कोच्चि। विवादित फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ के रिलीज के दिन केरल उच्च न्यायालय ने इस पर प्रतिबंध की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि केरल जैसे धर्मनिरपेक्ष राज्य में कुछ नहीं होगा। अदालत ने कहा, अगर फिल्म को केरल में प्रदर्शित किया जाता है तो कुछ भी नहीं होने वाला है। फिल्म के टीजर और प्रीव्यू को देखकर ऐसा कुछ भी नहीं मिला जो किसी भी धर्म के खिलाफ हो और इस्लाम को गलत तरीके से चित्रित नहीं किया गया हो। इसमें आईएस का संदर्भ है और देश में ऐसी कई फिल्में बनी हैं जो आईएस को संदर्भित करती हैं।
अदालत ने पूछा, यह समझ नहीं पा रहे हैं कि यह फिल्म समाज के खिलाफ कैसे होगी जबकि सेंसर बोर्ड ने भी प्रमाणीकरण दिया है। फिल्म की प्रकृति काल्पनिक है और जब अतीत में काल्पनिक विषयों को मंजूरी दे दी गई है, तो कोई इस फिल्म की स्क्रीनिंग को कैसे रोक सकता है।
फिल्म को राज्य भर में 21 स्क्रीनों पर प्रदर्शित किया जाना है और कुछ सिनेमाघरों ने इसे प्रदर्शित नहीं करने का फैसला किया है।
इस सप्ताह की शुरुआत में फिल्म को लेकर बढ़ते विवाद के बीच फिल्म के निमार्ताओं ने मंगलवार को यूट्यूब पर रिलीज किए गए अपने नवीनतम टीजर में फिल्म के टेक्स्ट में परिचय को बदल दिया।
उन्होंने लापता हुई महिलाओं की संख्या को लगभग 32,000 से घटाकर तीन कर दिया जिनके बारे में फिल्म में कहा गया है कि उनका ब्रेनवॉश करने के बाद धर्मांतरण किया गया और उन्हें भारत और विदेशों में आतंकी मिशनों के लिए भेजा गया।
केरल उच्च न्यायालय का यह अवलोकन उच्चतम न्यायालय द्वारा फिल्म की रिलीज के खिलाफ जमीयत उलमा-ए-हिंद द्वारा दायर एक याचिका सहित कई याचिकाओं पर विचार करने से इनकार करने के एक दिन बाद आया है। शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ताओं से उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को कहा था।