Friday, November 22, 2024

देश में बारिश ने मचाया कहर, हुआ भारी नुकसान, 41 लोगों की मौत, जनजीवन प्रभावित

नयी दिल्ली – तीन दिनों से राजधानी दिल्ली समेत उत्तर और पश्चिम भारत में भारी बारिश ने तबाही मचा दी है। हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश , उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में बारिश और वर्षाजनित हादसों में 41 लोगों की मौत हो चुकी है।

बारिश का कहर सबसे ज्यादा हिमाचल प्रदेश में देखने को मिल रहा है, वहां 17 लोगों की मौत हुई है।

उत्तर प्रदेश में नौ, उत्तराखंड में छह, पंजाब में पांच तथा जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में दो-दो लोगों की मौत हुई हैं।

राजधानी दिल्ली में बारिश के कारण सोमवार को सभी स्कूल बंद रहे जबकि हिमाचल प्रदेश में सभी स्कूल सोमवार और मंगलवार को बंद रहेंगे। हिमाचल प्रदेश में लगातार मूसलाधार बारिश के करण सोमवार को उच्च न्यायालय सहित राज्य की सभी जिला न्यायपालिका में अवकाश घोषित किया गया।

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल ने सोमवार को यहां जारी अधिसूचना में अधिकारियों को यह सूचित करने का निर्देश दिया गया कि लगातार बारिश के कारण वादकारियों, वकीलों, कर्मचारियों और न्यायिक अधिकारियों की कठिनाइयों के मद्देनजर उच्च न्यायालय और सभी जिला न्यायापालिकों में सोमवार को अवकाश घोषित किया गया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज यहां देश के कई हिस्सों में हो रही भारी बरसात के कारण बाढ़ और उससे जानमाल के नुकसान को रोकने के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार इस बैठक में केन्द्रीय मंत्रिमंडल के कई वरिष्ठ मंत्री और शीर्ष अधिकारी उपस्थित थे। प्रधानमंत्री ने देश के कुछ हिस्सों में अत्यधिक वर्षा के मद्देनजर बन रही स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने स्थानीय प्रशासन, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की टीमों द्वारा प्रभावित लोगों को बचाने एवं उन्हें राहत सुनिश्चित करने के लिए योगदान की भी जानकारी ली।

दिल्ली की राजस्व मंत्री आतिशी ने यमुना के बढ़ते जल स्तर के मद्देनजर सोमवार अधिकारियों के साथ मोटर बोट पर यमुना के विभिन्न हिस्सों में जाकर मुआयना किया और किसी भी आपातकालीन स्थिति के लिए विभागों के राहत तथा बचाव संबंधी तैयारियों का भी निरीक्षण किया।

सुश्री आतिशी ने पत्रकारों से कहा कि पूरे उत्तरी भारत में हो रही भारी बारिश के कारण यमुना में तेजी से पानी बढ़ता जा रहा है। इसके साथ ही हथिनिकुंड बैराज से भी लगातार पानी छोड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि कल हथिनिकुंड बैराज से 45,000 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा था जो रात होते-होते तीन लाख क्यूसेक तक पहुँच गया है। ऐसे में बहुत जल्द दिल्ली में यमुना का जल स्तर खतरे के निशान को पार कर सकता है।

राजस्व मंत्री ने कहा कि ऐसे में राजस्व विभाग सहित सभी संबंधित विभागों ने कमर कस ली है और युद्धस्तर पर काम कर रही है। राहत और बचाव कार्यों के लिए यमुना में 50 से अधिक मोटर बोट तैनात की गई है, जिसपर बचाव संबंधित सभी जरुरी उपकरण मौजूद है। साथ ही गोताखोर और मेडिकल टीमें भी तैयार है।

उन्होंने कहा कि पल्ला से लेकर जैतपुर तक यमुना के खादर इलाकों में लगातार पैनी नजर बनाकर रखी गई है। विभाग द्वारा यमुना के निचले इलाकों में से लोगों को निकालने के लिए मुनादी की जा रही है। खादर इलाकों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजना शुरू कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि यमुना के निचले इलाकों में लगभग 40,000 लोग रहते है।

