मोहन शुक्ला के बीच गुरुवार की शाम पिकअप खड़ी करने को लेकर विवाद हुआ। विवाद कुछ देर में शांत हो गया। इसके बाद रात 11:30 बजे मोहन शुक्ला अपने परिवार के साथ लाठी-डंडे और कुल्हाड़ी लेकर सत्य नारायण लोहार के घर पहुंच गया। यहां सत्य नारायण अपने घर के बाहर चारपाई पर सो रहा था। इसके बाद सभी उसे पीटने लगे। बीच-बचाव करने आए सत्य नारायण के पूरे परिवार को पीटना शुरू कर दिया गया। मनोज एंड फैमिली ने एक-एक कर सभी को मरणासन्न कर दिया। इस घटना में सत्य नारायण विश्वकर्मा (72) और उनके भाई रामवीर विश्वकर्मा (56) की मौत हो गई। जबकि रामवीर की पत्नी मधु, बेटी मीनू, काजल और बेटा संजू घायल को उसी रात गजनेर CHC में भर्ती कराया गया। सभी की नाजुक हालत देखते हुए उन्हें कानपुर रेफर कर दिया गया।
एसपी बीवीजीटीएस मूर्ति की जांच पड़ताल में पुलिसकर्मियों की लापरवाही की भी पोल खुली। इसके चलते थाने के प्रभारी निरीक्षक संजेश कुमार, पामा चौकी प्रभारी कौशल कुमार, यूपी 112 के उप निरीक्षक विशुन लाल, मुख्य आरक्षी कमल सोनकर, अमर सिंह, रवींद्र सिंह, नरेश प्रजापति, ब्रजेंद्र पाल को निलंबित कर दिया है। सभी के खिलाफ विभागीय जांच भी बिठाई गई है।
SP बीबीजीटीएस मूर्ति ने कहा, ”सत्य नारायण विश्वकर्मा उर्फ सत्य नारायण लोहार के भाई रामवीर विश्वकर्मा को पीएम आवास योजना के तहत पैसे मिले थे। इन्हीं पैसों से वो मकान का निर्माण करवा रहे थे। उन्होंने जिस जमीन पर मौरंग-गिट्टी गिरवाई थी, उसे मोहन शुक्ला अपनी बता रहा था। गुरुवार की शाम वो पिकअप लेकर यहां पहुंचा। दोनों पक्षों में पिकअप खड़ी करने को लेकर ही विवाद हुआ। इसके बाद देर रात मारपीट हुई, जिसमें रामवीर विश्वकर्मा और सत्य नारायण विश्वकर्मा की मौत हो गई।”
डीएम आलोक सिंह ने कहा, ”दो पक्षों में आपस में विवाद और लड़ाई हुई। आपस में हाथापाई हुई। इसमें थोड़ी ज्यादा मारपीट हो गई। दो लोगों की मौत हो गई। चार को गिरफ्तार किया गया है। घटना की वजह रामवीर को जो आवास मिला था, उस जमीन में गाड़ी खड़ी करने को लेकर हुआ था। जिस पर दूसरी पार्टी ने मारपीट की। जमीन तो रामवीर लोहार की थी, तभी तो उसे आवास मिला था। मामले में आगे की कार्रवाई जारी है।”
ग्राम प्रधान संतोष कुमार ने कहा, ”रामवीर विश्वकर्मा और उनके भाई का मोहन शुक्ला से विवाद चल रहा था। सुबह दोनों पक्षों के बीच मारपीट शुरू हो गई। 17 बिस्वा जमीन रामवीर ने ली थी। लेकिन इसकी कोई लिखा-पढ़ी नहीं हुई थी। रामवीर विश्वकर्मा ने यह जमीन मोहन शुक्ला के पिता से ली थी।”
पड़ोसी जय बहादुर सिंह ने कहा, ”जमीन का विवाद था। सत्य नारायण के परिवार वालों ने काफी समय पहले जमीन खरीदी थी। विपक्षी पार्टी मोहन शुक्ला के बाबा लोगों ने मौखिक रूप से यह जमीन सत्य नारायण विश्वकर्मा को बेची थी। इसकी कोई लिखा-पढ़ी नहीं थी। इस पर कई मकान खड़े हैं। सैनी से लेकर सविता तक के मकान हैं।
ग्रामीणों ने कहा, ”पहली बार जब गाली-गलौज हुई, तब मोहन शुक्ला ने 100 नंबर पर फोन कर पुलिस बुला लिया था। इसके बाद पुलिस आई और पता नहीं क्या समझौता करा गई? कुछ समझ नहीं आया। सब अपने-अपने घर को चले आए। थोड़ी देर बाद वही आधा घंटा हुआ होगा कि फिर यह सब कुछ हो गया।”