Sunday, March 16, 2025

वीर सावरकर के पुराने प्रसंग का जिक्र करते हुए उदित राज ने पूछा, ‘आखिर वो किस बात के बहादुर थे?’

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस में वीर सावरकर को साहसी बताया तो देश में विपक्षी पार्टियों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता उदित राज ने सावरकर के जिक्र पर आपत्ति जताई है। उदित राज ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बातचीत के दौरान वीर सावरकर के एक प्रसंग का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि मार्सिले फ्रांस में एक शहर है। जब अंग्रेजों ने वीर सावरकर को पकड़ा था, तो जिस जहाज से वो आ रहे थे। वो मार्सिले में ही रुकी थी। इसके बाद वो वहां से भागे थे। लेकिन, फिर से उन्हें पकड़ लिया गया था, तो उनका जिक्र प्रधानमंत्री के फ्रांस दौरे के दौरान आखिर क्यों किया जा रहा है? क्या वो बहादुर थे? आखिर आप बहादुर ही किस बात के थे, जब आप भाग रहे थे।

 

 

उन्होंने कहा कि दूसरे स्वतंत्रता सेनानी खुशी से जेल गए। उन्होंने कभी-भी सलाखों से भागने की कोशिश नहीं की। यहां तक कइयों ने फांसी को भी गले लगाया, लेकिन प्रधानमंत्री ने कभी उनका नाम नहीं लिया, तो ऐसी स्थिति में आखिर आप दिखाना क्या चाहते हैं कि क्या आजादी की लड़ाई लड़ने वाले ऐसे थे, जो सलाखों से भागते थे? उन्होंने कहा कि भागने पर तो उन्हें पकड़ भी लिया गया था और दूसरी बात 1942 में जब भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ था, तो उस दौरान वीर सावरकर अंग्रेजों को भारत में स्थापित करते हुए दिख रहे थे।

 

 

यही नहीं, उन्होंने लाखों लोगों को अंग्रेजों की सेना में भर्ती कराने में मदद की थी। उन्होंने बाकायदा इसके लिए कैंप भी लगाए थे। इसके बाद उन्होंने संविधान का विरोध किया था और मनुस्मृति की पैरोकारी की। आखिर आप किस आधार पर उन्हें नायक के रूप में स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि आप ऐसे व्यक्ति के बारे में जिक्र करके उन सभी लोगों को अपमानित कर रहे हैं, जिन्होंने आजादी की लड़ाई में सर्वस्व न्योछावर कर दिया। जिन्होंने वाकई में देश की आजादी के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया।

 

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस के मार्सिले में वीर सावरकर का जिक्र किया था। उन्होंने इस संबंध में अपने सोशल मीडिया एक्स हैंडल पर पोस्ट भी किया था। इसमें उन्होंने लिखा कि भारत की स्वतंत्रता की खोज में इस शहर का विशेष महत्व है। यहीं पर महान वीर सावरकर ने साहसपूर्वक बचने का प्रयास किया था। मैं मार्सिले के लोगों और उस समय के फ्रांसीसी कार्यकर्ताओं को भी धन्यवाद देना चाहता हूं, जिन्होंने मांग की थी कि उन्हें ब्रिटिश हिरासत में न सौंपा जाए। वीर सावरकर की बहादुरी पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,854FansLike
5,486FollowersFollow
143,143SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय