देहरादून। देहरादून के न्यू कैंट रोड स्थित मुख्यमंत्री आवास के मुख्य सेवक सदन में शुक्रवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के लिए गठित विशेषज्ञ समिति की अध्यक्ष रंजना देसाई की मौजूदगी में समिति के सदस्यों ने ड्राफ्ट सौंप दिया। सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजना देसाई की अध्यक्षता में गठित समिति में दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रमोद कोहली, उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह, दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल और सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़ शामिल थे।
कमेटी द्वारा ड्राफ्ट सौंपे जाने के बाद मुख्य सेवक सदन में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि आज उत्तराखंड के लिए शुभ दिन है। इस दिन का पूरे देश को लंबे समय से इंतजार था। उन्होंने कहा कि सरकार ने अपने वादों के अनुसार समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लेकर आगे बढ़ते हुए काम किया है। यूसीसी से कुरीतियां और कुप्रथाएं अपराध बनेंगी।
इसी के साथ मुख्यमंत्री ने समिति से रिपोर्ट प्राप्त कर राज्य की जनता एवं राज्य सरकार की ओर से समिति के सभी सदस्यों का धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि समिति के सदस्यों का यह योगदान राज्य ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पांच सदस्यीय कमेटी की ओर से दो उप समितियां बनाई गईं। माणा गांव से लेकर 43 स्थानों पर संवाद हुआ। वेब पोर्टल लांच किया गया। इसके साथ ही 02 लाख 33 हजार लोगों ने विचार दिया। राज्य के 10 प्रतिशत लोगों ने राय रखी। अभी तक 72 बैठकें हुई हैं। दिल्ली से लेकर विभिन्न स्थानों पर समिति ने जाकर विशेष लोगों से जानकारी ली।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वह शुभ दिन आज आ गया। वादों के अनुरूप आज काम आगे बढ़ गया है। उत्तराखंड में आज ऐसा काम हुआ है जिसको लेकर देश को इंतजार था। हमारी सरकार इस रिपोर्ट का अध्ययन और विधिक परीक्षण कर यथाशीघ्र उत्तराखंड राज्य के लिए समान नागरिक संहिता कानून का प्रारूप तैयार कर संबंधित विधेयक को आगामी विधानसभा के विशेष सत्र में रखेगी। सरकार शीघ्र ही इस ऐतिहासिक कानून को देवभूमि में लागू कर जनता से किये गये वादे को पूर्ण करने में सफल होगी।
विधानसभा चुनाव-2022 से पूर्व राज्य की जनता से भारतीय जनता पार्टी ने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लाने का वादा किया था। इस घोषणा का भारी बहुमत से स्वागत किया गया। परिणामस्वरूप राज्य में भारतीय जनता पार्टी की पुनः सरकार गठित हुई। वादे के मुताबिक पुष्कर सिंह धामी सरकार गठन के तुरंत बाद ही पहली कैबिनेट की बैठक में ही समान नागरिक संहिता बनाने के लिए एक विशेषज्ञ समिति के गठन का निर्णय लिया गया और 27 मई 2022 को उच्चतम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में पांच सदस्यीय समिति गठित की। समिति में सिक्किम उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश प्रमोद कोहली, समाजसेवी मनु गौड़, उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह व दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल को सम्मिलित किया गया। 22 अगस्त 2022 को दो उप समितियों का गठन किया गया, जिसमें से एक उपसमिति का कार्य “संहिता” का प्रारूप तैयार करने का था, दूसरी उपसमिति का कार्य प्रदेश के निवासियों से सुझाव आमंत्रित करने के साथ ही संवाद स्थापित करना था।
समिति ने देश के प्रथम गांव माणा से जनसंवाद कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए प्रदेश के सभी जनपदों में सभी वर्ग के लोगों से सुझाव प्राप्त किये। इस दौरान कुल 43 जनसंवाद कार्यक्रम किये गये और प्रवासी उत्तराखंडी भाई-बहनों के साथ 14 जून 2023 को नई दिल्ली में चर्चा के साथ ही संवाद कार्यक्रम पूर्ण किया गया। समिति ने अपनी रिपोर्ट तैयार करने के लिए समाज के हर वर्ग से सुझाव आमंत्रित करने में तकनीक का सहारा भी लिया। इसके लिये 08 सितम्बर 2022 को एक वेब पोर्टल लांच करने के साथ ही राज्य के सभी नागरिकों से एसएमएस और व्हाट्सअप मैसेज से सुझाव आमंत्रित किये गये।
समिति को विभिन्न माध्यमों से दो लाख बत्तीस हजार नौ सौ इकसठ सुझाव प्राप्त हुए। जो कि प्रदेश के लगभग 10 प्रतिशत परिवारों के बराबर है। लगभग 10 हजार लोगों से संवाद एवं प्राप्त लगभग 02 लाख 33 हजार सुझावों का अध्ययन करने के लिए समिति की 72 बैठकें आहूत की गई और रिकॉर्ड समय में उत्तराखंड राज्य में समान नागरिक संहिता के लिए विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर शुक्रवार को रिपोर्ट मुख्यमंत्री धामी को उपलब्ध करायी गयी।
इस अवसर पर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव आर. मीनाक्षी सुदंरम, विनय शंकर पाण्डेय, विशेष सचिव पराग मधुकर धकाते, समान नागरिक संहिता के सदस्य सचिव अजय मिश्रा एवं महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी उपस्थित थे।