लखनऊ। पूरे प्रदेश में भीषण गर्मी के प्रकोप के कारण बिजली की मांग में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है। 22 मई को 26136 मेगावॉट बिजली की अधिकतम मांग की पूर्ति ऊर्जा विभाग ने सकुशल की। यह पहली बार हुआ है, जब मई महीने में बिजली की मांग 26 हजार मेगावॉट के ऊपर गई है। इसके बावजूद निर्धारित शिड्यूल के अनुरूप प्रदेश के सभी क्षेत्रों में निर्वाध विद्युत आपूर्ति उपभोक्ताओं को की जा रही है, इसमें किसी भी प्रकार की कटौती नहीं की जा रही है। ये बातें प्रदेश के ऊर्जा एवं नगर विकास मंत्री एके शर्मा ने कही।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार उपभोक्ताओं के हित में कठोर कदम उठाने एवं कड़े निर्णय लेने से भी पीछे नहीं हट रही है। अभी उपभोक्ताओं के लिए दी जाने वाली सुविधाओं के समय से न मिलने पर उन्हें मुआवजा देने का प्रावधान किया गया है। इसके लिए सभी अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए है कि उपभोक्ताओं की समस्याओं का हल निश्चित समय के अंतर्गत करें, इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही पर सख्त कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने उपभोक्ताओं से भी देश एवं प्रदेश हित में बिजली की बचत एवं इसके संरक्षण करने की अपील की है।
ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने कहा कि वर्तमान में स्थानीय कारणों के कारण, आंधी तूफान आने से, पेड़ों के टूटने से या किसी प्रकार की दुर्घटना से जहां पर भी विद्युत आपूर्ति बाधित हो रही है, उसे तत्काल ठीक कराया जा रहा है। साथ ही विद्युत की मांग बढ़ने से ट्रांसफार्मर का लोड चेक करने के भी निर्देश दिए गए हैं, जिससे कि ट्रांसफार्मर ओवरलोड होकर जलने से बचे और निर्वाध विद्युत आपूर्ति में बाधा न बने।
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि वर्ष 2012 से 2017 के बीच सपा सरकार के दौरान प्रदेश की जितनी अधिकतम डिमॉण्ड रही उतनी वर्तमान में हमारी 16 हजार मेगावॉट न्यूनतम डिमॉण्ड है। उस समय मुश्किल से प्रदेश में जो भी उपभोक्ता रहे हैं, आज उसका तीन गुना बढ़कर 3.27 करोड़ हो गये हैं, जिनको ऊर्जा विभाग रोस्टर के अनुरूप निर्वाध विद्युत आपूर्ति कर रहा है। ए0के0 शर्मा ने कहा कि उपभोक्ता हित में प्रदेश की योगी सरकार ने अहम फैसला लिये हैं और उन्हें धरातल पर उतारा भी है। अभी उपभोक्ता सुविधा में कटौती करने या फिर समयबद्ध रूप से पूरा न करने पर मुआवजा देने का प्रावधान किया गया है और इस व्यवस्था को सख्ती से लागू भी किया गया है।