मुंबई। शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को भाजपा के उस मंत्री को बर्खास्त करने की मांग की, जिसने दावा किया था कि दिवंगत शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे या उनके लोगों का अयोध्या में 6 दिसंबर, 1992 बाबरी मस्जिद गिराए जाने से कोई लेना-देना नहीं था।
दिवंगत बालासाहेब पर मंत्री चंद्रकांत पाटिल की टिप्पणी के बाद छिड़े एक ताजा विवाद के बाद पूर्व मुख्यमंत्री ठाकरे ने जोरदार हमला करते हुए सत्तारूढ़ शिवसेना के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और सहयोगी भारतीय जनता पार्टी पर भी निशाना साधा।
ठाकरे ने कहा, जब बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराया जा रहा था, तब ये सभी चूहे अपने बिलों में छिपने के लिए दौड़ पड़े थे, इतने सालों में यह ‘गोमूत्र-धारी’ पाटिल कहां था और 30 साल बाद क्यों सामने आया है?
उन्होंने शिंदे से पाटिल को बर्खास्त करने या उनका इस्तीफा लेने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अगर वह ऐसा नहीं कर सकते तो बालासाहेब ठाकरे का नाम लेना या उनकी तस्वीरों का इस्तेमाल करना बंद कर दें और इस्तीफा दे दें।
ठाकरे ने कहा कि वे (शिंदे और उनके 40 विधायक) बालासाहेब ठाकरे का नाम लेने का नैतिक अधिकार भी खो चुके हैं और पूछा कि वे अब चुप क्यों हैं।
ठाकरे ने कहा, यह इतिहास में बालासाहेब के योगदान को कम करने की कोशिश के अलावा और कुछ नहीं है। पहले उन्होंने इतिहास की किताबों से मुगल काल को मिटा दिया, अब वे पाठ्यपुस्तकों से हिंदुत्व को भी मिटाने की कोशिश कर रहे हैं।
पाटिल ने सोमवार को एक निजी स्थानीय टीवी चैनल से बात करते हुए कहा था कि एक भी शिव सैनिक ने बाबरी मस्जिद की ध्वंस में भाग नहीं लिया था, जिससे सत्तारूढ़ गठबंधन और शिवसेना (यूबीटी) के बीच एक बड़ी राजनीतिक लड़ाई छिड़ गई है।
ठाकरे की नाराजगी पर प्रतिक्रिया देते हुए, पाटिल ने कहा कि उनके मन में बालासाहेब ठाकरे के लिए पूरा सम्मान है और मस्जिद गिरने के पीछे की परिस्थितियों को दोहराया, और कहा कि उन्होंने दिवंगत शिवसेना संस्थापक का किसी भी तरह से अपमान नहीं किया है।
उन्होंने कहा कि मस्जिद का ढांचा हिंदुओं द्वारा गिराया गया था और आंदोलन का नेतृत्व तब विश्व हिंदू परिषद ने किया था।