नयी दिल्ली-उच्चतम न्यायालय इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के माध्यम से पडे़ मतों के साथ वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट (वीवीपैट) की पर्चियों की गिनती (मिलान)100 फीसदी तक बढ़ाने की याचिका पर शुक्रवार को अपना फैसला सुनाएगा।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ एनजीओ ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ और अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर 26 अप्रैल को होने वाले लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण मतदान के दौरान अपना फैसला सुनाएगी।
पीठ ने 24 अप्रैल को उप चुनाव आयुक्त, चुनाव आयोग की ओर से पेश अधिवक्ता वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह और याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश अधिवक्ताओं – प्रशांत भूषण, संतोष पॉल, संजय हेगड़े और अन्य की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
शीर्ष अदालत ने इस मामले में अपनी पिछली सुनवाई में कहा था कि वह चुनाव को नियंत्रित नहीं कर सकता या किसी अन्य संवैधानिक निकाय, चुनाव आयोग का नियंत्रक प्राधिकारी नहीं बन सकता। वह केवल संदेह के आधार पर कार्य नहीं कर सकता है, क्योंकि ईवीएम और वीवीपैट के बीच बेमेल का एक भी मामला नहीं दिखाया गया है।
शीर्ष अदालत ने सुनवाई करते हुए यह भी दर्ज किया था कि अब तक हैकिंग (ईवीएम) की कोई घटना सामने नहीं आई और यदि कोई घटना होती तो वह कानून बताता है कि क्या किया जाना चाहिए। अदालत ने यह भी कहा कि चुनाव में कोई भी उम्मीदवार यह दिखा सकता है कि गिने गए पांच फीसदी मत का वीवीपैट से कोई बेमेल था या नहीं।
पीठ के समक्ष याचिकाकर्ताओं ने अपनी ओर से दलील दी थी कि संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 के तहत मतदाता को यह अधिकार है कि वह सुब्रमण्यम स्वामी केस (2013) में इस न्यायालय के निर्देशों के उद्देश्य और उद्देश्य के अनुसार अपने द्वारा डाले गए वोट को सत्यापित कर सके और वीवीपीएटी के कागजी वोट से मिलान किया जा सके।
याचिकाकर्ताओं की ओर से यह भी दलील दी गई थी कि सभी वीवीपैट पर्चियों का (क्रॉस-सत्यापन) ईवीएम में पड़े मतों से मिलान (गिनती) लोकतंत्र के हित और इस सिद्धांत के लिए आवश्यक है कि चुनाव न केवल स्वतंत्र और निष्पक्ष होने चाहिए, बल्कि स्वतंत्र दिखना भी चाहिए।
याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा था कि सरकार ने लगभग 24 लाख वीवीपैट की खरीद पर लगभग 5000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। वर्तमान में केवल लगभग 20,000 वीवीपैट पर्चियों का मिलान किया गया है।
गौरतलब है कि दूसरे चरण में 26 अप्रैल को 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की कुल 89 लोकसभा सीटों पर मतदान होना है।