अच्छे आदमी और बुरे आदमी दोनों का अन्तर देखिए। कुछ मित्र सैर-सपाटे के लिए किसी हिल स्टेशन पर गये, वहां बिस्कुट खाये, नमकीन खाई, कोका-कोला पिया और उनके खाली रैपर तथा खाली बोतलें यहां-वहां फेंक दिये, फिर एक स्थान पर खड़े होकर आराम करने लगे और कुछ खाते-पीते भी रहे। उनके रैपर भी वहीं डाल दिये।
थोड़ी देर के पश्चात एक विदेशी जोड़ा आता दिखाई दिया, जो रास्ते में उनकी तथा अन्य किसी की डाली हुई गन्दगी को एक बड़े लिफाफे में समेटते हुए आ रहे थे। अब इनमें आप स्वयं निर्णय करें कि कौन अच्छा है और कौन बुरा?
यह भी सच्चाई है कि अच्छे और बुरे आदमी सदैव से ही इस धरा पर साथ-साथ रहते आये हैं। इतना अवश्य है कि काल के अनुसार कभी अच्छे आदमियों की संख्या अधिक रही और बुरों की संख्या नगण्य। इसी प्रकार बुरे आदमी भी किसी काल में पर्याप्त संख्या में रहते हैं और इनकी गणना जब अधिक हो जाती है तो कहा जाने लगता है कि क्या बुरा जमाना आ गया है।
वैसे ‘बुरे’ और ‘अच्छे’ यहां निवास करने वाले होते हैं, परन्तु इंसान की जात इतनी चालाक है कि स्वयं को बुरा न कहकर ‘जमाने’ को दोष देता है।