लखनऊ। यूपी के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने शुक्रवार को प्रदेश मुख्यालय और जिला स्तर पर आयोजित बैठकों, आयोजनों में जनप्रतिनिधियों (सांसद एवं विधान मंडल के सदस्यगण) के बैठने के स्थान, सरकारी कार्यक्रमों में उन्हें आमंत्रित किए जाने तथा विज्ञापनों एवं शिलापट्टों पर उनका नाम अंकित किए जाने के संबंध में प्रोटोकॉल से संबंधित निर्देश जारी किए हैं।
ये निर्देश 14 सितंबर 2023 को विधान सभा अध्यक्ष, विधान परिषद के सभापति और संसदीय कार्य मंत्री की बैठक में जनप्रतिनिधियों को अनुमन्य प्रोटोकॉल तथा अन्य पहलुओं पर विचार-विमर्श के बाद लिए गए निर्णयों के क्रम में हैं।
मुख्य सचिव द्वारा जारी शासनादेश के अनुसार, किसी भी जनपद की बैठक अथवा कार्यकम में विधान परिषद के ऐसे सदस्य ही आमंत्रित किए जाएंगे, जिनका नाम सम्बन्धित जनपद के सम्मुख लिखा हुआ है। विधान परिषद के ऐसे सदस्य, जिन्होंने उनके नाम के आगे आवंटित जनपद के अलावा अपने क्षेत्र के किसी अन्य जनपद में अपने क्षेत्र विकास निधि से यदि कोई कार्य कराया है, एवं वह कार्य मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में सम्मिलित है, तो ऐसे मामलों में उस जनपद के कार्यक्रम में संबंधित विधान परिषद सदस्य को भी आमंत्रित किया जाएगा।
प्रदेश मुख्यालय, जिला स्तर पर आयोजित होने वाली बैठकों, उदाहरण के लिए ‘दिशा’ आदि की समीक्षा बैठक में अध्यक्षता कर रहे सांसद के दाहिनी तरफ उस जनपद के सांसद, विधायक तथा विधान परिषद के ऐसे सदस्यगण, जिनको वह जनपद उनके नाम के सम्मुख अंकित है, के बैठने की व्यवस्था की जाएगी।
दिशा की बैठक में सांसद के सहयोग के लिए जिलाधिकारी एवं अन्य अपेक्षित अधिकारीगण उनके बाईं तरफ बैठेंगे। मुख्यमंत्री के जो भी कार्यकम प्रदेश मुख्यालय, जनपद स्तर पर होते हैं, उनमें मंच की अग्रिम पंक्ति में सांसद तथा विधान मंडल के सदस्यगण, जो उपस्थित हैं, बैठेंगे। इन बैठकों, आयोजनों में यदि उपस्थित जनप्रतिनिधियों की संख्या अधिक होती है तो उन्हें दूसरी, तीसरी पंक्ति में बैठाया जा सकता है।
केवल मुख्य सचिव अथवा जिस विभाग के द्वारा कार्यकम आयोजित किया जा रहा है, उसके विभाग प्रमुख, यानि अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव या सचिव, मंच की अग्रिम पंक्ति में बैठ सकते हैं। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी जन प्रतिनिधि किसी अधिकारी के पीछे नहीं बैठेंगे।