Friday, November 22, 2024

नारी के अपमान के लिए महाभारत का युद्ध लड़ा गया, लेकिन आज नारी किस स्थिति में है?

नारी के अपमान पर महाभारत का युद्ध लड़ा गया था लेकिन आज नारी के साथ ये क्या हो रहा है । पिछले दिनों उज्जैन , राजस्थान व दिल्ली में नाबालिग बालिकाओं के साथ जिस तरह का लोमहर्षक दुष्कर्म हुआ, वो किसी भी सभ्य समाज के लिए निंदा का विषय है। दु:ख इस बात पर होता है कि लोग इस तरह के कृत्य को देखने के बाद किस तरह मौन रहते हैं।पुलिस प्रशासन जिनके हाथ में सुरक्षा व्यवस्था बनाये रखने की जिम्मेदारी रहती है, वे भी इस तरह के मामले में ज्यादा सक्रियता नही दर्शाते हैं। लड़की जहाँ से गुम हुई, अगर वहाँ की पुलिस सक्रिय रहती तो इस तरह की घटना होने से रोकी जा सकती थी।
वैसे सच पूछा जाए तो इस तरह की घटना के लिए पूरा का पूरा समाज ही जिम्मेदार होता है।अगर हम इतिहास में जाएँ और पूर्व की घटनाओं को किसी तरह सच मानें तो रामायण काल में भी महिलाएँ सुरक्षित नहीं थीं क्योंकि अगर महिलाएँ सुरक्षित होतीं तो रावण द्वारा सीता का अपहरण नही हुआ होता। पूरी की पूरी रामायण ही इस बुनियाद पर टिकी हुई है कि अगर रावण ने सीता का अपहरण नहीं किया होता तो श्री राम को रावण से युद्ध करने की नौबत ही नहीं आती।मतलब साफ है कि उस युग में भी नारी सुरक्षित नहीं थी।
वही हाल हम महाभारत काल में भी देखते हैं कि द्रौपदी का चीर हरण भरे सभागार में होता है और वहाँ उपस्थित बड़े से बड़ा योद्धा भी मूकदर्शक बना रहता है।वह पल कितना शर्मनाक रहा होगा उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है।ये बात अलग है कि उस अपमान के लिये महाभारत का युद्ध तक लड़ा गया लेकिन उससे नारी के उस अपमान को वापस नहीं किया जा सका।
आज भी हमारे समाज में निर्भया जैसी बर्बर घटनाएँ आये दिन घटित होती ही रहती है।समाज न पहले बदला था और न आज बदलने की स्थिति में है।दरअसल जबतक पुरुषों के अंदर पाशविक प्रवृत्ति जिंदा है तब तक इस पर लगाम लगाना मुश्किल है।आज हमारे देश की कानूनी प्रक्रिया इतनी जटिल है कि किसी भी अपराधी को त्वरित सजा कभी नहीं मिल पाती और बहुत से मामलों में तो सजा मिल ही नही पाती है।दरअसल अगर समाज में आप सुरक्षित हैं तो सिर्फ भाग्य के भरोसे।आज आये दिन कोई भी अपराधी किसी को गोली मारकर चला जाता है ,प्रशासन की कोई व्यवस्था उसे रोक नही पाती है।ये आज समाज की कड़वी सच्चाई है।
वैसे महिलाओं के साथ जो दुव्र्यवहार होता है उसमें कुछ हद तक महिलाएं ख़ुद भी जिम्मेदार होती हैं।खुलेपन के नाम पर महिलाएं जिस तरह उच्श्रृंखलता की सीमा को पार कर जाती हैं , उसमें उनके साथ किसी तरह के दुव्र्यवहार का होना लाजमी सा हो जाता है।जब आपको पता है कि सृष्टि ने महिलाओं का काया कोमल बनाया है तो महिलाओं को ख़ुद से उन परिस्थितियों से बचना होगा जहाँ आपके साथ दुव्र्यवहार होने की गुंजाइश है।
एक अति सुंदर महिला अगर रात में सड़क पर अकेले विचरण करेगी तो चाहे कितना भी सभ्य समाज हो, उसके साथ अनिष्ट होने से कोई नहीं रोक सकता।आज शिक्षा के नाम पर लड़कियाँ अपने घरों से दूर रहकर पढ़ाई करती हैं।उनपर किसी तरह की निगरानी नहीं रहती है।ऐसे में ज़्यादातर लड़कियाँ अपनी मर्यादा को तोड़कर खुलेआम मौज मस्ती करती हैं और ऐसे में उनके साथ कुछ ऊंच नीच होती है तो उसके लिए वे खुद जिम्मेदार मानी जाएंगी।
आप केवल पुरुषों पर दोष देकर नहीं बच सकते । पुरूष तो स्वाभाविक तौर पर लंपट होते ही हैं क्योंकि उनके अंदर के हार्मोन  उन्हें लम्पटता करने के लिए प्रेरित करते रहते हैं लेकिन यही लम्पटता कभी कभी समाज के लिए भारी पड़ जाती  है।इसलिए ये महिलाओं का कर्तव्य है कि वे पुरुषों को वह अवसर प्रदान नही करें जिसमें पुरूष उनके साथ किसी तरह के अपमान करने के लिए बाध्य हों।आज हमारे देश में महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामले में कानूनी प्रावधान बहुत ही सख्त होना चाहिए  जिसमें दोषियों को सरेआम ऐसी सजा दी जाए जिसमें कोई ऐसा कृत्य करने के पहले दस बार सोचे। महिलाओं के दुष्कर्म के मामलों को एक अलग न्यायिक व्यवस्था के अंतर्गत लाना होगा।
वैसे हमने ये भी देखा है कि आजकल बहुत सी महिलाएं दुष्कर्म का झूठा आरोप लगाकर लोगों से पैसे भी ऐंठती हैं।इन मामलों को भी कड़ाई से निपटने की जरूरत है।दहेज़ के मामलों में कई झूठे आरोप लगाए जाते हैं और सीधे साधे लोगों को फंसाया जाता है।किसी भी कानून के दो पक्ष न चाहते हुए भी हो जाते हैं।कुछ लोग कानून का दुरूपयोग करते ही हैं।दरअसल जबतक हमारी पुलिस व्यवस्था पूरी तरह ईमानदार नहीं होगी, तब,तक कोई भी बेहतर से बेहतर कानून भी बेमानी सिद्ध होगा।आज पूरे देश की पुलिस व्यवस्था भ्रष्टाचार में  डूबी हुई है।
अगर आपको थाने जाने की जरूरत पड़ जाए तो यकीन मानिए बगैर रिश्वत के वहाँ कोई कार्य सिद्ध नही होने वाला है।आज समाज में अपराधी इसलिए खुलेआम घूमते रहते हैं क्योंकि उन्हें पुलिस का संरक्षण प्राप्त रहता है।अगर पुलिस तंत्र ईमानदार हो तो क्या मजाल कि समाज में एक अपराधी भी नजऱ आ जाये।
आज पूरी पुलिस व्यवस्था को आधुनिक करने की जरूरत है।पुलिसकर्मियों की भर्ती से लेकर उनके ट्रेनिंग तक में आमूल चूल परिवर्तन करने की आवश्यकता है।अंग्रेजों के समय की बनी व्यवस्था को बदलने की सख्त जरूरत है।पुलिसकर्मी देश के सबसे योग्य और ईमानदार व्यक्ति होने चाहिए।इनका सबसे ऊंचा मापदंड होना चाहिए।अगर कोई पुलिसकर्मी है तो लोगों का नजरिया उसके प्रति ऐसा होना चाहिए कि वह समाज का सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति है।
आज स्थिति ये है कि हम हर पुलिसकर्मियों को सबसे भ्रष्ट व्यक्ति मानते हैं  और 90 प्रतिशत मामलों में ये सच भी है। इसके साथ ये भी सच है कि सबसे ज्यादा कार्यभार पुलिसकर्मियों पर ही होता है।अब तो उंनको छुट्टियां भी मिलने लगी हैं  वरना पहले सातों दिन काम करना पड़ता था । कुल मिलाकर हम ये जरूर कह सकते हैं कि ईमानदार पुलिस व्यवस्था और नारियों का खुद पर नियंत्रण ही उंनको सुरक्षा प्रदान कर सकता है।
आप पूरा का पूरा दोष केवल समाज पर नहीं दे सकते।नारियों को पूरी तरह बुर्के में रखना भी एक तरह उनके साथ ज्यादती  है।।अगर आज महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए बुर्के में रहना पड़े तो इससे बुरी स्थिति और कुछ नहीं हो सकती ।इसका मतलब ये हुआ कि पूरा का पूरा पुरूष वर्ग जंगली भेडिय़ों के समान है।ये कैसी व्यवस्था है जिसमें महिलाओं को अपनी आबरू की रक्षा के लिए बुर्के में रहना पड़े। महिलाएं क्या पहनेंगीं, ये उनके विवेक पर छोड़ देना चाहिए।हाँ, ये जरूर है कि ख़ुद उन्हें ख़ुद के लिए अपनी मर्यादा तय करनी होगी।उत्तेजक वस्त्र निश्चित रूप से पुरुषों को विचलित जरूर करते हैं इसलिए कभी भी आग में घी डालने से बचना चाहिए।

