Friday, November 22, 2024

बहुत गुणकारी है तुलसी रानी

तुलसी को अलग अलग क्षेत्रों में भिन्न नामों से जाना जाता है जैसे सुरसा, ग्रामय, सुलभ, बहुमंजरी, वृंदा, वैष्णवी, सुगंधा, गंधहारिणी, श्यामा, रामा और गौरी आदि। भारत वर्ष में तुलसी बहुतायत में पायी जाती है। यह एक ऐसा पौधा होता है जिसमें लगभग सभी रोगों को दूर करने की क्षमता होती है। तुलसी की 2 जातियां पाई जाती हैं सफेद और कृष्ण। श्वेत की अपेक्षा कृष्ण तुलसी में अधिक गुण पाए जाते हैं।

तुलसी के स्वास्थ्यवर्द्धक गुण:- तुलसी के पौधों के आस पास की वायु शुद्ध होती है। प्राचीन समय के धार्मिक रिवाज की आजकल के प्रयोगों से पूरी वैज्ञानिकता सिद्ध हो चुकी है। तुलसी के पत्तों से एक विशेष प्रकार का तैल वायुमंडल में फैल जाता है जो विभिन्न प्रकार के जीवाणुओं को नष्ट करने का कार्य करता है।

बरसात के दिनों में मच्छर एवं अन्य जीवाणुओं और कीटाणुओं का प्रकोप बढ़ता है तो तुलसी भी मोैसम के अनुसार फैलनी आरम्भ हो जाती है। इस के प्रभाव में आने वाली गंदी वायु शुद्ध हो जाती है। जब मनुष्य ऐसी शुद्ध हवा में सांस लेता है तो स्वास्थ्यवर्द्धक प्रभाव शरीर की प्रत्येक कोशिका पर पड़ता है जिस के फलस्वरूप रक्त शुद्ध हो जाता है, फेफड़े निरोग हो जाते हैं एवं शरीर के सभी अवयव स्वस्थ एवं शक्तिशाली बनते हैं।

तुलसी की चाय:- चाय के बुरे प्रभावों को जानते हुए उसे छोडऩे के इच्छुक व्यक्तियों के लिए तुलसी की चाय बनाने का ढंग लिखा जा रहा है जिसका सेवन करके रोगी अपना पूर्ण स्वास्थ्य लाभ ले सकते हैं। 10 ग्राम तुलसी, 400 ग्राम पानी में उबालें। जब तीन चौथाई पानी रह जाए तो उतार कर चाय की तरह काम में लाएं। गुड़, दूध और पिसी इलायची आवश्यकतानुसार मिलाकर चाय की तरह सेवन करेें। यह चाय बहुत ही लाभकर होती है। तुलसी के साथ इसी विधि से अदरक मिला कर पी गई चाय भी लाभदायक होती है।

मलेरिया ज्वर से बचने हेतु:- प्रतिदिन 3-4 पत्तियां चबाने से मलेरिया ज्वर का संक्रमण नहीं होता। मलेरिया ज्वर से छुटकारा पाने हेतु 2-4 पत्तियां को काली मिर्च के साथ घोंट कर गर्मी के दिनों में शहद के साथ चटाने से तथा जाड़े के दिनों में उबाल कर पीने से सभी ज्वरों में लाभ देता है।

1. तुलसी पत्र के 1 तोले रस में मधु मिलाकर पीने से मलेरिया ज्वर नष्ट हो जाता है।
2. तुलसी दल के काढ़े को गाय का दूध मिलाकर सेवन करने से खांसी, जुकाम में लाभ मिलता है।
3. तुलसी और एरण्ड के पत्तों का क्षार मधु के साथ सेवन करने से श्वास कास में बहुत लाभ मिलता है।
काली खांसी में:- तुलसी पत्र और काली मिर्च बराबर पीसकर मूंग के दाने के बराबर गोलियां बनाकर बच्चों को प्रतिदिन 3-4 बार 1 गोली
देने से उनकी काली खांसी दूर होती है।

रक्त विकार, चर्मादि रोगों में:- सुबह शाम नींबू के रस के साथ तुलसी की पत्तियों का सेवन करने से सभी चर्म रोगों में लाभ मिलता है। इससे शरीर पर पड़े काले धब्बे भी दूर हो जाते है।
कुष्ठ रोग पर:- लगातार तुलसी रस का मधु के साथ सेवन करने पर कुष्ठ रोग में लाभ मिलता है।

दाद पर:- तुलसी के रस में सेंधा नमक मिलाकर थोड़ा सा नींबू रस मिला लेने पर दाद का बहुत ही शीघ्र उपचार हो जाता है। मात्र तुलसी के पत्र को दाद पर रगडऩा भी लाभ देता है।
तुलसी की पत्तियों को चबाना मुख रोगों में बहुत ही लाभकारी सिद्ध हुआ है।
– अरूण चंदन

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