सहारनपुर। सहारनपुर की एक प्रमुख विलुप्त नदी सिंधली को पुनर्जीवित करने के लिए जिला प्रशासन ने कार्य योजना तैयार कर ली है जिस पर जल्द ही काम शुरू हो जाएगा। जिलाधिकारी मनीष बंसल ने बताया कि सहारनपुर के सरसावा और चिलकाना के बीच बैंगनी हैदरपुर से यमुना की सहायक नदी के रूप में शामली तक बहने वाली सिंधली नदी का फिलहाल कोई निशान मौजूद नहीं है। नदी पर अवैध कब्जों के कारण यह कभी की विलुप्त हो चुकी है। इसको पुराने स्वरूप में लाने के लिए कार्य योजना पर काम किया गया है।
जिलाधिकारी मनीष बंसल ने सिंचाई विभाग और पर्यावरणविदों से इसके बारे में बातचीत की है। जिलाधिकारी के मुताबिक 1359 फसली रिकार्ड में इस नदी के बारे में पूरी जानकारी है। यानि कि 1952 के आसपास एक संकरे नाले के रूप में तब इस नदी का अस्तित्व बना हुआ था। एक अनुमान के अनुसार इस नदी की लंबाई 30-35 किलोमीटर अवश्य रही होगी।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में भी जिला प्रशासन से सिंधली नदी की तलाश करने और उसे पुनर्जीवित करने के लिए कहा है। सहारनपुर के मौजूदा डीएम मनीष बंसल को यह श्रेय जाता है कि उन्होंने अपने संभल जिले के जिलाधिकारी कार्यकाल के दौरान वहां मृत हो चुकी 110 किलोमीटर लंबी शोत नदी को पुनर्जीवित किया था। जिसका उल्लेख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने लोकप्रिय कार्यक्रम मन की बात में किया था और मनीष बंसल की सराहना की थी। उनकी उस सफलता से सहारनपुरवासियों को भी भरोसा है कि वह शोत नदी की तरह सिंधली नदी को भी पुनर्जीवित करने में सफल रहेंगे।
पानी पर काम करने वाले पर्यावरणविद डा. उमर सैफ का कहना है कि सहारनपुर की नदियों के कारण अपनी विशिष्ट पहचान थी लेकिन यहां की कई नदियां समय के साथ विलुप्त होती चली गईं। जिलाधिकारी मनीष बंसल के कदम और दृढ़ इच्छाशक्ति से उम्मीद बधती है कि विलुप्त सिंधु नदी पुराने स्वरूप में लाई जा सकती है। पिछले साल जिला प्रशासन ने विलुप्त हो चुकी नदियों का सर्वे कराया था जिसमें सिंधली नदी की जानकारी सामने आई थी। अपने उद्गम स्थल वैंगनी हैदरपुर गांव से यह नदी शाहजहांपुर होते हुए सिरस्का, सनौली, सलारपुर कलरहेड़ी, आलमपुर सखेडरी, लखनौती, खालिदपुर, शकरपुर, बिनपुर गांव के बीच बहती थी और ख्वाजापुर में यमुना नदी में मिल जाती थी।