बच्चे हमारे जीवन के अनमोल रत्न हैं। इन रत्नों को हम सहेज व संभाल कर रखते हैं। इनके स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दें और समय पर इनका उपचार करें तो आप हम इन्हें एक स्वस्थ जीवन दे सकते हैं। आइये कुछ रोगों से बचने के उपाय जानें।
बच्चों के दांत निकलते समय तुलसी के पत्तों का रस शहद में मिलाकर मसूड़ों पर लगाने से और थोड़ा सा चटाने से दांत बिना कष्ट के निकल आते हैं। तुलसी के पत्तों का चूर्ण अनार के शर्बत के साथ देेने से भी बच्चों के दांत सरलता से निकल आते हैं।
दस्त होने पर आप 6 माशा सौंफ को 1 गिलास पानी में उबाल लें। जब पानी आधा रह जाये तो उसमें 1 चुटकी काला नमक डाल दें। इसका पानी तीन बार पिलाने से लाभ होता है।
तुलसी और पान का रस समान मात्र में गरम करके पिलाने से बच्चे के दस्त साफ आते हैं। पेट फूलना, अफारा ठीक हो जाता है।
जब बच्चे को दूध नहीं पच रहा हो, पीते ही उल्टी और दस्त आ रहा हो तो दूध बंद कर थोड़े समय के बाद सेब का रस पिलाने से आराम होता है। हो सके तो बच्चे को अपना दूध ही पिलायें। बाहरी दूध, डिब्बा, पाउच दूध फौरन बंद कर दें।
काली खांसी:- यह प्राय: छोटे बच्चों पर ही आक्रमण करती है जिसके कारण बच्चे खांसते-खांसते उल्टी कर देते हैं। यह एक दौरे के रूप में उठता है। चेहरा लाल हो जाता है एवं दम सा घुटने लगता है। फौरन लौंग को आग में भूनकर शहद में मिलाकर चटवायें। इससे खांसी ठीक होने लगती है।
दूसरे उपचार में पांच बादाम रात भर भिगो कर सुबह छीलकर उसमें एक कली लहसुन एवं मिश्री पीस लें व खिलायें। बच्चों को लहसुन माला पहनाना व इसके तेल की मालिश भी लाभदायक है।
पेट में कृमि (कीड़े) होने पर:-
एक लाल टमाटर लें जिसमें काली मिर्च, काला नमक, कलमी शोरा अधिक मात्रा में लेकर पीसेंं एवं टमाटर पर छिड़क दें। सुबह उठकर खाली पेट 5 दिन लगातार खायें। पेट के कीड़े स्वत: बाहर निकल जायेंगे।
सूखा रोग होने पर:-
इसमें पाखाना बहुत होता है। हड्डियां कमजोर पड़ जाती हैं। सूखा रोग में टमाटर का सेवन रामबाण है। इसके अतिरिक्त शरीर की स्थूलता, पेट के रोग, अतिसार, अपेण्डिसाइटिस, पीलिया, प्रदर आदि रोगों में भी टमाटर लाभदायक है। इनका सेवन सलाद के रूप में करें।
निमोनिया, श्वांस लेने में कष्ट:- आप चुटकी भर हींग पानी में घोल कर दें। कफ पतला होकर निकल जायेगा। दुर्गन्ध और कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।
निमोनिया में लहसुन को पीसकर रस निकालकर प्रयोग करना चाहियें।
खुजली होने पर:- खुजली खून की खराबी एवं छूने से होती है। खुजली सूखी एवं पानी वाली दोनों होती है। बच्चों को संक्रमित बच्चे के साथ उठने, खेलने न दें।
नारियल के तेल में नींबू का रस मिलाकर मालिश करने से खुजली कम होती है।
गेहूं के आटे का लेप करने से भी राहत मिलती है।
– श्वेता