नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अडानी-हिंडनबर्ग मामले की जांच के लिए सेबी को 14 अगस्त तक का समय दे दिया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि रिपोर्ट देखने के बाद 30 सितंबर तक जांच खत्म करने पर आदेश दिया जा सकता है।
कोर्ट ने कहा कि शेयर बाजार के कामकाज में सुधार पर विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट सभी पक्षों को दी जाएगी। विशेषज्ञ समिति के सुझाव पर गर्मियों की छुट्टियों के बाद 11 जुलाई को सुनवाई होगी।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि सेबी की अर्जी का जवाब हमने दाखिल किया है। 2021 में सेबी अडानी को लेकर जांच कर रही थी। संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में ये बात बताई गई थी। उन्होंने कहा कि 2016 से 2021 के बीच सेबी ने क्या किया, यह कोर्ट को बताए। सात साल से अडानी के खिलाफ सेबी कार्रवाई नहीं कर रही है। इन सभी जांचों का क्या हुआ, यह सेबी अदालत को बताए।
प्रशांत भूषण ने कहा कि एक साल में अडानी के शेयरों में कई गुना बढ़ोतरी हुई जो खतरे की घंटी थी। लेकिन सेबी ने कुछ नहीं किया। सेबी की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 2016 से 2021 का इस मामले से कुछ लेना देना नहीं है। याचिकाकर्ता उसे हिंडनबर्ग से जोड़ रहे हैं।
सेबी ने 15 मई को सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल कर कहा कि ये आरोप निराधार है कि सेबी 2016 से अडानी ग्रुप के खिलाफ जांच कर रहा है। जिस जांच का याचिकाकर्ता हवाला दे रहे हैं, वो दरअसल 51 भारतीय कंपनियों को जारी ग्लोबल डिपॉजिट रसीदों (जीडीआर) के बारे में थी। इनमें कोई भी अडानी ग्रुप की कंपनी शामिल नहीं है।
सेबी का कहना है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट में जिन 12 संदेहास्पद लेन-देन का जिक्र हुआ है, वो काफी जटिल हैं और वो दुनिया के कई देशों से जुड़ी है। उन लेनदेन से जुड़े आंकड़ों की जांच में काफी समय लगेगा। ऐसे में जांच के लिए 6 महीने का समय मांगने के पीछे उद्देश्य यह है कि निवेशकों और सिक्योरिटी मार्केट के साथ न्याय किया जा सके।
सुनवाई के दौरान 12 मई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अडानी-हिंडनबर्ग मामले की जांच पूरी करने के लिए सेबी को अनिश्चितकाल का समय नहीं दिया जा सकता। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि वो सेबी को और छह महीने का समय नहीं दे सकती है। सेबी ने अर्जी दाखिल कर छह महीने का और समय मांगा है। सेबी ने कहा है कि कई जटिल पहलुओं की जांच होनी है। अमेरिका में ऐसी जांच 9 महीने से लेकर 5 साल तक चलती है।