-अशोक भाटिया
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पर गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई है। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को पुलिस कभी भी गिरफ्तार कर सकती है। बताया जा रहा है कि लाहौर पुलिस इमरान को गिरफ्तार करने के लिए उनके आवास पर पहुंच गई है। इमरान के समर्थकों ने उनके आवास को घेरा हुआ है। इससे पहले चुनाव आयोग के दफ्तर के सामने हुए प्रदर्शन मामले में कोर्ट ने बुधवार को उनकी अंतरिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया था।
पाकिस्तान की एक आतंकवाद निरोधी अदालत ने संबंधित मामले की सुनवाई में शामिल न होने पर इमरान खान की याचिका को खारिज कर दिया था। कोर्ट के जज राजा जवाद अब्बास ने संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि मेडिकल आधार पर इमरान खान को अदालत में पेश होने के लिए पर्याप्त समय दिया गया था, लेकिन वह ऐसा करने में विफल रहे।
हालांकि, इमरान खान के वकील बाबर अयान ने कहा कि इमरान खान पिछले साल उन पर हुए हमले से उबर नहीं पाए हैं और उन्हें कोर्ट में पेश होने के लिए एक अंतिम मौका दिया जाना चाहिए। इसके बाद कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए टिप्पणी की कि अदालत एक आम व्यक्ति को ऐसी राहत नहीं दे सकती है, ऐसे में इमरान खान जैसे शक्तिशाली व्यक्ति को भी राहत नहीं दी जा सकती है। पिछली सुनवाई में अदालत ने इमरान खान की ओर से वर्चुअल सुनवाई के अनुरोध को खारिज कर दिया था।
कोर्ट ने इमरान खान को 15 फरवरी को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कहा था। हालांकि, इमरान खान अदालत के सामने पेश नहीं हुए। बीते साल प्रतिबंधित फंडिंग मामले में चुनाव आयोग ने इमरान खान को आयोग्य घोषित कर दिया था। इसके बाद तहरीक-ए-इंसाफ के कार्यकर्ताओं ने पूरे देश में चुनाव आयोग के दफ्तरों के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था। इस मामले में बीते साल अक्तूबर में पुलिस ने आतंकवाद विरोधी कानूनों के तहत एक मामला दर्ज कर जांच शुरू की। इसी मामले में इमरान खान को अंतरिम जमानत दी गई थी।
इमरान खान ने लाहौर में 22 फरवरी से जेल भरो तहरीक शुरू करने की घोषणा की है, जिससे सरकार पर पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा प्रांतों में 90 दिनों के भीतर चुनाव कराने के लिए दबाव बनाया जा सके। इमरान खान ने शुक्रवार
को एक वीडियो संदेश में इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा, हम जेल भर देंगे। मौजूदा सरकार के पास छिपने के लिए कोई जगह नहीं बचेगी। हम 22 फरवरी को लाहौर से आंदोलन शुरू करेंगे और फिर इसे देश के सभी प्रमुख शहरों में ले जाएंगे। इमरान खान ने कहा, गोली का घाव दो सप्ताह में ठीक होने के बाद वह गिरफ्तारी भी देंगे।
वीडियो मैसेज में उन्होंने कहा, ऐसा लगता है कि देश में कानून का कोई राज नहीं है, क्योंकि अदालत के 90 दिनों के भीतर पंजाब में चुनाव कराने के आदेश के बावजूद राज्य के संस्थान इसके लिए तैयार नहीं हैं। गिरफ्तारी पर इमरान के समर्थक मरने मारने पर उतारू है ।
