मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक में लिए गये निर्णयों की मुख्य बातें इस प्रकार है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में लगातार 8वीं बार नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा। महंगाई को टिकाऊ स्तर यानी चार प्रतिशत पर लाने और वैश्विक अनिश्चितता के बीच आर्थिक वृद्धि को गति देने के मकसद से नीतिगत दर को यथावत रखा गया है। मौद्रिक नीति की 10 खास बातें…
चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को 4.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है। पहली तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 4.9 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 3.8 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।
केंद्रीय बैंक ने 2024-25 के लिए जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान को 7 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.2 प्रतिशत पर कर दिया है।
आरबीआई ने बैंकों में थोक जमा की सीमा 2 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 3 करोड़ रुपए की।
भारत वैश्विक स्तर पर धन प्रेषण में 15.2 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ इस मामले में सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता देश बना हुआ है।
मौद्रिक नीति समिति ने उदार रुख को वापस लेने के रुख पर कायम रहने का निर्णय किया है।
सकल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश मजबूत बना हुआ है, हालांकि वित्त वर्ष 2023-24 में शुद्ध एफडीआई में कमी आई है।
आपातकालीन जोखिम बफर में 0.5 प्रतिशत की वृद्धि से आरबीआई का बही-खाता और मजबूत होगा।
ग्राहकों का संरक्षण आरबीआई की सर्वोच्च प्राथमिकता। केंद्रीय बैंक बिना गारंटी वाले कर्ज और अग्रिम को कम करने के लिए और कदम उठाएगा।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकान्त दास ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए कहा, हम ग्लोबल साउथ में भारतीय रिजर्व बैंक को मॉडल केंद्रीय बैंक बनाने की दिशा में काम कर रहे।
दक्षिण-पश्चिम मानसून सामान्य रहने से खरीफ उत्पादन बढ़ेगा। इससे जलाशयों में पानी का स्तर भी बढ़ेगा।