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने आज जिला हमीरपुर के नादौन से राज्य में भारी बारिश और भूस्खलन से हुए नुकसान की समीक्षा के लिए आयोजित राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की वर्चुअल बैठक की अध्यक्षता की और सभी संबंधित प्राधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।

उन्होंने कहा कि इस प्राकृतिक आपदा के कारण 17 लोगों की मृत्यु हो गई है और राज्य के विभिन्न हिस्सों में सड़कों, बिजली के ट्रांसफार्मरों और विद्युत उप-केंद्रों और जल आपूर्ति परियोजनाओं को भारी नुकसान पहुंचा है। इस आपदा के कारण लोगों का जनजीवन व्यापक रूप से प्रभावित हुआ है और प्रारम्भिक अनुमान के अनुसार प्रदेश को लगभग 3000 करोड़ से 4000 करोड़ रुपए तक का नुकसान आंका गया है।

मुख्यमंत्री ने लगातार बारिश से हुए नुकसान का सटीक आकलन करने के लिए राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में समिति की बैठक बुलाने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने सभी उपायुक्तों को आगामी 10 दिनों तक सतर्क रहने और प्रभावित लोगों को हरसंभव सहायता प्रदान करने के निर्देश दिए हैं।

मुख्यमंत्री ने भूस्खलन और बाढ़ से हुई जान-माल की हानि पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए आश्वासन दिया कि राज्य सरकार इस विकट स्थिति से कुशलतापूर्वक निपटने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में त्वरित बचाव अभियान शुरू किए गए और समय पर आपदा प्रबन्धन कर, कई अमूल्य जीवन बचाए गए हैं। उन्होंने जिला प्रशासन से राहत और बचाव कार्यों के लिए पंचायती राज संस्थाओं के जन प्रतिनिधियों और स्थानीय लोगों को शामिल करने के लिए कहा। उन्होंने प्रभावित क्षेत्रों में बिजली और पानी की आपूर्ति तत्काल बहाल करने के निर्देश दिए ताकि लोगों को दैनिक जीवन में किसी भी असुविधा का सामना न करना पड़े। उन्होंने विभिन्न जगहों पर फंसे हुए लोगों की सुविधा के लिए क्षतिग्रस्त पुलों के स्थान पर बेली ब्रिज के निर्माण के भी निर्देश दिए।

श्री सुक्खू ने कहा कि मौसम ठीक होने पर हेलीकॉप्टरों का उपयोग करके लाहौल-स्पीति और कुल्लू जिलों में फंसे लगभग 300 पर्यटकों और स्थानीय निवासियों को निकालने के प्रयास किए जायेंगे। उन्होंने प्रदेश में फंसे पर्यटकों की राज्यवार सूची तैयार करने के अलावा इन लोगों के ठहरने, भोजन और दवाओं इत्यादि सहित आवश्यक वस्तुओं की पर्याप्त व्यवस्था करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि लगातार हो रही बारिश के कारण राज्य में भारी तबाही और जान-माल को भारी नुकसान पहुंचा है।

मुख्यमंत्री ने सभी उपायुक्तों को राहत कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने आश्वासन दिया कि राज्य सरकार प्रभावितों की सहायता के लिए पर्याप्त धनराशि सुनिश्चित करेगी। उन्होंने कहा कि वह शीघ्र ही प्रभावित इलाकों का दौरा कर नुकसान का जायजा लेंगे।

मुख्यमंत्री ने सेब सीजन के दृष्टिगत इन उत्पादक क्षेत्रों में सड़कों की शीघ्र बहाली पर बल दिया ताकि सेब फसलों का सुचारु परिवहन सुनिश्चित कर, सेब उत्पादकों को नुकसान से बचाया जा सके।

