मोरना। जीवनदायिनी गंगा हिन्दू धर्म की आस्था से जुडी हुई है। मोक्षदायिनी मां गंगा में करोडों श्रद्धालु प्रतिदिन स्नान कर पुण्य लाभ कमाते हैं। वहीं गंगा के तटों पर जैव विविधता फैली हुई असंख्य जलीय जन्तुओं का जीवन गंगा से जुडा है। गंगा को साफ स्वच्छ रखने व स्वच्छ करने को लेकर अनेक योजनाएं बनती है किन्तु धरातल पर उनका उतरना अभी शेष है।
प्रसिद्ध तीर्थस्थल शुकतीर्थ में दूषित जल का आना लगातार जारी है, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान की आशंका जताई गयी है। तीर्थनगरी शुकतीर्थ में गंगा में दूषित जल का आना वर्षों से जारी है। अनेकों बार विषैला पानी आ जाने से असंख्य जली जन्तुओं की मौत हो चुकी है।
प्रदूषण विभाग द्वारा भी अनेकों बार पानी के सैम्पल लेकर जल को विषैला साबित किया जा चुका है तथा गंगा सेवा समिति के महामंत्री डॉ. महकार सिंह द्वारा उत्तराखण्ड के लक्सर में स्थित फैक्ट्रियों पर दूषित पानी छोडने को लेकर मुकदमा दर्ज
कराया जा चुका है, किन्तु कोई भी ठोस कार्रवाई न होने तथा लक्सर की फैक्ट्रियों द्वारा फैक्ट्री से निकलने वाले दूषित जल को साफ करने की कोई व्यवस्था की गयी है, जिसके चलते बाण गंगा में दूषित जल बह रहा है। बाढ के दौरान बाण गंगा का दूषित पानी सोलानी नदी में भी चला गया, जिससे शुकतीर्थ में स्थित गंगा में पिछले दस दिनों से लगातार दूषित जल बह रहा है।
बीते शनिवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा गंगा घाट पर गंगा की मुख्यधारा लाने के दावे के साथ पवित्र गंगाजल का आमचन किया गया था, किन्तु मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के बावजूद गंगा में दूषित पानी जल का बहना जारी है। बार-बार शिकायत के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई न होने से तीर्थवासी निराश हैं, तो पर्यावरण को गम्भीर खतरे की आशंका पैदा हो गयी है।