Saturday, May 11, 2024

हाई कोर्ट ने उठाया सवाल- श्रद्धा मर्डर केस की खबरों के प्रसारण पर क्यों उत्सुक हैं न्यूज चैनल्स ?

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नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने कुछ न्यूज चैनल्स से पूछा है कि वे श्रद्धा मर्डर केस में चार्जशीट से जुड़े कंटेंट जैसे नार्को टेस्ट का ऑडियो और सीसीटीवी फुटेज को क्यों प्रसारित करना चाहते हैं, जबकि इससे भी जघन्य अपराध पूरे देश में घटित हो रहे हैं। जस्टिस रजनीश भटनागर ने न्यूज चैनल्स की इस मामले से जुड़े नार्को टेस्ट का ऑडियो और सीसीटीवी चलाने की मांग पर ये सवाल पूछा है। मामले की अगली सुनवाई 3 अगस्त को होगी।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि देश में रोजाना बीस हत्याएं होती हैं। इस मामले में ऐसा क्या खास है। क्या न्यूज चैनल्स ने निर्भया केस को चलाया था। आप इसी मामले को इतना क्यों चलाना चाहते हैं। कोर्ट ने कहा कि आपने ऐसे ही अतीक अहमद की हत्या के मामले को चलाया था। कोर्ट ने न्यूज चैनल्स से कहा कि वे 3 अगस्त तक उसके सवालों का जवाब दाखिल करें।

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दरअसल, हाई कोर्ट ने 19 अप्रैल को श्रद्धा मर्डर केस में चार्जशीट से जुड़े कंटेंट जैसे नार्को टेस्ट का ऑडियो और सीसीटीवी फुटेज को न्यूज़ चैनल्स पर चलाने पर रोक लगा दी थी। न्यूज चैनल्स ने हाई कोर्ट के इस आदेश को वापस लेने के लिए अर्जी दाखिल की थी। कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वो ये सुनिश्चित करे कि कोई भी चैनल श्रद्धा मर्डर केस की चार्जशीट और नार्को टेस्ट की ऑडियो और सीसीटीवी फुटेज से जुड़े कंटेंट को प्रसारित नहीं करे।

दरअसल, साकेत कोर्ट ने न्यूज चैनल्स पर कंटेंट के प्रसारण पर रोक लगाने के लिए हाई कोर्ट जाने की छूट दे दी थी। उसके बाद दिल्ली पुलिस ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

10 अप्रैल को साकेत कोर्ट ने इस मामले के आरोपित आफताब के नार्को टेस्ट की रिकॉर्डिंग का प्रसारण करने से एक न्यूज चैनल को अस्थायी तौर पर रोकने का आदेश दिया था। याचिका दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर राम सिंह ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि संबंधित न्यूज चैनल आरोपित के नार्को टेस्ट की रिकॉर्डिंग के प्रसारण से न केवल कोर्ट की कार्यवाही को प्रभावित करेगा बल्कि ये आरोपित और पीड़िता के परिवार को भी प्रभावित करेगा। इस प्रसारण से कानून-व्यवस्था की भी स्थिति पैदा हो सकती है, क्योंकि लोगों की भावनाएं इस केस से जुड़ी हुई हैं। याचिका में कहा गया है कि नार्को टेस्ट की रिकॉर्डिंग अब कोर्ट के रिकॉर्ड में है और कोर्ट के रिकॉर्ड की किसी चीज का इस्तेमाल बिना कोर्ट की अनुमति के नहीं किया जा सकता है।

कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर व्यापक सुनवाई की जरूरत है। इस पर न केवल दिल्ली पुलिस का पक्ष विस्तार से सुना जाना चाहिए बल्कि संबंधित न्यूज चैनल का भी पक्ष सुना जाना चाहिए। कोर्ट ने याचिका की प्रति संबंधित न्यूज चैनल को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। गौरतलब है कि कोर्ट ने आफताब के खिलाफ हत्या का आरोप तय कर दिया है।

कोर्ट ने 23 दिसंबर, 2022 को आफताब के आवाज के नमूने (वॉयस सैंपल) लेने की दिल्ली पुलिस को अनुमति दी थी। आफताब ने श्रद्धा की हत्या कर करीब तीस टुकड़े कर दिए थे। उसके शव के टुकड़ों को फ्रिज में रखा हुआ था। वो शव के अंगों को अलग-अलग स्थानों पर ले जाकर फेंकता था। बाद में पुलिस ने आफताब की निशानदेही पर श्रद्धा के शरीर के कई अंगों को बरामद किया।

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