उन्होंने परवाणु-रोहड़ू, ठियोग से रामपुर, छैला से कुमारहट्टी सड़कों और अन्य सेब उत्पादन क्षेत्रों की सड़कों को खुला रखने और मलबा हटाने के लिए अतिरिक्त मशीनरी तैनात करने के निर्देश दिए। उन्होंने इन क्षेत्रों में तत्काल सड़क सुधार के लिए चार करोड़ रुपए आवंटित करने के निर्देश दिए।

उन्होंने कहा कि श्रीखंड महादेव यात्रा के दौरान छह मौतों की सूचना के उपरांत इस यात्रा को शेष सीजन के लिए रोकने के निर्देश दिए गए हैं।

हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में अतिवृष्टि के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने संबधित विभागों को चौकन्ना रहने के निर्देश दिये हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को एक उच्च स्तरीय बैठक में प्रदेश के विभिन्न जिलों में तेज बारिश के बाद जनहित के मद्देनजर किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा की और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में अतिवृष्टि के बाद अगले कुछ दिनों में प्रदेश की विभिन्न नदियों के जलस्तर में बढ़ोतरी की आशंका है। इसलिये सिंचाई एवं जल संसाधन के साथ-साथ राहत एवं बचाव से जुड़े सभी विभाग अलर्ट मोड में रहें।

उन्होंने कहा कि इस वर्ष अब तक 24 जिलों में सामान्य से अधिक वर्षा हुई है, जबकि 31 जिलों में औसत से कम वर्षा दर्ज की गई है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार जुलाई माह में इन जिलों में भी अच्छी वर्षा होने के आसार हैं। मौसम की बदलती परिस्थितियों पर सतत नजर रखी जाए।

श्री योगी ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में आकाशीय बिजली से कई स्थानों पर जन-धन की हानि की सूचना मिली है। ऐसे पीड़ित परिवारों को तत्काल सहायता राशि उपलब्ध कराई जाए। इस वर्ष पूर्वी उत्तर प्रदेश में आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएँ ज्यादा हो रही हैं। आकाशीय बिजली के सटीक पूर्वानुमान (अर्ली वार्निंग सिस्टम) की बेहतर प्रणाली का विकास जरूरी है। जनहानि / पशुहानि को न्यूनतम रखने के लिए यह जरूरी है।

उन्होंने बताया कि हर गांव में रेन गेज़ लगाए जाने की कार्यवाही में केंद्र सरकार भी सहयोग कर रही है, इस कार्य को तेजी के साथ पूरा किया जाए। राजस्व एवं राहत, कृषि, राज्य आपदा प्रबन्धन, रिमोट सेन्सिंग प्राधिकरण, भारतीय मौसम विभाग, केन्द्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण से संवाद-संपर्क बनाएं और ऐसी प्रणाली का विकास करें, जिससे आम जन को समय से मौसम की सटीक जानकारी मिल सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़/अतिवृष्टि की स्थिति पर सतत नजर रखी जाए। कई स्थानों पर गंगा नदी के जल स्तर में बढ़ोतरी देखी गई है। इसी तरह, सभी नदियों के जलस्तर की सतत मॉनीटरिंग की जाए। प्रभावित जिलों में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ/पीएसी की फ्लड यूनिट तथा आपदा प्रबंधन टीमों को 24 इनटू 7 एक्टिव मोड में रहें। आपदा प्रबंधन मित्र, सिविल डिफेंस के स्वयंसेवकों की आवश्यकतानुसार सहायता ली जानी चाहिए।

उन्हाेंने कहा कि हमें बाढ़ के साथ-साथ जलभराव के निदान के लिए भी ठोस प्रयास करना होगा। जिलाधिकारी, नगर आयुक्त, अधिशाषी अधिकारी एवं पुलिस की संयुक्त टीम जलभराव से बचाव के लिए स्थानीय जरूरतों के अनुसार व्यवस्था करे जिलाधिकारी, क्षेत्रीय सांसद, विधायक, जिला पंचायत अध्यक्ष, महापौर, नगरीय निकाय के चेयरमैन/अध्यक्ष के साथ संवाद कर जलभराव के समाधान के आवश्यक कार्यवाही की जाए।

