Saturday, May 4, 2024

कहानी: दिल की खुशी

मुज़फ्फर नगर लोकसभा सीट से आप किसे सांसद चुनना चाहते हैं |

सृष्टि के ऊपर तो जैसे सारी दुनियाँ का भार टूट पड़ा था। मां ने तो बचपन में ही साथ छोड़ दिया था और अब पापा… वह भी असमय ही सबको छोड़कर चले गये थे। कितना घबरा गई थी वह, कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था। क्या करे कहाँ जाए सभी रिश्तेदारों ने मुँह फेर लिया था। वह अभी दसवीं में ही थी दोनों छोटी बहनें बहुत छोटी थी। अभी सारा 9 साल की और रीति अभी मात्र 7 साल की थी। घर की सारी जिम्मेदारी उसके ऊपर आ पड़ी थी।
इतनी सक्षम भी नहीं थी अभी कि कुछ कर सके। कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा था जिस पर चलकर वह अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियां पूरी कर सके।

मन कर रहा था आत्महत्या कर ले। इस दुनियां में जीने की इच्छा नहीं रह गई थी। इस मतलब की दुनियां में जीने से फायदा ही क्या था जहां अपने ही पराए लगने लगे थे। पर दूसरे ही पल आत्मा की आवाज आई नहीं नहीं, तुम्हें अभी जीना है, आत्महत्या तो कायर करते हैं। जब भी आत्महत्या का विचार मन में आता अंदर से यही आवाज आती सारा और रीति कितनी छोटी हैं अभी। पूरी तरह तुम पर निर्भर है अब तुम्हीं तो हो उनकी सब कुछ। तुम्हें जीना है अपनी खातिर, सारा और रीति की खातिर।

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अब उसने आत्महत्या का विचार मन से निकालकर हिम्मत के साथ जिंदगी का सामना करने का फैसला कर लिया।
बारहवीं पास करके घर में ट्यूशन पढ़ाने लगी, ट्यूशन की कमाई से अपनी व अपनी दोनों बहनों की पढ़ाई का खर्च उठाती।
बी.एस.सी. करने के बाद एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी कर ली। धीरे-धीरे सारा और रीति भी बड़ी हो रही थी। बी.एस.सी. करने के साल भर बाद ही सारा को बैंक में जॉब मिल गया और रीति एम.बी.ए. करने के बाद एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करने लगी।

सृष्टि दी मुझे लगता है अब आपको शादी कर लेनी चाहिए। एक दिन सारा बोली।
नहीं सारा, मैं तुम्हारे लिए मां-बाप की तरह हूँ। तुम्हारे प्रति मेरी कुछ जिम्मेदारियां हैं। जब तक मैं तुम दोनों की शादी नहीं कर देती मैं अपनी शादी के बारे में सोच भी नहीं सकती।
दी एक बात कहूं एक दिन सारा बोली।
हां क्यों नहीं, दो बात कहो सृष्टि हल्के मूड में थी।

विराज मेरे साथ बैंक में काम करता है। हम दोनों अच्छे दोस्त हैं हमारे विचार, हमारी पसंद एक-दूसरे से काफी मिलती है मुझे लगता है हम दोनों जिंदगी में एक-दूसरे का साथ बखूबी निभा सकते हैं।
तो साफ-साफ बोलो शादी करना चाहती हो उससे।
हां, अगर आपको एतराज न हो तो, सारा डरते हुए बोली।

क्यों मैं अगर एतराज करूंगी तो तुम उससे शादी नहीं करोगी क्या। मैं आपकी खातिर सब कुछ कर सकती हूं। वह दूसरी जाति का है उसे डर है कि आप इस रिश्ते के लिए नहीं ना कह दें इसलिए वह बिना बताए शादी के लिए मुझपर दबाव डाल रहा है पर मैं ऐसा हरगिज नहीं करूंगी। आपने हमें मां-बाप की तरह रखा है मैं आपके विश्वास को धोखा नहीं दे सकती।

मुझे यह शादी कतई मंजूर नहीं सृष्टि कड़क आवाज में बोली।
तो ठीक है मुझे मंजूर है आपका फैसला। पर मैं किसी और से शादी नहीं करूंगी। सारा निराश हो गई थी।
भई शादी तो करनी पड़ेगी क्योंकि मुझे तुम्हारा फैसला मंजूर है। सृष्टि सारा के गाल पर चिमटी तोड़ते हुए बोली।
सच दी! मैं कितना डर गई थी। सारा की खुशी का ठिकाना न था।

और रीति तुम, तुम भी अपनी पसंद बता दो, क्यों न तुम दोनों की शादी साथ कर दी जाए। नहीं दी पहले आपकी शादी होगी फिर मैं सोचूंगी अपनी शादी के बारे में। मुझे चिंता है हम दोनों की शादी के बाद आप कितनी अकेली हो जाएंगी और मैं आपको अकेली छोडऩा नहीं चाहती।
नहीं रीति मैं बड़ी हूं और तुम दोनों मेरी जिम्मेदारी हो। मैं जब तक अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं कर देती, शादी नहीं करूंगी।

