नयी दिल्ली- भारतीय रेलवे ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा शुक्रवार को नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पहुंच कर रेलकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार का विमर्श स्थापित करने की कोशिश को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा है कि श्री गांधी अपनी छवि चमकाने के लिए रेलवे को विकास की पटरी से उतार कर सियासी अखाड़ा बनाने पर आमादा हैं।
रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों ने पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा कि यह बहुत ही दुःखद बात है कि भारतीय रेलवे को लेकर पिछले कुछ समय से सियासत जोरों पर है। इससे पहले रेलवे में अक्सर नई ट्रेनों की शुरुआत होने की, रिकॉर्ड स्तर पर रेल कोच तैयार होने की, देशभर में तेजी से हो रहे रेलवे इलेक्ट्रिफिकेशन की और तमाम उपलब्धियों की खबरें की पढ़ने और देखने में आती थीं, लेकिन अचानक रेलवे की छवि पर अब सवाल उठने लगे हैं। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी हो जाता है कि क्या रेलवे को अब सियासी फायदे के लिए कोई अपना हथियार बना रहा है? कोई अपनी राजनीतिक छवि चमकाने के लिए रेलवे की छवि पर दाग लगाने की कोशिश कर रहा है?
रेल अधिकारियों का कहना है कि इसका दिलचस्प पहलू यह है कि जिस संयुक्त प्रगतिशील सरकार (संप्रग) सरकार के कार्यकाल में रेलवे की प्रगति बहुत धीमी थी और उस सरकार में रेलवे का नेतृत्व करने वाले नेता आज की भारतीय रेलवे पर सिर्फ सवाल ही नहीं उठा रहे हैं, बल्कि तरह-तरह के निराधार आरोप भी लगा रहे हैं।
इस संबंध में रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कुछ दिनों पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने रेलवे को लेकर भ्रामक खबरें फैलाईं और अब लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी लोगों के बीच रेलवे की गलत छवि बनाने में लगे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि रील बनाकर उस रेलवे को बदनाम करने की कोशिश हो रही है, जो रोज दो करोड़ यात्रियों की सेवा में दौड़ रही है। रील बनाकर अपनी छवि सुधारने वाले लोगों को यह जरूर सोचना और समझना चाहिए कि देश रील से नहीं, काम करने से चलता है और भारतीय रेलवे भी रील बनाने से नहीं बल्कि लाखों अपने कर्मठ कर्मचारियों की मेहनत एवं लगन से चल रहा है। छवि रील बनाने से नहीं, देश के विकास के लिए, लोगों की सहूलियत के लिए काम करने से, उनकी सेवा करने से बनती है। उन्होंने कहा कि नेताओं को देशहित में काम करना चाहिए न कि रील बनाकर अपनी छवि सुधारने का काम करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि शुक्रवार को ही रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने विपक्ष के नेताओं से भारतीय रेलवे को राजनीति से दूर रखने की अपील की थी, लेकिन श्री गांधी भारतीय रेलवे को अब अपना सियासी अखाड़ा बनाने पर आमादा हैं।
अधिकारियों के अनुसार कल कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचकर करीब 50 लोको पायलटों से मुलाकात की तो उनकी पार्टी की तरफ से इसे लोको पायलटों एवं क्रू मेंबर की समस्या जानने की कोशिश करार देते हुए सोशल मीडिया में रेलवे के खिलाफ नकारात्मक माहौल बनाने का अभियान छेड़ दिया गया, लेकिन इसका असल पहलू लोगों से छुपाया जा रहा है।
वरिष्ठ रेलवे अधिकारी के अनुसार, हकीकत यह है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपने पूरे लाव-लश्कर के साथ नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पहुंचे थे। उनके साथ 15-20 सुरक्षा स्टॉफ, करीब 08-10 कैमरामैन और एक महिला भी थीं, जो कैमरे का फोकस किस तरफ रखना है, श्री राहुल गांधी जब बोल रहे हों तो कैमरे का एंगल किस तरफ रखना है, ये सब बता चल रही थीं। इसके अलावा करीब 10-12 कांग्रेस कार्यकर्ता श्री गांधी के साथ थे और 08-10 क्रू थे, लेकिन लोकसभा में नेता विपक्ष द्वारा जिन क्रू को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन का बताया जा रहा है, वो वहां के स्टाफ नहीं थे, सुनियोजित तरीके से ये क्रू और कुछ टिकट की जांज करने वाले टीटी बाहर से बुलाए गए थे।
अधिकारियों के मुताबिक श्री राहुल गांधी जब क्रू लॉबी में दाखिल हुए तो उनके साथ 08-10 कैमरामैन भी लॉबी में प्रवेश कर गए और वहां महिला डॉयरेक्टर की उपस्थिति में उनके बताए हुए निर्देशन में फिर राहुल गांधी की बातचीत का वीडियो शूट होने लगा।