शामली। जनपद में स्वास्थ्य विभाग को कितनी भी सुख सुविधा देने का दावा सरकार करे। लेकिन भ्रष्टाधिकारियों और लापरवाह अधिकारियों की भेंट स्वास्थ्य विभाग चढ़ता नजर आ रहा है। जहां होली के पर्व के दौरान झगड़े के मामलों में घायल और सड़क दुर्घटना में हुई घायल अस्पताल जाते है। वही घायल लोगों का उपचार डॉक्टर मोबाइल की टॉर्च में करते दिखाई दें रहे है। जहा न तो बिजली है, ना इनवर्टर है ,और ना ही जनरेटर की कोई सुविधा है। हालांकि सभी सुविधा होने का स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी दावा करते हैं।
प्रदेश सरकार जहां आमजन मानस के लिये सरकारी अस्पताल में सुख सुविधा को हाईटेक बनाने के बंदोबस्त करने के दावे अपनी मंच से अपने भाषणों में करती है। लेकिन भ्रष्टाचार और लापरवाह अधिकारियों के चलते हुए सब हाईटेक बंदोबस्त व सुख सुविधा भेंट चढ़ जाती हैं। सड़क दुर्घटना में घायल होने वाले मरीजों के लिए और झगड़ा या अन्य किसी भी मामले में अस्पताल उपचार के लिए पहुंचने वाले लोगों के लिए इमरजेंसी की सुविधा तो दूर वहां पर सही से मरीज के घाव को देख रेख करने की व्यवस्था भी नहीं है। जब मोबाइल की टॉर्च में घायलों का मर्म पट्टी या टांके लगाए जाते हैं, तो अंदाजा लगाया जा सकता है, कि किस तरीके से डॉक्टर उनका उपचार करते होंगे।
ऐसा ही एक मामला शामली जनपद के कांधला थाना क्षेत्र के सीएचसी अस्पताल में देखने को मिला है। जहां पर होली के पर्व के दौरान हुए झगड़ों के मामले मे घायल दर्जन लोगों का और सड़क दुर्घटना में घायल होने के बाद मरीज का उपचार मोबाइल की टॉर्च में कराया गया है। अब सरकार जहां हाईटेक सुविधा देने और अच्छी स्वास्थ्य व्यवस्था करने के दावे करती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। वहीं मरीजों को मिलने वाली अच्छी सुख सुविधा के बारे में सोचना, तो उसकी कल्पना करना भी मुश्किल है। क्योंकि प्रथम उपचार ही अच्छे से मिल जाए तो शायद मरीज बच जाए। वही इस मामले में घायलों को लेकर आने वाले पुलिस कर्मी का कहना है, कि हम लोग सुबह से अब तक 20 घायलों को लेकर आ चुके हैं, जिसमें झगड़ा करने वाले और दो सगे भाई सड़क दुर्घटना में घायल हुए हैं। लेकिन अस्पताल के कमरे में सभी का उपचार मोबाइल की टॉर्च में किया गया है। कांधला के सरकारी अस्पताल में ना तो लाइट है, और ना ही इनवर्टर ,और जनरेटर की व्यवस्था दो कोसों दूर है ।