चंडीगढ़- हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने उच्च न्यायालय की निगरानी में नूंह हिंसा की न्यायिक जांच कराने की मांग की है।
श्री हुड्डा ने गुरुवार को यहां मीडिया को जारी बयान में कहा कि दंगा भड़काने और दंगा करने वालों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि यह हिंसा भाजपा-जजपा सरकार की विफलता का नतीजा है। उन्होंने दावा कि खुद भाजपा नेता और केंद्र में मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने यह बात मानी है। मामले की संवेदनशीलता और हालत को समझने और ऐहतियाती कदम उठाने में सरकार पूरी तरह विफल रही है। यहां तक कि स्थानीय पुलिस ने सरकार को पहले ही रिपोर्ट दे दी थी। बावजूद सरकार ने उचित कदम नहीं उठाए।
श्री हुड्डा ने कहा कि इस हिंसा में बेकसूर दुकानदारों की दुकानें जलाई गईं, लोगों के घरों पर हमला किया गया और कई लोगों की जान गई। दफ्तरों, स्कूलों, कम्पनियों को बंद करना पड़ा। जाहिर है कि कानून व्यवस्था सम्भालने में भाजपा-जजपा सरकार पूरी तरह विफल साबित हुई है तथा उसे सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने मुख्यमंत्री के उस बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताया कि पुलिस सभी को सुरक्षा नहीं दे सकती। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या सुरक्षा सिर्फ सत्ता में बैठे हुए लोगों के लिए है। आम नागरिक सुरक्षा के लिए किसके पास जाए। सरकार को पता होना चाहिए कि प्रत्येक नागरिक को सुरक्षा देना सरकार का काम है।
विपक्ष के नेता ने कहा कि वह दो बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं। उन्हें पता है कि हरियाणा पुलिस हर स्थिति से निपटने में सक्षम है। सरकार अगर सही समय पर सही कदम उठाए तो प्रदेश में कभी ऐसी वारदात सम्भव नहीं है। उन्होंने कहा कि गुरुग्राम और फरीदाबाद ऐसे क्षेत्र हैं जहां दुनियाभर की कम्पनियां और उद्योग हैं। अगर यहां कानून व्यवस्था चरमराती है तो निश्चित तौर पर उद्योग यहां से पलायन करेंगे और निवेश करने से हाथ पीछे खींचेगा।
श्री हुड्डा ने लोगों से भी शांति और भाईचारा कायम रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि मेवात में बंटवारे के समय भी दंगे नहीं हुए। उन्होंने असामाजिक तत्वों को चेतावनी दी कि कोई कितनी भी कोशिश कर ले, हरियाणा के भाईचारे को नहीं तोड़ पाएगा।