Saturday, May 4, 2024

सफाई की आदत: जितनी जल्दी, उतनी अच्छी

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सफाई का सीधा सीधा नाता सेहत से भी जुड़ा है। इसके अलावा व्यक्तित्व के निखार के लिए भी सफाई जरूरी है। अगर तन साफ होगा तो मन साफ और प्रसन्न महसूस करेगा।
इनके साथ अगर आस-पास का वातावरण साफ होगा तो जीवन जीने का मजा कई गुना बढ़ जाएगा। अधिकतर लोग सफाई के प्रति लापरवाह रहते हैं। नतीजन कई बीमारियां उनके साथ जुड़ जाती हैं।

अगर हम बच्चों को बचपन से ही सफाई की आदतों के प्रति जागरूक रखें तो सफाई हमारी आदतों में घुल मिल जाएगी।
प्रारंभ से ही बच्चों को टॉयलेट के लिए टायलेट सीट पर ले जाकर करवाने की आदत डालें। प्रारंभ में उन्हें खुद उठाए हुए वहां करवाएं। जब बच्चा बैठना सीख जाए तो उसे आदत डालें कि पेेशाब और पॉटी के लिए वहीं जाएं।

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हर बार टायलेट प्रयोग कंरने पर फ्लश करना सिखाएं और अंग्रेजी टॉयलेट है तो बाउल बंद करना सिखाएं।
टॉयलेट के बाद अपने उन अंगों को धोना भी बताएं जिसका प्रयोग उन्होंने किया हो ताकि व्यक्तिगत सफाई के प्रति भी बचपन से जागरूक रहें।

टॉयलेट से बाहर आने पर साबुन से हाथ धोना और तौलिए से हाथ सुखाना भी सिखाएं।
नहलाते समय प्रारभ में बच्चों के शरीर को साफ रखना माता का फर्ज होता है। नहलाते समय बच्चों के अंडर आर्म्स, कोहनियां, हाथों पैरों की उंगलियां,उनके प्राइवेट अंगों पर साबुन लगाकर अच्छे से उन्हें धोएं। जब बच्चा खुद नहाने लगे तो उन्हें हर अंग की सफाई के महत्व को समझाएं और ध्यान रखें कि वे भी उन अंगों की सफाई कर सकें। उन्हें नर्म तौलिए से पोंछना भी बताएं क्योंकि शरीर पर रहा पानी विशेषकर प्राइवेट अंगों और अंडरआर्म्स में बैक्टीरिया डेवलप कर सकता है।

शिशुओं के मुंह के अंदर की सफाई का बचपन से ध्यान रखें। जब बच्चा दूध पीकर हटे तो उसका मुंह गीले रूई के फाहे से साफ करें। नहलाते समय नर्म गीले सूती कपड़े से सकी जीभ और मसूड़़ों की सफाई करें।
जैसे ही दांत आने प्रारंभ हो जाएं तो स्वयं बेबी-ब्रश से उनके दिन में दो बार दांत साफ कराएं। धीरे-धीरे बच्चे जब स्वयं ब्रश करना सीखें तो उन्हें अच्छे से कुल्ला करना बताएं। हर खाने के बाद कुल्ला करने की आदत डालें। दिन में दो बार ब्रश अवश्य कराएं।

बालों की सफाई हेतु प्रारंभ से उनके बाल सप्ताह में दो से तीन बार साफ करें। ज्यों ज्यों बच्चा बड़ा हो, उन्हें बाल साफ रखने की ट्रेनिंग दें। गंदे बालों से होने वाले दुष्प्रभाव भी समझाएं ताकि वो इस महत्व को समझ पाएं।
कुछ भी खाने से पहले स्वयं भी हाथ धोएं और बच्चों के हाथ भी धुलवाएं ताकि हाथ धोने की आदत बन सके। खाने के बाद भी हाथ अवश्य धुलवाएं। सलाद, फ्रूट अगर बिना कटा खा रहे हैं तो उन्हें अच्छी तरह से धोकर खाने को समझाएं और बताएं इन पर कीटनाशक दवाएं आपके स्वास्थ्य को बिगाड़ सकती हैं। धोकर और पोंछकर खाना ही बेहतर है।

बाजारी सलाद व कटे हुए फल न खाने के बारे में भी समझाएं कि उन पर मक्खियां बैठकर संक्र मण फैला सकती हैं।
घर पर भी खाने की चीजों को ढककर रखने की आदत बच्चों को सिखाएं।
टेवलिंग में यदि पानी और साबुन उपलब्ध न हो, तो हैंड सैनिटाइजर का उपयोग करना सिखाएं। अपने साथ पेपर सोप भी रखें ताकि पानी उपलब्ध होने पर पब्लिक सोप का प्रयोग न कर पेपर सोप का प्रयोग ही करें। यह व्यक्तिगत सफाई हेतु सही तरीका है।

बच्चों को बचपन से एक थाली में या दूसरे का बचा खाना खाने की आदत न डालें। अपनी अपनी थाली में उतना डालने की आदत डालें जितनी जरूरत हो अगर भूख लगे तो और ले सकते हैं।
बचपन से ही खांसते छींकते समय मुंह पर हाथ या रूमाल रखने की आदत डालें और समझाएं ऐसा न करने से संक्रमण दूसरों तक आसानी से पहुंच जाते हैं। अगर हाथ रख रहे हैं तो हाथ बाद में अवश्य धोएं।
गली में खुले में शौच या पेशाब न करने की आदत डालें।

बच्चों को बताएं कि यदि स्ट्रीट फूड खाना हो तो पूरी तरह से पका वाला ही खाएं। कच्चा, बर्फ वाला या घर से बनाकर लाते हैं वैसा खाना न खाएं।
ब्यूटी पार्लर जाते समय बच्चों को बताएं कि आपके पार्लर वाला डिस्पोजेबल ग्लव्स का प्रयोग करता हो और नैपकिंस या पेपर टॉवल का प्रयोग करता हो इस बात पर ध्यान दें। अगर नहीं तो उन्हें कहें अपने साथ पेपर टॉवल, नैपकिंस और ग्लव्स ले जाए ताकि औरों के संक्रमण उन तक पहुंच कर उन्हें संक्रमित न कर दें।
पब्लिक टायलेट का प्रयोग करते समय पहले पानी डालकर सीट का प्रयोग करने की आदत डालें और फ्लैश जरूर करने की आदत डालें।

सड़क पर थूकना भी गलत आदत है। आप पेपर नैपकिन अपने पास रखें ताकि थूक आने पर उसका प्रयोग किया जा सके।
रिमोट, रेलिंग, मोबाइल, फोन, लैपटॉप का प्रयोग करने के बाद हाथ साबुन से अवश्य धोएं ताकि बाहरी संक्रमण आपके खाने के साथ आपके अंदर न जा पाएं। बच्चों को हैंड हाइजिन की आदत पर अधिक जोर दें और बताएं अधिकतर कीटाणु मुंह के जरिए शरीर में पहुंच जाते हैं।

हाथ धोने हेतु एंटी बैक्टीरियल साबुन का प्रयोग करें।
लड़कियां अपने सेनिटरी पैड्स को ढक्कन वाले डस्टबिन में ही डालें। प्रयास कर उन्हें पालिथिन में डालकर फेंके। ऐसा कर आप कई तरह की संक्रामक बीमारियों से स्वयं को और बच्चों को बचा सकते हैं।
– नीतू गुप्ता

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