पटना। आरक्षण का दायरा 50 से बढ़ाकर 65 फीसद किए जाने के फैसले को पटना हाईकोर्ट ने गुरुवार को रद्द कर दिया। इसकेे बाद राज्य में राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई। राजद नेताओं ने कोर्ट के इस फैसले के बाद नीतीश कुमार को आड़े हाथों लेना शुरू कर दिया। तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार से इस मामले को प्रधानमंत्री के समक्ष उठाने की मांग की है।
नीतीश सरकार ने अब पटना हाईकोर्ट के इस फैसले के विरोध में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का ऐलान किया है। डिप्टी सीएम सम्राट ने इस संबंध में मीडिया से बातचीत की। उन्होंने कहा, “अब हमारी सरकार इस फैसले के विरोध में सुप्रीम कोर्ट जाएगी। बीते दिनों नीतीश कुमार द्वारा ऐतिहासिक फैसला लिया गया था। उनके नेतृत्व में समाज के दबे-कुचले लोगों को समृद्ध करने के मकसद से आरक्षण की सीमा को बढ़ाया गया था।
इस संबंध में जातीय जनगणना भी कराई गई थी। इसके अलावा, बिहार जैसे राज्य में मुझे लगता है कि हर तबके को आरक्षण की आवश्यकता है, इसलिए अब हम पटना हाईकोर्ट के फैसले के विरोध में सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। कोर्ट से मांग करेंगे कि आरक्षण की सीमा को बढ़ाया जाए।“ उधर, इस पूरे मामले पर जारी राजनीतिक संग्राम के बीच हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख जीतनराम मांझी की भी प्रतिक्रिया सामने आई है।
उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर ट्विट कर कहा, “मैं उच्च न्यायालय के आदेश पर टिप्पणी तो नहीं कर सकता, लेकिन एक बात स्पष्ट है कि आरक्षण वंचितों का अधिकार है, जिसके सहारे वो अपने सपने को पूरा करने के बारे में सोचते हैं। मैं बिहार सरकार से आग्रह करता हूं कि सुप्रीम कोर्ट में इस संबंध में पुनर्विचार याचिका दाखिल करे, जिससे आरक्षण को बचाया जा सकें।“