श्री योगी ने कहा कि यह सुखद है कि इस वर्ष सभी जिलों में धान की रोपाई सामान्य रूप से चल रही है। अद्यतन रिपोर्ट के अनुसार 58.5 लाख हेक्टेयर के सापेक्ष तक 18 लाख हेक्टेयर में रोपाई हो चुकी है। धान की रोपाई की प्रगति के अनुश्रवण के लिए डिजिटल प्लेटफार्म विकसित किया जाए, ताकि जिलावार रोपाई की सटीक स्थिति समय पर पता चल सके।

उन्होंने कहा कि सभी अतिसंवेदनशील तटबंधों पर प्रभारी अधिकारी, सहायक अभियन्ता स्तर के नामित किए जा चुके हैं, यह 24 इनटू 7 अलर्ट मोड में रहें। तटबन्धों पर क्षेत्रीय अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा लगातार निरीक्षण एवं सतत् निगरानी की जाती रहे। बारिश के शुरुआती दिनों में रैटहोल/रेनकट की स्थिति पर नजर रखें। तटबंधों की पेट्रोलिंग लगातार की जाए।

श्री योगी ने कहा कि नौकाएं, राहत सामग्री, पेट्रोमैक्स आदि के प्रबंध समय से कर लें। बाढ़/अतिवृष्टि से पर प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों में देर न हो। प्रभावित परिवारों को हर जरूरी मदद तत्काल उपलब्ध कराई जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि कहीं भी यूरिया की किल्लत/कृत्रिम अभाव कतई न हो। किसानों को समय पर पर्याप्त यूरिया उपलब्ध हो।

बाढ़ के दौरान जिन गांवों में जलभराव की स्थिति बनेगी, वहां आवश्यकतानुसार पशुओं को अन्यत्र सुरक्षित स्थल पर शिफ्ट कराया जाए। इसके लिए जनपदों की स्थिति को देखते हुए स्थान का चयन कर लिया जाए। इन स्थलों पर पशु चारे की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए।

हरियाणा समेत देश के उत्तरी राज्यों में गत तीन दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण बाढ़ और अन्य खतरों के मद्देनजर राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सोमवार सुबह वरिष्ठ अधिकारियों के साथ तथा बाद में जिला उपायुक्तों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए आपात बैठक की तथा हालात का जायजा लिया।

सचिवालय में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इस बैठक में श्री खट्टर ने अधिकारियों और जिला उपायुक्तों को जानमाल के किसी भी तरह का नुकसान रोकने के लिये उन्हें आवश्यक निर्देश दिये। उन्होंने राज्य में हालात पर नज़र रखने के लिये अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम भी रद्द कर दिये हैं।

बैठक में मुख्य सचिव संजीव कौशल, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डी. एस. ढेसी, प्रधान सचिव वी. उमाशंकर. राजस्व एवं आपदा प्रबंधन, गृह, शहरी और स्थानीय निकाय, ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।

श्री खट्टर ने हरियाणा के कुल लोगों के मनाली में फंसे होने की सूचना पर हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से भी बातचीत कर यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि सभी लोग वहां सुरक्षित हैं तथा हिमाचल प्रदेश सरकार के साथ मिल कर हालात पर नजर रखने के साथ ही इन्हें वहां से सुरक्षित निकालने के प्रयास किये जा रहे हैं।

इसी बीच, हरियाणा सरकार ने राज्य के लोगों के लिये भारी बारिश के कारण परामर्श जारी करते हुये इन्हें अगर जरूरत न हो तो घर से बाहर न निकलने की सलाह दी है। माैसम विभाग ने बुधवार तक बारिश जारी रहने का अनुमान जताया है।

भारी बारिश के कारण हालात को देखते हुये तथा जरूरत के अनुसार स्कूल बंद करने के दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं।

किसी भी तरह के हालात से निपटने के लिए राष्ट्रीय आपदा राहत बल और राज्य आपदा राहत बल तैनात किये गये हैं।

राज्य में निचले इलाकों में जल भराव में फंसे लोगों को निकालने के प्रयास किये जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने बारिश के कारण प्रभावित लोगों के खाने-पीने के पुख्ता इंतजाम करने के भी निर्देश दिये हैं।

