प्रयागराज – इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और उत्तर प्रदेश सरकार से यूपी के स्कूल परिसरों में चल रहे कोचिंग संस्थानों के खतरे को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी मांगी है। कोर्ट ने कहा है कि दोनों ही पक्षकार 10 दिनों के भीतर इस मामले में अपना जवाब दाखिल करें।
यह आदेश न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने मनीष कुमार मिश्रा की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका में यूपी कोचिंग विनियमन अधिनियम और सीबीएसई परिपत्र अगस्त 2019 का कड़ाई से अनुपालन करने की मांग की गई है।
याची की ओर से कहा गया कि वह जानकी ट्रस्ट नामक एक ट्रस्ट के सदस्य हैं, जो सीबीएसई से संबद्ध एक स्कूल चला रहा है। उनके संस्थान के आसपास सीबीएसई से संबद्ध कई संस्थान हैं और स्कूल/कॉलेज भवनों के परिसर में कोचिंग संस्थान चल रहे हैं, जो सीबीएसई की नीति के साथ-साथ यूपी कोचिंग विनियम अधिनियम 2002 के विपरीत हैं।
इस संबंध में अधिकारियों से शिकायत की गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस पर कोर्ट ने सीबीएसई के सचिव और यूपी बोर्ड के सचिव को नोटिस जारी करते हुए इस संबंध में उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी है। कोर्ट अब इस मामले में 14 अगस्त को सुनवाई करेगा।