महिलाओं को समाज में एक सामंजस्य बनाकर ही चलना होगा।किसी भी अंकुश के बगैर एक लक्ष्मण रेखा खुद के लिए निर्धारित करनी होगी ।महिलाओं पर कोई सामाजिक बंधन भले ना रहे पर हर महिला को खुद विवेकशील रहना होगा।अगर महिला समाज की आदर्श बन जाएं तो यकीनन पुरुषों को भी कभी न कभी अपने आचरण में बदलाव करना ही पड़ेगा।बलात्कार जैसे मामलों के लिए स्त्री या पुरुष दोनों को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।महिलाओं की जनसंख्या की घटती दर भी इसके लिए जिम्मेदार है।आज समाज में पुरुषों के लिए विवाह चिंता का विषय है।

राजस्थान में सबसे ज्यादा बलात्कार के मामले आते हैं क्योंकि वहाँ महिलाओं का अनुपात पुरुषों की अपेक्षा बहुत कम है।केरल में बलात्कार के मामले बहुत कम दर्ज होते हैं क्योंकि वहाँ महिलाएं पुरुषों से अधिक हैं।दरअसल समाज में ये असंतुलन भी बदलना होगा।लड़कियों की भ्रूण हत्या पर रोक लगनी चाहिए।समाज में महिलाओं की जनसंख्या हमेशा पुरुषों से अधिक होनी चाहिए। पुरुषों को भी अपनी मानसिकता में बदलाव करने की जरूरत है । महिलाओं को सम्मान की दृष्टि से देखना होगा।
-डॉ. नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी

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