नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कथित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में जेल में बंद दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की अंतरिम जमानत पर कोई भी निर्देश देने से इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एस.वी.एन. भट्टी की पीठ ने कहा, “अंतरिम राहत और नियमित जमानत अर्जी पर सुनवाई 4 सितंबर को होगी।” कोर्ट ने मामले को स्थगित करते हुए आदेश दिया।
सिसौदिया की ओर से पेश होते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने शीर्ष अदालत से सिसोदिया को उनकी बीमार पत्नी से मिलने के लिए अंतरिम जमानत देने का आग्रह किया और कहा कि यह एक “मानवीय” और “वास्तविक” मुद्दा है।
उन्होंने सिसोदिया की पत्नी की स्वास्थ्य स्थिति से संबंधित मेडिकल रिपोर्ट का हवाला भी दिया।
पीठ ने टिप्पणी की, ”दूसरा पक्ष कह रहा है कि पत्नी पिछले 23 साल से बीमार है। जब हम नियमित जमानत पर सुनवाई करेंगे तो हम इसे (पत्नी की चिकित्सीय स्थिति पर अंतरिम जमानत की याचिका) उठाएंगे। हम इसकी जांच करेंगे।”
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू को जवाब देने के लिए दो हफ्ते का समय दिया गया।
14 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने एक नोटिस जारी किया था और आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय के उन आदेशों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जांच एजेंसियों से जवाब मांगा था, जिसमें उन्हें सीबीआई और ईडी मामलों में जमानत देने से इनकार कर दिया गया।
3 जुलाई को, दिल्ली हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने मनीष सिसोदिया को यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया था कि वह धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत जमानत देने की दोहरी शर्तों और ट्रिपल टेस्ट को पूरा नहीं कर पा रहे हैं।
7 जुलाई को ईडी ने कहा कि उसने दिल्ली शराब नीति मामले के सिलसिले में मनीष सिसोदिया, उनकी पत्नी और कुछ अन्य आरोपी व्यक्तियों की 52.24 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है।
इस साल 26 फरवरी को सीबीआई ने सिसौदिया को गिरफ्तार किया और फिर ईडी ने 9 मार्च को उन्हें गिरफ्तार किया।