Saturday, November 16, 2024

सिसोदिया “साजिश के सरगना और शिल्पकार”, गंभीर आर्थिक अपराध में है शामिल- सीबीआई

नई दिल्ली। सीबीआई ने दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष दावा किया है कि आबकारी नीति घोटाला मामले में गिरफ्तार दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया गंभीर आर्थिक अपराध में शामिल हैं और अपराध के तौर-तरीकों को उजागर करने के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं। आप के वरिष्ठ नेता की जमानत याचिका का विरोध करते हुए सीबीआई ने एक संक्षिप्त लिखित उत्तर में यह दलील दी कि इसमें (याचिका में) कोई दम नहीं है और यह मामले में जांच की प्रगति को विफल करने के लिए कानून की पेचीदगियों का दुरुपयोग करने का प्रयास है।

सीबीआई ने तर्क दिया कि सिसोदिया “साजिश के सरगना और शिल्पकार” हैं और उनका प्रभाव और दबदबा उन्हें सह-आरोपी के साथ किसी भी समानता के लिए अयोग्य बनाता है। वहीं आप नेता ने उच्च न्यायालय से उन्हें जमानत देने का आग्रह किया और दावा किया कि सीबीआई को कथित अपराध की आय से जोड़ने वाला कोई साक्ष्य नहीं मिला है। उनके वकील ने राहत पाने वाले अन्य आरोपियों के समान ही उनके साथ भी व्यवहार किए जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि सिसोदिया मामले में गवाहों को प्रभावित करने या सबूतों से छेड़छाड़ करने की स्थिति में नहीं हैं।

सिसोदिया का ही प्रतिनिधित्व कर रहे एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता मोहित माथुर ने कहा, आरोप है कि वह इस मामले में शामिल धनराशि में हिस्सेदार थे, यह “सब हवा हवाई बातें” हैं और रकम उन्हें दिए जाने के कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं। सीबीआई ने अपने जवाब में कहा कि सिसोदिया को जांच के दौरान असहयोगात्मक आचरण के कारण 26 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था और संवेदनशील दस्तावेजों और गवाहों से उनका सामना कराया गया है।

एजेंसी ने दावा किया, “इस बात की पूरी संभावना है कि यदि आवेदक को जमानत पर रिहा किया जाता है तो वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ करेगा और गवाहों को प्रभावित करेगा, विशेष रूप से जांच को पटरी से उतारने के लिए उसके पिछले आचरण के आलोक में।”

एजेंसी ने कहा, “इस तरह की आशंकाएं तब और प्रबल हो जाती हैं, जब आबकारी विभाग से संबंधित 28 जनवरी 2021 के कैबिनेट नोट वाली फाइल गायब है। इसके अतिरिक्त, आवेदक ने उस दिन अपने मोबाइल फोन को भी नष्ट कर दिया, जिस दिन उपराज्यपाल द्वारा 22 जुलाई, 2022 को सीबीआई को वर्तमान मामला संदर्भित किया गया था।” उसने कहा, “आवेदक कार्यप्रणाली का पता लगाने के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी है। आवेदक जांच को पटरी से उतारने के प्रयास में पूरी जांच के दौरान असहयोगपूर्ण और टालमटोल वाला रवैया अपनाए रहा।”

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