श्री खट्टर ने निर्देश दिए कि दक्षिण हरियाणा के जिलों में पानी पहुंचाने वाली प्राकृतिक और कृत्रिम ड्रेन पूरी तरह से चालू रहें। इसके अलावा, दक्षिण हरियाणा के जिन इलाकों में लिफ्ट कर पानी पहुंचाया जाता है, वहां भी उत्तर हरियाणा से आने वाले पानी को इन इलाकों में पहुंचाया जाए। इस तरह उत्तर हरियाणा से बरसाती पानी दक्षिण हरियाणा तक पहुंचाने से न केवल इन इलाकों में वर्षभर पानी की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी बल्कि उत्तर हरियाणा में बाढ़ की स्थिति भी उत्पन्न नहीं होगी।

उन्होंने सिंचाई विभाग से कहा कि नदियों के तल में कुछ अवैध निजी भवन बने हुए हैं, उन्हें हटाया जाए, ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके। उन्होंने नगर एवं ग्राम आयोजना तथा शहरी स्थानीय निकाय विभाग को भी भविष्य में शहरीकरण के दौरान पानी की निकासी के नियोजन पर विशेष ध्यान देने को कहा। उन्होंने निर्देश दिए कि ड्रेनों की सफाई, मरम्मत और रखरखाव के लिए भी एसओपी तैयार की जाए। बरसात के मौसम से तीन माह पहले सभी ड्रेनों की मॉनिटरिंग करें, ताकि कहीं कोई कमी हो, तो उसे ठीक किया जा सके।

राज्य के अम्बाला जिले में गत तीन दिनों में 493 एमएम बारिश हुई है। सामान्यत: घग्घर नदी का जल स्तर 16,500 क्यूसिक रहता है जो इस समय 21 हजार क्यूसिक चल रहा है। टांगरी नदी का जलस्तर भी 13 हजार क्यूसिक के बजाय 21 हजार क्यूसिक पर है। मारकंडा नदी का जल स्तर भी 50 हजार क्यूसिक के सामान्य स्तर पर बना हुआ है। बारिश का अगर यही स्तर बना रहता है तो पानी अम्बाला ड्रेन में बैक-फ्लो होगा, जिससे शहर में पानी भरने की आशंका है। इसके लिए प्रशासन ने पूरी तैयारी कर रखी है। निचले इलाकों से लोगों को हटाने का काम शुरू कर दिया है और भोजन की व्यवस्था भी की गई है। गांवों में मुनादी कराई गई है कि लोग नदियों के पास न जाएं। सेना की टुकड़ी नरवाना ब्रांच पर तैनात की गई है।

बैठक में बिजली निगमों के अध्यक्ष पी. के. दास ने बताया कि अम्बाला सिटी और कैंट के कुछ इलाकों में बिजली आपूर्ति बहाल करने के लिये सम्बंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं।

पंचकूला जिले में औसत से कहीं अधिक बारिश हुई है। घग्घर नदी के साथ लगते इलाकों को खाली कराया गया है। घग्घर नदी का पानी खतरे के निशान पर पहुंच चुका है। कुरुक्षेत्र में मारकंडा नदी में वर्ष 1978 में 256.4 मीटर पानी रिकॉर्ड किया गया था, जबकि इस समय 255 मीटर पर चल रहा है। अधिक बारिश होने की सम्भावना को देखते हुए निचले इलाकों को खाली कराया गया है। यमुनानगर में यमुना नदी के जल स्तर को देखते हुए इलाकों को खाली कराया जा रहा है। एसडीआरफ और एनडीआरफ टीमों के साथ सभी स्थिति पर नज़र बनाए हुए हैं।

इसबीच प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से आज फोन पर राज्य में भारी बारिश के दृष्टिगत प्रदेश की स्थिति के बारे में जानकारी ली। उन्होंने जान-माल की क्षति, सड़कों की स्थिति सहित चार धाम यात्रा, कृषि, किसान और फसलों की स्थिति तथा कांवड़ यात्रा के संचालन के बारे में जानकारी ली।

