मुजफ्फरनगर। ग्रेन चैंबर पब्लिक स्कूल व दीपचन्द ग्रेन चैम्बर इंटर कालेज की मान्यता पर जांच की तलवार लटक गयी है । धोखाधडी से सरकारी भूमि पर बिल्डिंग खड़ी कर कमाई का जरिया बनाया गया था, जिसकी अब परत दर परत पोल खुलती नजर आ रही है। जिलाधिकारी द्वारा दिए गए जांच के आदेश के बाद स्कूल मैनेजमेंट में हड़कंप मचा हुआ है। स्कूल मैनेजमेंट द्वारा धोखाधडी से सीबीएसई एवं यूपी बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त कर ली गई थी। शिक्षा के मंदिर की बिल्डिंग ही भ्रष्टाचार की बुनियाद पर खड़ी की गई है।
जनपद में अवैध रुप से कब्ज़ा कर विभिन्न संस्थाओं का संचालन कर कमाई का जरिया बनाया हुआ हैं। शहर की प्रसिद्ध मार्किट एसडी मार्किट अवैध घोषित होने के बाद शहर भर में अलग-अलग स्थानों पर अवैध रूप से कब्जा करने वालों की धड़कन बढ़ गई है। शहर के प्रसिद्ध स्कूलों में गिने जाने वाले ग्रेन चैंबर पब्लिक स्कूल की बिल्डिंग की पोल भी खुलकर सामने आ गई है। नवनीत अग्रवाल व विशाल पुण्डीर ने अवगत कराया कि चैम्बर विद्या सभा द्वारा संचालित जीसी पब्लिक स्कूल और दीपचन्द ग्रेन चैम्बर इंटर कालेज द्वारा की जा रही धोखाधड़ी अवैध मान्यता, अवैध बिल्डिंग में स्कूल का संचालन, यूपी बोर्ड में 1989 में धोखाधड़ी करने के बावजूद अनुदान प्राप्त करने, एक भूमि को दो अलग-अलग सरकारी बोर्डों में दर्शाकर यूपी बोर्ड और सीबीएसई बोर्ड की मान्यता प्राप्त करने, सरकारी जमीन, सरकारी सड़क व सरकारी नाले पर बनी जमीन पर अवैध कब्जा करके मानकों के विरूद्ध स्कूलों के संचालन के बाबत पुन: शिकायती पत्र जिलाधिकारी को दिया गया और प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए पुन: संज्ञान में लेने की मांग की गयी। धोखाधडी के प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी ने कार्यवाही तेज करने के आदेश दिये, जिस पर डीआईओएस कार्यालय और एडीएम प्रशासन ने तत्काल कार्यवाही करते हुए यूपी बोर्ड इलाहाबाद से दीपचन्द ग्रेन चैम्बर इंटर कालेज और सीबीएसई से ग्रीन चैम्बर पब्लिक स्कूल की मान्यता से जुड़े तमाम कागजात उपलब्ध कराने के निर्देश दिये है, जिससे स्कूल में पढऩे वाले बच्चों के अभिभावकों में हड़कंप मच गया है। वहीं एडीएम ने नोटिस जारी करके शिकायतों के सभी बिन्दुओं पर अपना पक्ष पेश करने के आदेश भी दिए हैं। इसके अलावा शिकायतकर्ताओं को भी आगामी 17 जनवरी 2023 को सुबह उपस्थित रहकर अपना पक्ष रखने के लिये बुलाया गया है। लगभग पचास लोगों ने पूर्व में जिलाधिकारी को हस्तारयुक्त हलफनामा देकर प्रबन्धतंत्र द्वारा की जा रही घोखाधडी से अवगत कराया था।