Wednesday, February 12, 2025

यूएन एजेंसी ने सुरक्षा बलों पर सूडान में मदद करने में बाधा डालने का आरोप लगाया

खार्तूम। संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी ने सोमवार को अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (आरएसएफ) पर जरूरतमंदों तक मानवीय सहायता पहुंचाने में बाधा डालने का आरोप लगाया। यह आरोप विशेष रूप से पश्चिमी सूडान के दारफुर क्षेत्र में लगाया गया। संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (ओसीएचए) ने एक बयान में कहा, “आरएसएफ से संबद्ध सूडानी राहत एवं मानवीय कार्य एजेंसी (एसएआरएचओ) के लगातार लगाए गए प्रतिबंध और नौकरशाही बाधाएं, लोगों तक जीवन रक्षक सहायता पहुंचने में बाधा डाल रही हैं।

“इसमें कहा गया है कि एसएआरएचओ की बार-बार की गई प्रतिबद्धताओं के बावजूद, मानवीय कार्यकर्ताओं को अवरोध, अनुचित हस्तक्षेप और परिचालन प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है। यह अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून और सूडान के नागरिकों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्धता का उल्लंघन है। ओसीएचए ने एसएआरएचओ से तत्काल और ठोस कदम उठाकर समग्र मानवीय समुदाय के साथ जुड़ने की अपील की, ताकि तुरंत जीवन रक्षक सहायता की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके। साथ ही सहायता काफिलों के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाया जा सके। वहीं, सैन्य सहायता की मांग सहित मानवीय कार्यों में हस्तक्षेप को समाप्त किया जा सके। बयान में कहा गया, “सूडान में मानवीय समुदाय एसएआरएचओ से अपील करता है कि वह मानवीय कार्यकर्ताओं, परिसंपत्तियों और कार्यों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करे। इससे यह सुनिश्चित हो सके कि वे बिना किसी धमकी या दबाव के काम कर सकें।

“समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, 13 अगस्त, 2023 को, आरएसएफ ने सूडान में अंतरराष्ट्रीय मानवीय समुदाय के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए एसएआरएचओ की स्थापना की घोषणा की। स्थापना से उसके नियंत्रण वाले क्षेत्रों यानी दारफुर में मानवीय सहायता पहुंचाई जा सके। पिछली संयुक्त राष्ट्र रिपोर्टों ने संकेत दिया था कि सूडान की आधी से अधिक आबादी अब खाने की कमी का सामना कर रही है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, देश में चल रहे युद्ध के कारण सूडान में 28.9 मिलियन लोगों को मानवीय सहायता की आवश्यकता है। अंतरराष्ट्रीय संगठनों के ताजा अनुमानों के अनुसार, अप्रैल 2023 के मध्य से सूडान सशस्त्र बलों और आरएसएफ के बीच विनाशकारी संघर्ष की चपेट में है। इसमें कम से कम 29,683 लोगों की जान चली गई और 1.5 करोड़ से अधिक लोग विस्थापित हो गए।

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