दूसरी ओर इस समय आर्थिक मोर्चे पर पाकिस्तान बड़ी लुंज-पुंज अवस्था में है। उसकी अर्थव्यवस्था रसातल में है। महंगाई
आसमान पर है। खाने-पीने के सामान से लेकर पेट्रोल-डीजल की भारी किल्लत हो गई है। आम जनजीवन बुरी तरह त्रस्त है। तिस पर जिस मुजाहिदीन को पाकिस्तान ने इतने वर्षों तक पाला-पोसा, वही उसे निगलने पर आमादा है। कुछ ही देशों ने अपने अस्तित्व में आने के बाद से स्वयं को आत्मघात की राह पर इस तरह आगे बढ़ाया होगा, जैसा पाकिस्तान ने 1947 के बाद से किया। भारत के प्रति नफरत एवं ईर्ष्या के साथ ही असहिष्णुता की भावना में कमी और मानवीय मूल्यों का अभाव इसकी मुख्य वजह रहीं। फिलहाल अपनी जनता के दुख-दर्द से भी पाकिस्तानी नेताओं के दिल नहीं पसीज रहे।
इस माहौल में भी वे अपना आपा खोकर झूठे दिलासे देने में लगे हैं। यही कारण है कि कुछ दिन पहले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने शांति-सद्भाव का सुर तो छेड़ा, लेकिन बाद में अपने बयान से पलटी मार गए, ताकि जनता को साध सकें।
पहले तो उन्होंने कहा था कि तीन बार भारत से युद्ध करके पाकिस्तान ने ‘अपना सबक सीख लिया’ है और अब वे भारत के साथ शांति चाहते हैं। बाद में उन्होंने परमाणु ताकत की वही पुरानी घुड़की दे डाली। गंभीर आर्थिक संकट में फंसा होने के बावजूद पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर की ‘आजादी’ की हास्यास्पद बातें कर रहा है। पांच फरवरी को पाकिस्तानी नेताओं ने न केवल ‘कश्मीर एकजुटता दिवस’ का आयोजन किया, बल्कि नेशनल असेंबली से कश्मीर की ‘आजादी’ का संकल्प भी पारित कराया। क्या आपने दिवालिया होने के कगार पर पहुंचे किसी देश का ऐसा शुतुरमुर्गी रवैया और बड़बोलापन देखा-सुना है? पाकिस्तानी डीप स्टेट ने आरंभ से ही आतंकी तत्वों को खाद-पानी देने का काम किया। पाकिस्तानी सेना, आइएसआइ और राजनीतिक बिरादरी ने आतंकी गतिविधियों के लिए हरसंभव संसाधन उपलब्ध कराए। वे भारत को छद्म युद्ध के जरिये घाव देकर उसे झुकाने की उम्मीद पाले हुए थे। कालांतर में इन आतंकी समूहों ने अपने ही देश में हिंदुओं और भारतीय धरा पर जन्मे अन्य धर्मावलंबियों के अलावा शिया मुस्लिमों और सूफियों जैसे आंतरिक ‘दुश्मनों’ को मारने का अभियान भी छेड़ दिया।
तहरीक-ए-तालिबान के उभार से पाकिस्तान को खुद आतंक का कोप झेलना पड़ा। यानी पाकिस्तान ने इतने समय से जिस राक्षस को पाला-पोसा, वही उसे निशाना बनाने लगा है, जो फौजियों-पुलिस कर्मियों को भी नहीं बख्श रहा।पाकिस्तान में आतंक के आकाओं को इसका पहला अनुभव 2014 में पेशावर के उस हमले में हुआ, जिसमें 130 छात्रों और अध्यापकों का कत्ल कर दिया गया था। हालांकि हाल में जो हुआ उसके बारे में सेना और आइएसआइ ने सोचा भी नहीं होगा।
एक आत्मघाती हमलावर ने उच्च सुरक्षा वाले पुलिसिया घेरे को धता बताकर एक शिया मस्जिद में धमाका कर दिया, जिसमें 100 से अधिक लोग मारे गए जबकि 220 घायल हुए। अधिकांश मृतक पुलिस कर्मी थे। अब पाकिस्तान के गृहमंत्री राणा सनाउल्ला ने स्वीकार किया मुजाहिदीन का गठन एक भारी भूल थी और समय आ गया है कि अब आतंक के विरुद्ध एकजुट कार्रवाई की जाए।