सृष्टि के स्वर में दृढ़ता थी। अब अपने लिए नहीं अपनी दीदी के लिए जीवनसाथी ढूंढऩा रीति का मकसद था। पर जब तक दोनों बहनों की शादी नहीं हो जाती सृष्टि शादी के मूड में नहीं थी।
रीति की उसके बॉस से अच्छी बनती थी। उसके अच्छे काम की वजह से बॉस उससे कुछ ज्यादा ही इम्प्रेस थे।
काफी दिनों से सोच रही थी पर एक दिन हिम्मत करके अपने मन की बात कह ही डाली सर, आप शादी कब कर रहे हैं? आज तक ऐसी लड़की नजर ही नहीं आई जिसे दिल जीवन साथी बनाना चाहता हो। बॉस के स्वर में निराशा थी। किसी भी लड़की से शादी इसीलिए तो नहीं कर सकता न कि शादी मजबूरी है।

मेरी नजर में एक लड़की है मुझे पूरी उम्मीद है कि वह लड़की आपको जरूर पसंद आएगी।
लगता है तुम्हें मेरी शादी की कुछ ज्यादा ही चिंता है।
क्यों नहीं आप मेरे बॉस हैं पर अपनों से भी ज्यादा अपने है और मेरी सृष्टि दी वह तो मेरी सबकुछ है। बहुत चिंता है मुझे उनकी।
मतलब तुम्हारी दीदी…।
जी सर, एक बार मिल लीजिए आप उनसे, आगे मुझे कुछ कहने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
दीदी जल्दी से तैयार हो जाओ। ऑफिस से आते ही रीति अपना बैग सोफे पर पटकते हुए बोली।
क्यों कहां जाना है? सृष्टि ने आश्चर्य से पूछा।

ओफ्फो दी कितनी भुलक्कड़ हो गई है आप भी, आपको इतना भी याद नहीं कि आज आपका…
ओह याद आया बर्थडे है।
और मैंने अपनी सहेलियों के साथ मिलकर इस मौके पर होटल में एक शानदार पार्टी अरेंज की है।
रीति तुम्हें भी न जाने क्या सनक सवार हो जाती है, तुम्हें पता है न मुझे भीड़-भाड़ पार्टी-वार्टी पसंद नहीं।
पार्टी में रीति ने अपने बॉस से सृष्टि का परिचय कराया। रीति ने आज पहली बार अपनी दी को इतना खुश देखा था।
दी को इतना खुश देखकर जिंदगी में पहली बार उसके दिल को इतनी खुशी मिली थी। दी की खुशी में ही उसकी खुशी थी। सर एक बात पूछूं अगर आप मुझे अन्यथा न लें तो? हां-हां क्यों नहीं, बॉस ने हां में सिर हिलाया।
आपको मेरी दी कैसी लगी?

भई तुम्हारा दी तो वाकई कुछ है, आम लोगों से हटकर एक अलग ही अंदाज है उनका।
पर वे मेरे बारे में क्या सोचती हैं पता नहीं।
जो आप सोचते हैं रीति ने आत्मविश्वास के साथ कहा।
घर जाते ही अपनी दी के मन को टटोलना चाहा दी, आपको मेरे बॉस कैसे लगे। भई उन्हें तो आप बहुत पसंद है।
मैंने कहा न, अपनी शादी के बारे में सोचा नहीं है मैंने। पहले तुम्हारी शादी करनी है। अच्छा ऊपर से न और अंदर से हां, मैं आपको अच्छी तरह से जानती हूं। सच दी अमन सर बहुत अच्छे इंसान हैं। अभी तक उन्होंने शादी नहीं की। पता है क्यों? उन्हें कोई लड़की पसंद ही नहीं आई। अगर आप हां कह दें तो वह आपसे शादी करने के लिए तैयार हैं।
सृष्टि बड़ी असमंजस में थी। हां भी कैसे कह दे और न भी नहीं कर सकती थी। प्लीज दी न मत करना, आपको मेरी कसम। रीति के स्वर में निवेदन था।

दरवाजे पर खटखटाहट की आवाज सुनकर रीति ने दरवाजा खोला अरे सर आप! रीति के स्वर में आश्चर्य था।
क्यों तुम्हारे घर नहीं आ सकता क्या? फिर सृष्टि की ओर निगाह करके बोले हाय सृष्टि कैसी हो।
फाइन और आप?
हां मैं भी फाइन रहने लगा हूं जबसे रीति और तुम मेरी जिंदगी में आई हो। मैं या सिर्फ सृष्टि दी, रीति ने शरारत की। अच्छा अब जल्दी से बता दीजिए कि क्या सोचा है आपने एक-दूसरे के बारे में। हां एक बात और मुझे आप दोनों में से किसी के भी मुंह से न नहीं सुनना है।

रीति तुम तो ऐसे बोल रही हो जैसे तुम मेरी बॉस हो, बॉस मजाक के मूड में थे। मैं आपकी बॉस तो नहीं बन सकती पर साली तो बन सकती हूं न।
पहले अपनी दीदी से तो पूछ लो क्या ख्याल है उनका इस बारे में।
सृष्टि बोली- पहले अपने बॉस से पूछो वह क्या सोचते हैं मेरे बारे में।
समझ गई यानि कि आप दोनों एक-दूसरे को पसंद करते हैं। फिर नेक काम में देरी कैसी, चट मंगनी पट ब्याह कहकर रीति भाग खड़ी हुई दोनों को कुछ पल अकेले छोडऩे के लिए।
(प्रमिला शर्मा – विनायक फीचर्स)

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