Tuesday, February 11, 2025

प्रयागराज महाकुंभ पहुंचीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु,त्रिवेणी संगम में लगाएंगी आस्था की डुबकी

महाकुंभनगर (प्रयागराज)। देश की प्रथम नागरिक राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु आज प्रयागराज की पावन धरा पर त्रिवेणी संगम में पावन स्नान करेंगी। वो इसकी भव्यता व दिव्यता की साक्षी बनने संगम पहुंच गई हैं। त्रिवेणी संगम पर राष्ट्रपति मुर्मु ने प्रवासी पक्षियों को दाना खिलाया। इसके पूर्व प्रयागराज पहुंचने पर उनका राज्यपाल आनंदीबेन पटेल एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं प्रदेश सरकार के अन्य मंत्रियों ने भव्य स्वागत किया गया।

 

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वो आठ घंटे से अधिक समय तक प्रयागराज में रहेंगी और इस दौरान संगम स्नान के साथ ही यहां अक्षयवट और बड़े हनुमान मंदिर में दर्शन-पूजन करेंगी। राष्ट्रपति के दौरे को देखते हुए प्रयागराज में सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद कर दी गई है।सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि राष्ट्रपति मुर्मु सुबह संगम नोज पहुंचकर त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगाएंगी। मां गंगा, यमुना और अन्त:सलीला सरस्वती के संगम में राष्ट्रपति आस्था की डुबकी लगाकर सनातन आस्था को मजबूत आधार देंगी। देश की प्रथम नागरिक का संगम में पावन डुबकी लगाने का यह ऐतिहासिक क्षण होगा। गौरतलब है कि इससे पहले भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने भी महाकुंभ में पावन स्नान किया था।

 

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु इसके उपरांत धार्मिक आस्था को और अधिक मजबूती देने के लिए अक्षयवट का दर्शन-पूजन करेंगी। सनातन संस्कृति में अक्षयवट को अमरता का प्रतीक माना जाता है। यह हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण स्थल है, जिसकी महत्ता पुराणों में भी वर्णित है। इसके अलावा वो बड़े हनुमान मंदिर में भी दर्शन करेंगी और पूजा-अर्चना कर देशवासियों के सुख-समृद्धि की कामना करेंगी।आधुनिक भारत और डिजिटल युग के साथ धार्मिक आयोजनों को जोड़ने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल को राष्ट्रपति समर्थन देंगी।

 

 

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वे डिजिटल महाकुंभ अनुभव केंद्र का अवलोकन करेंगी। यहां देश-विदेश के श्रद्धालुओं को इस अद्भुत आयोजन को और अधिक निकटता से अनुभव करने के लिए स्थापित किया गया है। राष्ट्रपति शाम शाम पौने छह बजे प्रयागराज से नई दिल्ली के लिए रवाना होंगी। राष्ट्रपति का यह दौरा न केवल प्रयागराज के लिए ऐतिहासिक होगा, बल्कि देशभर के श्रद्धालुओं के लिए भी एक प्रेरणादायी क्षण होगा। उनकी उपस्थिति से महाकुम्भ के धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व को एक नई ऊंचाई मिलेगी।

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