मुख्यमंत्री ने भारी बारिश से विभिन्न स्थानों पर हुए जन, धन की हानि और बाधित सड़कों के साथ ही, चारधाम और कांवड़ यात्रा के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने किसानों और फसलों की स्थिति के बारे में भी बताया है।

श्री धामी ने प्रधानमंत्री को बताया कि शासन, एसडीआरएफ, पुलिस और प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट मोड पर काम कर रहे है। जगह, जगह जेसीबी मशीनें तैनात की गई है, ताकि बाधित सड़कों को तुरंत खोला जा सके। उच्च स्तर से लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। श्री मोदी ने केंद्र से पूरे सहयोग के प्रति मुख्यमंत्री को आश्वस्त किया।

पंजाब में लगातार तीसरे दिन की बारिश को देखते हुए, राज्य पुलिस ने राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की टीमों के साथ मिलकर राज्य के बाढ़ प्रभावित जिलों में बचाव और जल निकासी अभियान तेज कर दिया है।

राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गौरव यादव ने आज बताया कि राज्य के सबसे अधिक प्रभावित जिलों में एसएएस नगर, रूपनगर, फतेहगढ़ साहिब, जालंधर ग्रामीण और पटियाला शामिल हैं। राज्य में विस्तृत बाढ़ रोकथाम तंत्र सुनिश्चित करने के मुख्यमंत्री भगवंत मान के निर्देशों के बाद, डीजीपी गौरव यादव और विशेष पुलिस महानिदेशक कानून एवं व्यवस्था अर्पित शुक्ला व्यक्तिगत रूप से राज्य में बाढ़ की स्थिति की निगरानी कर रहे हैं, जबकि सीपी/एसएसपी को फील्ड में रहकर नियमित अंतराल पर अपने-अपने जिलों में स्थिति की व्यक्तिगत रूप से निगरानी के लिए कहा गया है। श्री यादव ने कहा कि राज्य के सबसे अधिक प्रभावित जिलों में जल भराव और निकासी के साथ-साथ बचाव कार्यों के लिए एनडीआरएफ की 15 टीमें और एसडीआरएफ की दो इकाइयां तैनात की गई हैं। इसके अलावा, रूपनगर, पटियाला, फतेहगढ़ साहिब, फिरोजपुर, जालंधर, एसबीएस नगर, एसएएस नगर और पठानकोट सहित जिलों में नागरिक प्रशासन की मदद के लिए सेना की 12 टुकड़ियों को भी बुलाया गया है। उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सेना के साथ हमारी टीमें बेहद चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में लोगों के जीवन और संपत्ति की रक्षा के लिए 24 घंटे काम कर रही हैं। विशेष डीजीपी अर्पित शुक्ला ने बताया कि बाढ़ से निपटने के लिए राज्य नियंत्रण कक्ष चौबीसों घंटे सक्रिय रूप से काम कर रहा है और संबंधित जिलों की वास्तविक स्थिति जानने के लिए जिलों से प्रति घंटे रिपोर्ट ली जा रही है।

पंजाब विधानसभा अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवां ने सोमवार को फरीदकोट जिले के कोटकपुरा के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और स्थिति का जायजा लिया।

संधवां ने जिला उपायुक्त फरीदकोट विनीत कुमार और अन्य जिला अधिकारियों के साथ विभिन्न गांवों का दौरा किया और बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोगों की समस्याएं सुनीं। उन्होंने जिला अधिकारियों से बाढ़ प्रभावित लोगों को हरसंभव मदद सुनिश्चित करने को कहा। उन्होंने प्रशासन को रिहायशी इलाकों में जमा बरसाती पानी की निकासी के लिए प्राथमिकता के आधार पर व्यवस्था करने के निर्देश दिये।

