नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 17वीं लोकसभा के दौरान हुए कामकाज और उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि वर्तमान लोकसभा की कार्य उत्पादकता 97 प्रतिशत रही है, जो पिछली 5 लोकसभा में सबसे अधिक है।
17वीं लोकसभा के आखिरी सत्र के आखिरी दिन सदन की कार्यवाही को स्थगित करने से पहले सांसदों को संबोधित करते हुए बिरला ने सदन में कहा कि 17वीं लोकसभा जिसकी पहली बैठक 17 जून, 2019 को हुई थी, कई मायनों में ऐतिहासिक रही। वर्तमान लोकसभा के 543 सदस्यों में से 540 सदस्यों की सदन में चर्चा में भागीदारी रही। 17वीं लोकसभा में महिलाओं का अधिकतम प्रतिनिधित्व रहा है और सदन की कार्यवाही में उनकी सक्रिय भागीदारी रही।
कार्य उत्पादकता पर बोलते हुए बिरला ने कहा कि 17वीं लोकसभा में कुल मिलाकर 274 बैठकें हुईं, जो 1,354 घंटे तक चली। सदन ने नियत समय से 345 घंटे की अधिक अवधि तक बैठकर अपना कार्य किया। इस लोकसभा में व्यवधान के कारण कुल 387 घंटे का समय व्यर्थ हुआ। 17वीं लोकसभा की कुल कार्य उत्पादकता लगभग 97 प्रतिशत रही है, जो पिछली 5 लोकसभाओं में सबसे अधिक है।
बिरला ने आगे कहा कि 17वीं लोकसभा ने 222 कानून पारित किए। इस अवधि के दौरान 202 विधेयक पुन:स्थापित किए गए तथा 11 विधेयकों को सरकार द्वारा वापस लिया गया। वर्तमान लोकसभा द्वारा पारित किए गए ऐतिहासिक कानूनों पर बोलते हुए बिरला ने कहा कि संसद के नये भवन के अंदर सर्वप्रथम नारी शक्ति वंदन विधेयक, 2023 को चर्चा के लिए लिया गया और सभी दलों के सहयोग से यह ऐतिहासिक विधेयक उसी दिन पारित किया गया।
इसके अतिरिक्त, सदन ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, भारतीय न्याय संहिता, भारतीय साक्ष्य बिल, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, सामाजिक सुरक्षा संहिता, डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन विधेयक, मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, उपभोक्ता संरक्षण विधेयक, प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास विधेयक, औद्योगिक संबंध संहिता जैसे कई ऐतिहासिक कानून पारित किए।
उन्होंने कहा कि 17वीं लोकसभा के दौरान आजादी के पूर्व बनाए गए अनेक अनुपयोगी कानूनों को निरस्त किया गया और आजादी के पूर्व बनाए गए कानूनों के स्थान पर नए कानून बनाए गए। इस लोकसभा की अवधि के दौरान सदन द्वारा तीन संविधान संशोधन विधेयक पारित किए गए। उन्होंने बताया कि वर्तमान लोकसभा में 4,663 तारांकित प्रश्न सूचीबद्ध हुए, जिसमें 1,116 प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिए गए। इसी अवधि में 55,889 अतारांकित प्रश्न भी पूछे गए, जिनके लिखित उत्तर सदन में दिए गए। इस लोकसभा में दो अवसरों पर सूचीबद्ध सभी प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिए गए।
इस लोकसभा में 729 गैर-सरकारी विधेयक सदन में प्रस्तुत किए गए। 17वीं लोकसभा के दौरान संबंधित मंत्रियों ने 26,750 पत्र सभा पटल पर रखे गए। शून्य काल के अंतर्गत 5,568 मामले उठाए गए जबकि नियम 377 के अंतर्गत 4,869 विषय उठाए गए। 18 जुलाई 2019 को शून्य काल के अंतर्गत एक दिन में कुल 161 विषय उठाए गए और 17वीं लोकसभा के पहले सत्र में शून्य काल में 1,066 मामले उठाए गए, जो एक कीर्तिमान है।
कार्यपालिका की जवाबदेही को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से इस लोकसभा में पहली बार शून्य काल में उठाए गए विषयों के उत्तर के लिए संबंधित मंत्रालयों से अनुरोध किया गया और अधिक के उत्तर संबधित मंत्रालय से प्राप्त हुए।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि 17वीं लोकसभा के दौरान मंत्रियों द्वारा विभिन्न विषयों पर 534 वक्तव्य दिए गए। इस लोकसभा के दौरान नियम 193 के अंतर्गत 12 चर्चाएं की गई। संसदीय समितियों ने इस लोकसभा में कुल 691 प्रतिवेदन प्रस्तुत किए। संसदीय समितियों की 69 प्रतिशत से अधिक सिफारिशों को सरकार द्वारा स्वीकार किया गया।
17वीं लोकसभा में नवाचारों पर बोलते हुए बिरला ने प्रिज्म, संसद सदस्यों के लिए ब्रीफिंग सत्र, सदस्यों को पुस्तकों की होम डिलीवरी, कार्यवाही का डिजिटलीकरण, मोबाइल ऐप, व्हाट्सप्प पर सदस्यों के वीडियो फुटेज की डिलीवरी आदि का भी उल्लेख किया। 17वीं लोकसभा में पेपरलेस ऑफिस के विजन को साकार करते हुए संसदीय कामकाज में डिजिटल माध्यम का अधिकतम उपयोग किया जा रहा है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में 97 प्रतिशत से अधिक प्रश्नों के नोटिस इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से दिए जा रहे हैं।
17वीं लोकसभा में मितव्ययिता उपायों पर बोलते हुए बिरला ने बताया कि पूरी लोकसभा के दौरान लगभग 875 करोड़ रुपये की बचत हुई, जो सचिवालय के बजट का 23 प्रतिशत था। इस लोकसभा में कैंटीन सब्सिडी को पूर्णतः समाप्त कर दिया गया, जिससे लगभग 15 करोड़ रुपये की वार्षिक बचत हुई। संविधान सभा में फसाड लाइटिंग की व्यवस्था और लोकसभा टीवी और राज्यसभा टीवी के विलय से करोड़ों रूपए की बचत हुई। इस लोकसभा के दौरान भारत में 16 देशों के संसदीय शिष्टमंडल का आगमन हुआ। साथ ही देश से 42 शिष्टमंडलों की विदेश यात्रा हुई।
उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय संसदीय मंचों पर हमारी सक्रिय भागीदारी वैश्विक स्तर पर भारत की बढ़ती शक्ति एवं प्रतिष्ठा का परिचायक है।