नयी दिल्ली। सरकार ने अंतरिक्ष उद्योग क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई)की नीति को और उदार बनाते हुये उपग्रह एवं उपग्रह प्रक्षेपण यान तथा उनके हिस्सेपूर्जाे और प्रणालियाें के विनिमार्ण तथा उपग्रह प्रक्षेपण स्थल के निमार्ण के विभिन्न खंडों में स्वत: स्वीकृत मार्ग से 74 से 100 प्रतिशत तक विदेशी भागीदारी को अनुमति देने का फैसला बुधवार को किया।
प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में आज मंत्रिमंडल की बैठक में लिये गये फैसले के अनुसार उपग्रहों पर स्थापित किये जाने वाले यंत्रों और प्रणालियों तथा उपयाेग कर्ताओं के काम आने वाले यंत्रों के कलपूर्जाे और प्रणालियों तथा उप प्रणालियों के विनिर्माण में स्वत: स्वीकृत मार्ग से शत प्रतिशत विदेशी हिस्सेदारी की नीति को मंजूरी दी।
इसी तरह उपग्रहों के निर्माण एवं परिचालन ,उपग्रह डाॅटा उत्पाद और जमीन स्थापित किये जाने वाली प्रणालियों और उपयोगकर्ता खंड में स्वत: स्वीकृत मार्ग से 74 प्रतिशत विदेशी हिस्सेदारी को मंजूरी दी गयी है। इन क्षेत्रों में काम करने वाली विनिर्माण कम्पनियों में 74 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी के लिए सरकार से पूर्व अनुमति प्राप्त करनी होगी। उपग्रह प्रक्षेपण यानों और उससे जुड़ी प्रणालियों या उप प्रणलियों या अंतरिक्ष यानों के प्रक्षेपण और अवतरण के अड्डों के निर्माण के क्षेत्र में 49 प्रतिशत की विदेशी हिस्सेदारी के लिए सरकार से किसी अनुमति की जरुरत नहीं होगी । इससे अधिक हिस्सेदारी के लिए सरकार से पूर्व अनुमति लेना होगा।
फैसले की जानकारी देते हुये सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि इससे अंतरिक्ष उद्योेग में निजी क्षेत्र को कार्य करने का प्राेत्साहन मिलेगा और इससे रोजगार के अवसर पैदा करने तथा आधुनिक प्रोद्योगिकी को अपनाने की क्षमता बढ़ेगी और यह क्षेत्र में देश की आत्मनिर्भरता बढेगी।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने पिछले साल नयी भारतीय अंतरिक्ष नीति घोषित की थी। जिसमे अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की संभावनाओं का लाभ उठाने के लिए निजी भागीदारी को बढाने की बात की गयी है। आज का मंत्रिमंडल का निर्णय उसी दिशा में उठाया गया कदम है।