गाजियाबाद। शांति भंग के आरोप में जेल में बंद गर्भवती की हालत खराब होने के बाद गर्भपात हो गया। पीड़िता के परिजनों ने आरोप लगाया कि गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने महिला की पिटाई की। जिस कारण गर्भपात हुआ है। मामले की शिकायत जनसुनवाई पोर्टल और महिला आयोग में की गई है। इसी के साथ अदालत में अर्जी लगाई गई है। शांति भंग की धारा में जमानत मिलने पर पुलिस ने अस्पताल से महिला को परिजनों को सौंप दिया है। आरोप है कि गर्भपात कराने में परिजनों की अनुमति भी नहीं ली गई। भर्ती कराने लाई पुलिस ने ही गर्भपात करा दिया।
लोनी देहात के कासिम विहार निवासी घायल सबीना की देवरानी सलमा के अधिवक्ता फिरोज कुमार ने बताया कि ट्रॉनिका सिटी के अमित एंक्लेव कासिम विहार में दो पक्षों के बीच हुई लड़ाई की सूचना पर चौकी प्रभारी 11 मई को सुबह 20-25 पुलिसकर्मियों के साथ पहुंचे थे। उस समय जो भी सामने आया उसे पकड़ लिया। 15 महिलाओं और दो व्यक्तियों को पकड़कर पुलिस थाने ले गई थी। वहां महिलाओं की पिटाई की गई।
इनमें तीन माह की गर्भवती सबीना की पिटाई की। परिजनों ने 13 मई को सबीना की जमानत के लिए एसीपी कार्यपालक मजिस्ट्रेट इंदिरापुरी लोनी के यहां याचिका दाखिल की थी लेकिन उन्होंने याचिका यह कहकर रद्द कर दी कि 8-10 दिनों तक जमानत नहीं हो सकती। इसके बाद सबीना के परिजनों को जेल से फोन पर सूचना मिली कि सबीना को रक्तस्राव हो रहा है, उसे जिला महिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इसके बाद दोबारा 16 मई को सबीना को महिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां पर 17 मई को गर्भपात करवा दिया। उस समय परिवार का कोई सदस्य मौजूद नहीं था। इसमें परिजनों से न कोई सहमति ली गई और ना ही कोई जानकारी ली गई। गर्भपात के बाद हालत चिंताजनक है।