लखनऊ । उत्तर प्रदेश में जनपद महोबा के व्यापारी इंद्रकांत त्रिपाठी की मौत के मामले में जेल में बंद आईपीएस मणिलाल पाटीदार को बर्खास्त कर दिया गया है। उनका नाम आईपीएस अफसरों की सिविल सूची से भी हटा दिया गया है। राज्य सरकार की सिफारिश के बाद केंद्र सरकार ने यह कार्रवाई शनिवार को की है।
महोबा के तत्कालीन एसपी रहे मणिलाल पाटीदार पर व्यापारी ने उनके विरुद्ध भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाये थे। इस संबंध में सात या आठ दिसम्बर 2020 को एक वीडियो भी सार्वजनिक हुआ था। इसी के दो दिन बाद व्यापारी इंद्रकांत त्रिपाठी की संदिग्ध परिस्थिति में गोली लगने से मौत हो गई थी। घरवालों की शिकायत पर पुलिस ने पाटीदार सहित तीन अन्य के विरुद्ध हत्या का मामला दर्ज किया था।
शासन ने भी इस मामले को गंभीरता से लेते हुए विशेष जांच दल गठित की थी। जांच में वे और अन्य पुलिसकर्मी दोषी पाए थे। इस मामले में थानाध्यक्ष देवेन्द्र शुक्ला सहित चार सिपाहियों को बर्खास्त कर दिया गया था , जबकि आईपीएस मणिलाल पाटीदार फरार थे। उनकी गिरफ्तारी पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया था। कोर्ट के आदेश पर राजस्थान में उनकी सम्पत्ति भी कुर्क कर ली गई थी। दो साल तक फरार रहने के बाद पाटीदार ने 15 अक्टूबर 2022 को लखनऊ की अदालत में आत्मसमर्पण किया था। इसके बाद से ही वह जेल में ही था। जेल में बंद पाटीदार को बर्खास्त करने की सिफारिश राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से की थी, जिस पर मुहर लग गई है।
यूपी कैडर के 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी मणिलाल पाटीदार मौजूदा समय लखनऊ जेल में बंद है।
आपको बता दें कि वर्ष 2020 में महोबा के व्यापारी की मौत के बाद मणिलाल पाटीदार फरार हुए थे, उन्हें पुलिस करीब दो वर्ष तक ढूंढती रही थी, जिसके बाद योगी सरकार ने पाटीदार को निलंबित कर केंद्र सरकार को उन्हे बर्खास्त करने की सिफारिश की थी। गृह विभाग के अधिकारी के मुताबिक, हाल ही में केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DOPT) ने मणिलाल पाटीदार को बर्खास्त कर आईपीएस सूची से उनका नाम हटा दिया है।
महोबा के कबरई में जवाहर नगर निवासी क्रशर कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी ने 7 सितंबर 2020 को तत्कालीन जिले के एसपी मणिलाल पाटीदार पर रिश्वत मांगने का आरोप लगाते हुए एक वीडियो बनाया था। जिसे कारोबारी ने एक शिकायती पत्र के साथ सीएम योगी और डीजीपी को भी भेजा था। वीडियो में व्यापारी ने कबरई पत्थरमंडी ठप होने की वजह से पैसे न देने की असमर्थता जताई थी। वीडियो वायरल होने के एक दिन बाद इंद्रकांत त्रिपाठी अपनी कार में घायल हालत में मिले। उनके गले पर गोली लगी थी। इलाज के लिए उन्हें कानपुर के रीजेंसी अस्पताल ले जाया गया, जहां 13 सितंबर 2020 को उनकी मौत हो गई।