Sunday, January 5, 2025

प्रधानमंत्री मोदी ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के उर्स पर पेश की चादर

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को अजमेर शरीफ दरगाह पर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के उर्स के मौके पर एक चादर पेश की। संसदीय कार्य मंत्री और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजू ने एक्स पर पोस्ट शेयर कर यह जानकारी दी। संसदीय कार्य मंत्री और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के उर्स पर अजमेर शरीफ दरगाह पर अपनी ओर से चढ़ाई जाने वाली चादर पेश की। यह भाव भारत की समृद्ध आध्यात्मिक विरासत और सद्भाव और करुणा के स्थायी संदेश के प्रति उनके गहरे सम्मान को दर्शाता है।” पीएम मोदी ने रिजिजू की पोस्ट को रिपोस्ट करते हुए लिखा, “ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के उर्स के मौके पर बधाई। यह अवसर सभी के जीवन में खुशियां और शांति लेकर आए।”

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का उर्स हर साल अजमेर शरीफ में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह आयोजन न केवल मुस्लिम समुदाय, बल्कि देशभर के अन्य धर्मों के लोगों के लिए भी एक आध्यात्मिक अनुभव होता है। अखिल भारतीय सूफी सज्जादानशीन परिषद के अध्यक्ष सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने प्रधानमंत्री मोदी के इस कदम का स्वागत किया है। उन्होंने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “यह एक पुरानी परंपरा रही है। 1947 में जब से देश आजाद हुआ है, तब से जो भी भारत का प्रधानमंत्री होता है वह सालाना उर्स के मौके पर चादर भेजता है। यह परंपरा हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद बनाए रखी है। यह हिंदुस्तान की संस्कृति और सभ्यता का हिस्सा है, जिसमें हर धर्म, हर संप्रदाय और हर सूफी संत का सम्मान किया जाता है।” उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले 10 वर्षों से इस परंपरा को न केवल जारी रखा है, बल्कि इसे पूरी श्रद्धा और अकीदत के साथ निभाया है। वे हर साल चादर भेजते हैं और इस परंपरा को पूरी गरिमा के साथ निभाते हैं।

आज भी हमारे पास जानकारी है कि प्रधानमंत्री मोदी अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू को गुरुवार की शाम चादर सौंपेंगे। यह एक सकारात्मक संदेश है और उन लोगों के लिए जवाब है, जो कुछ महीनों से मंदिर-मस्जिद के विवाद को हवा दे रहे हैं। हमारे देश की सभ्यता और संस्कृति यही है कि सभी धर्मों और मज़हबों का सम्मान किया जाए। प्रधानमंत्री मोदी का ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका सम्मान’ का सिद्धांत इस परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण है। यह एक सकारात्मक संदेश है और मैं हमेशा इसका समर्थन करता रहूंगा। जब चादर आएगी, तो हम उसकी मेजबानी के लिए तैयार रहेंगे। यह उन लोगों को जवाब है, जो देश को तोड़ने की बात कर रहे हैं और मजहब के नाम पर विवाद खड़ा कर रहे हैं।”

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