शिमला। हिमाचल प्रदेश का संजौली मस्जिद विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है। देव भूमि संघर्ष समिति ने गुरुवार को दावा किया कि मस्जिद को पूरी तरह अवैध है। उसने मस्जिद से जुड़े दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ की आशंका भी जताई। देव भूमि संघर्ष समिति के प्रांत सचिव विजेंद्र पाल सिंह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, “संजौली मस्जिद लेकर देवभूमि का आंदोलन हिंसक नहीं था। मामले में कुछ लोगों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई है। अभी देवभूमि संघर्ष समिति भी न्यायालय के समक्ष इस मामले को उठा रही है। हम भी चाहते हैं कि उन्हें भी कागज दिखाने के लिए एक और मौका दिया जाए। अभी मस्जिद पूरी तरह नहीं टूटी है। उन्होंने सिर्फ तीन मंजिल तोड़ी है और दो मंजिल का टूटना बाकी है।
“विजेंद्र पाल सिंह ने दावा किया, “मस्जिद पर मालिकाना हक प्रदेश सरकार का है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड जैसे विभिन्न राज्यों में सरकारी जमीन पर बने अवैध निर्माण को तुरंत हटाने के आदेश दिए जाते हैं, लेकिन हिमाचल प्रदेश में दस्तावेजों से यह साबित होता है कि मस्जिद अवैध तरीके से सरकारी जमीन पर बनी है। लिहाजा जल्द से जल्द अवैध निर्माण को हटाया जाए।” वकील जगतपाल ने रेवेन्यू रिकॉर्ड के साथ छेड़छाड़ होने की संभावना जताई है।
उन्होंने कहा कि अब तक के रेवेन्यू रिकॉर्ड और जमाबंदी में जमीन का मालिकाना हक हिमाचल सरकार के पास है। ऐसे में वक्फ बोर्ड की ओर से रेवेन्यू रिकॉर्ड पेश करने के लिए समय मांगा जाना शक पैदा करता है। उन्होंने कहा, “वक्फ बोर्ड की कथनी और करनी में बहुत अंतर है। पहले वह दावा करते हैं, फिर उससे पलट जाते हैं। मुझे लगता है कि पिछले 60 बरस से इन्होंने जो रेवेन्यू रिकॉर्ड दिखाया है, उसके मुताबिक हिमाचल प्रदेश सरकार इस जगह की मालिक है, जबकि वक्फ बोर्ड का इससे कोई लेना-देना नहीं है।”