इस बीच, बिजली मंत्री ने अधिकारियों से ग्रामीण स्तर पर कर्तव्य निभाने, लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने, उनके खाने-पीने की व्यवस्था करने और जानवरों के लिए चारे आदि की व्यवस्था करने के लिए तैयार रहने को कहा। उन्होंने जिला प्रशासन से अधिकारियों को तैनात करने के लिए तैयार रहने को कहा। नदियों के किनारे के इलाकों में बाढ़ जैसी किसी भी स्थिति से निपटने के लिए गांव स्तर पर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है, उनके लिए भोजन और पानी की व्यवस्था की जा रही है, साथ ही पशुओं के लिए चारे की भी व्यवस्था की जा रही है।

एसजीपीसी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि बाढ़ प्रभावित लोगों को विभिन्न ऐतिहासिक गुरुद्वारों की सरायों में निःशुल्क कमरे उपलब्ध कराने के साथ-साथ प्रभावित क्षेत्रों में लंगर और अन्य वस्तुओं की व्यवस्था की जा रही है। उन्होने कहा कि वर्तमान में भी ऐतिहासिक गुरुद्वारों के प्रशासकों को बाढ़ प्रभावित लोगों को राहत सेवाएं प्रदान करने के लिए कहा गया है। विभिन्न जिलों में 25 से अधिक गुरुद्वारों में केंद्र स्थापित किए गए हैं।

श्री धामी ने कहा कि श्री आनंदपुर साहिब से संबंधित विभिन्न गुरुद्वारों से राहत कार्य कल शुरू किया गया था और आज बाकी के गुरुघरों से भी सेवाएं शुरू कर दी गई हैं। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर चिकित्सा सेवाएं भी मुहैया करवाई जायेंगी। शिरोमणि समिति अध्यक्ष ने संगत से अपील की कि वे जरूरतमंदों को शिरोमणि समिति द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के बारे में जागरूक करें, ताकि प्रभावित लोग इन सेवाओं से लाभान्वित हो सकें।

वहीं केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में आज कुल 20 हजार अमरनाथ तीर्थयात्रियों को बालटाल आधार शिविर से जाने की अनुमति दी गई, जबकि पहलगाम से यात्रा सामान्य रूप से जारी है। यात्रा शुरू होने से अब तक एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने बाबा बर्फानी के दर्शन किये हैं।

एक अधिकारी ने बताया कि आज सुबह 6,265 तीर्थयात्रियों ने अमरनाथ के पवित्र गुफा मंदिर में दर्शन किए। उन्होंने बताया कि अच्छे मौसम की स्थिति के बीच सुबह 10 बजे तक महिलाओं और साधुओं सहित 19,276 तीर्थयात्रियों को बालटाल आधार शिविर से डुमेल के रास्ते अमरनाथ गुफा मंदिर की ओर जाने की अनुमति दी गई है।

अधिकारी ने बताया कि एक जुलाई को 62 दिवसीय यात्रा शुरू होने के बाद से, अब तक दर्शन करने वाले तीर्थयात्रियों की कुल संख्या एक लाख से अधिक हो गई है।

इससे पहले, खराब मौसम और फिसलन भरी स्थिति के कारण सात जुलाई को पहलगाम और बालटाल दोनों मार्गों से यात्रा निलंबित कर दी गई थी। बहरहाल, यात्रा मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले में सबसे छोटे मार्ग बालटाल से फिर से शुरू हुई।

उन्होंने बताया कि बड़ी संख्या में तीर्थयात्री आज सुबह पहलगाम के नुनवान आधार शिविर से दर्शन के लिए पंजतरणी के रास्ते गुफा मंदिर के लिए रवाना हुए।

कश्मीरी मौसम के स्वतंत्र मौसम वेधशाला के फैज़ान आरिफ ने बताया कि अमरनाथ की पवित्र गुफा के दोनों मार्गों पहलगाम और बालटाल से अमरनाथ पवित्र गुफा तक के लिए हल्की वर्षा के आसार हैं।

मौसम विभाग ने बताया कि अगले दो दिनों में दिन के दौरान मौसम शुष्क रहने के आसार हैं और अमरनाथ के दोनों मार्गों पर दोपहर और शाम के बीच वर्षा के भी आसार हैं।

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