नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बिहार के असफल अभ्यर्थियों की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें जिला जज परीक्षा 2015 के अंतिम परिणाम को इस आधार पर रद्द करने का निर्देश देने की मांग की गई थी कि इंटरव्यू प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई।
न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा, “चयन प्रक्रिया को कानूनी रूप से वैध पाया गया है। यह माना गया है कि इंटरव्यू में न्यूनतम योग्यता अंक प्राप्त करने की जरूरत स्वीकार्य है और स्पष्ट रूप से मनमाना, तर्कहीन या अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं है।”
इस साल फरवरी में न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने कुल 99 रिक्तियों के मुकाबले इंटरव्यू में केवल नौ अभ्यर्थियों के चयन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि कुल 69 उम्मीदवारों को लिखित परीक्षा के बाद इंटरव्यू के लिए बुलाया गया था। जिन 60 अभ्यर्थियों ने लिखित परीक्षा में काफी अच्छा प्रदर्शन किया था, उन्हें मौखिक परीक्षा में 50 में से 10 अंक दिए गए। जिस कारण उन्हें असफल घोषित कर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए याचिका में आरोप लगाया गया कि चयन प्रक्रिया में पूरी तरह से मनमानी की बू आ रही है। संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत याचिकाकर्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन किया गया।