सहारनपुर। नेशन बिल्डर्स एकेडमी में सरदार अजीत सिंह की जन्म जयंती पर उनके चालीस साल के देश निकाले को याद करते हुए पद्मश्री स्वामी भारत भूषण ने कहा कि भगवान राम से भी तिगुना लंबा बनवास था सरदार अजीत सिंह का जिन्हें ब्रिटिश सरकार ने १९०६ में देश निकाला दे दिया था।
आज ही के दिन १९८१ में जन्में शहीद भगत सिंह के चाचा सरदार अजीत सिंह जी ने देश को आजाद देखने का संकल्प लिया था वह भारत आ नहीं सकते थे लेकिन बाहर रहकर भी आजादी की लड़ाई को हवा देते रहे। ब्रिटिश हुकूमत द्वारा भारत के सुप्रसिद्ध राष्ट्रभक्त एवं क्रांतिकारी अजीत सिंह को राजनीतिक ‘विद्रोही’ घोषित कर दिया गया था। उनका अधिकांश जीवन जेल में बीता लेकिन रोमांचक बात यह लगी कि उन्होंने स्वाधीन भारत को देखने के लिए अपनी मौत भी स्वयं चुनी और १४/१५ अगस्त की रात को १२ बजे भारत आजाद ही जाने की खबर रेडियो पर सुनते ही देश को आजाद देखने का संकल्प पूरा हो जाने के तुरंत बाद ही प्राण त्याग दिए।
स्वामी भारत भूषण ने कहा कि नए भारत के नेताओं को ऐसे हुतात्माओं को याद रखने की जरूरत है और वर्तमान पीढ़ी में वीरता और राष्ट्र प्रथम का भाव जगाने के लिए इन वीर बलिदानियों की गाथाएं सुनाना भी जरूरी है। उन्होंने नेशन बिल्डर्स अकादमी के बच्चों के सौभाग्य को सराहा कि उनके तो विद्यालय का नाम ही राष्ट्र निर्माताओं का स्कूल हैं और गर्व की बात है कि इसकी स्थापना ही वीर भगत सिंह जी की माता विद्यावती के हाथों हुई थी और उनके अनुज स कुलतार सिंह व भतीजे जोरावर सिंह और किरणजीत सिंह निरंतर संस्था से जुड़े हुए हैं।
शिक्षक अभिभावक एसोसिएशन के अध्यक्ष नंद किशोर शर्मा ने एकेडमी के बच्चों में आधुनिक इंगिश मीडियम शिक्षा के साथ भारतीयता के संस्कार और देशभक्ति के भाव को निरंतर बढ़ावा देने की गतिविधियों को सराहा और बताया कि आज अमेरिका में अपने राष्ट्रीय संस्कारों के साथ कार्य कर रहे उनके बच्चे नेशन बिल्डर्स अकादमी की ही देन हैं।