आतंक के साथ पाकिस्तान का रिश्ता बहुत पुराना है। कश्मीर घाटी पर कब्जे के लिए उसने 75 साल पहले घुसपैठियों का सहारा लिया था। फिर 1965 में भारत के विरुद्ध युद्ध छेड़ा। इसके बाद 1971 में पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) की जनता ने जब पाकिस्तानी शासन व्यवस्था के विरुद्ध विद्रोह किया तब पाकिस्तान ने भारत की पश्चिमी सीमा पर हमले बोल दिए। इसके बाद 1999 में कारगिल संघर्ष हुआ। इन सभी अवसरों पर भारतीय सैनिकों ने अपने अदम्य साहस एवं अनुकरणीय शौर्य से पाकिस्तान को बुरी तरह पटखनी दी, लेकिन पाकिस्तान अपनी हरकतों से कभी बाज नहीं आया। तब तो हद ही हो गई जब उसने भारतीय लोकतंत्र के प्रतीक संसद भवन पर आतंकी हमला करा दिया। मुंबई की लोकल ट्रेन में 2006 के धमाकों में 200 से अधिक लोग मारे गए।
मुंबई ने ही नवंबर 2008 में वह दुर्दांत आतंकी हमला झेला, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए। पाकिस्तान के ऐसे आतंकी इतिहास को देखते हुए उसे विश्व में सबसे विश्वासघाती देश के रूप में याद किया जाएगा। इस कारण वह किसी भी प्रकार की दया या सहायता का पात्र नहीं। भारत की जनता न तो उसे माफ करे और न ही उसे उसकी करतूतें
भुलानी चाहिए। मौजूदा मुश्किल से बाहर निकलने के लिए पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आइएमएफ से गुहार लगा रहा है। आइएमएफ ने कड़ी शर्तें रखी हैं। जैसे उसने सरकार से बिजली दरें बढ़ाने को कहा है। पेट्रोल की दरें बढ़ाने का भी दबाव है जो पहले ही करीब 250 रुपये प्रति लीटर के आसपास हैं। इससे आम जनता की कमर और टूट जाएगी जो पहले ही 50 प्रतिशत के स्तर पर पहुंची महंगाई की दर से परेशान है।
आइएमएफ ने यह शर्त भी रखी है कि उसके राहत पैकेज की रकम का इस्तेमाल पाकिस्तान कर्ज अदायगी में नहीं कर सकता। हमें भी पाकिस्तानियों को उनके हाल पर छोड़ देना चाहिए। यूं तो भारत हिंदू बहुसंख्यक राष्ट्र है, मगर वह सदियों से दुश्मन के जाल में फंसता आया है। यही हिंदुओं की एक बड़ी कमजोरी रही है। भारत को दुश्मन के जाल में फंसने से बचना चाहिए। उसे पाकिस्तान द्वारा दिए जख्मों को विस्मृत नहीं करना चाहिए।
न ही यह भूलना चाहिए कि आर्थिक रूप से डूबने के बावजूद पाकिस्तान भारत में आतंक को बढ़ावा देने से बाज नहीं आ रहा। पाकिस्तान के लिहाज से एक बुरी बात यह भी है कि अभी भारत में नरेन्द्र मोदी की सरकार है। इस सरकार का रवैया पूर्व की कांग्रेस और गठबंधन सरकारों से अलग है, जिनमें उस बिगड़ैल पड़ोसी देश के प्रति सख्त फैसले लेने का साहस नहीं था जो मित्रता के योग्य ही नहीं है। इसी कारण मोदी सरकार ने दो-टूक कह दिया कि ‘वार्ता और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते।’स्पष्ट है कि पाकिस्तान को अब मोदी के नेतृत्व वाले नए भारत के साथ ताल बैठानी होगी, जहां अनावश्यक सहानुभूति का कोई भाव नहीं है।