सोनीपत – कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा “लाखों लोगों ने हिंदुस्तान के संविधान की लड़ाई लड़ी थी। जो कुछ भी मिला वह सब इसी किताब की देन है। आज बीजेपी नेता खुलकर कह रहे हैं कि चुनाव जीते तो इस किताब को बदल देंगे।” उन्होंने कहा कि संविधान केवल किताब नहीं बल्कि ट्रांसफर ऑफ पावर है। इस देश में 90 फीसदी दलित, आदिवासी, ओबीसी हैं लेकिन देश के नेरेटिव में उनकी कोई हिस्सेदारी नहीं है। हर फ्रंट पर केवल दस प्रतिशत लोग ही मौजूद हैं। राहुल गांधी ने मीडिया के एक वर्ग की आलोचना करते हुए कहा कि मीडिया के एजेंडे आज किसान, मजदूर, नाई, बड़ई, सफाई कर्मचारी सब बाहर हो चुके हैं। देश के सिस्टम से 90 प्रतिशत को बाहर किया जा रहा है, जबकि इन्हीं के नाम पर सब योजनाएं बनाई जाती हैं। आज मंचों पर भारत की बात होती है और 90 प्रतिशत की भागेदारी नहीं है। राहुल गांधी ने कहा कि कांगेस की सरकार सत्ता में आने पर सबसे पहले जातिगत जनगणना करवाई जाएगी। इसके बाद यह सर्वे किया जाएगा कि देश की न्याय व्यवस्था में इन 90 प्रतिशत की कितनी भागेदारी है। इसके बाद देश का इकनॉमिक फाइनेंशयल सर्वे करवाकर यह पता करेंगे कि आर्थिक रूप से यह 90 प्रतिशत भारत कितना मजबूत है। राहुल गांधी ने कहा कि संविधान को बचाने की लड़ाई 50 साल की नहीं हजारों साल पुरानी है। उन्होंने सम्मेलन में विभिन्न राज्यों से आए हुए संविधान पैरोकारों द्यह्य से कहा कि पिछले दस वर्षों से भारत के जिस हिस्से को अनदेखा करके केवल दस प्रतिशत लोगों को भारत माना जा रहा है वह मिलकर अगले बीस साल का ऐसा विजन बनाएं जिसमें 90 प्रतिशत भारत की भागेदारी हो। इस काम को एक मिशन की तरह लिया जाए।